क्यों फैट कम लेने के बाद भी नहीं होता वेट लॉस?

अगर आपने वेट लॉस के लिए अपनी तरफ से पूरी रिसर्च कर ली है, तो आपको अब तक समझ चुके होंगे कि वेट लॉस में डायट काफी अहम है। ज़रा हमें भी मौका दीजिए आपकी मदद करने का। हम आपको बता रहे हैं वह टिप जो है सबसे बढ़िया। एक्सपर्ट्स के अनुसार, वेट लॉस में डायट का 70% और एक्सरसाइज़ का 30% योगदान होता है। इसलिए अपनी डायट पर ध्यान देने से आपको अपने शरीर में जमा उस एक्स्ट्रा फैट को घटाने में काफी मदद मिल सकती है। लेकिन हमें वेट लॉस की एक खास टिप भी पता है। वेट लॉस की कोशिश में हम प्रोटीन का सेवन ज़्यादा, फैट काफी कम और कार्बोहाइड्रेट का सेवन सीमित कर देते हैं। हालांकि, यह सही नहीं है, क्योंकि आपके भोजन से कैलोरी का सही संतुलन बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। इसलिए यदि आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो कैलोरी में कटौती न करें, बल्कि कार्बोहाइड्रेट कम कर दें। यहां हम बता रहे हैं कि मुंबई से डायटिशन रीना बालिगा का इस बारे में क्या कहना है।

कम कार्बोहाइड्रेट से वेट लॉस कैसे होता है?
एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट खाने के बाद हमें 4 कैलोरी प्रदान करता है। कार्बोहाइड्रेट के विघटन से ‘ग्लूकोज़’ मिलता है, जो हमारे मस्तिष्क के लिए ‘ईंधन’ का काम करता है। ग्लूकोज़ की अनुपस्थिति में, जब आपके कार्बोहाइड्रेट का दैनिक सेवन 50 ग्राम से कम हो जाता है, तो शरीर प्राथमिक स्रोत के रूप में ग्लूकोज न मिलने पर कीटोन्स (ketones) का उपयोग करता है। यह फैटी एसिड के विघटन से तैयार एक उप-उत्पाद हैं। हालांकि विभिन्न स्टडीज़ ने यह साबित कर दिया है कि वजन घटाने के लिए कम कार्ब या कम फैट वाले भोजन की प्रभावशीलता कितनी है, फिर भी इस बात पर लगातार बहस होती रहती है। इसीलिए अपनी डायट में किसी भी तरह के बदलाव करने से पहले डायटिशन से बात करें और आप जो बदलाव करना चाहते हैं उसके फायदे और नुकसान के बारे में अच्छी तरह समझ लें।

 

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