खूंखार डकैत ठोकिया उर्फ़ डॉक्टर का कैसे हुआ था एनकाउटर, देखिये हमारे साथ

 

ठोकिया पर उत्तरप्रदेश तथा मध्यप्रदेश में 60 आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। उत्तरप्रदेश प्रदेश सरकार ने उस पर पाँच लाख रुपए तथा मध्यप्रदेश सरकार ने एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया था। पुलिस महानिदेशक विक्रमसिंह ने कहा कि ठोकिया का डीएनए कराकर उसकी शिनाख्त कराएँगे।

प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) कुँवर फतेह बहादुर एवं पुलिस महानिदेशक सिंह ने बताया कि एसटीएफ टीम ठोकिया गिरोह के सफाए के लिए पिछले काफी दिनों से लगी हुई थी।

पुलिस को सूचना मिली थी कि ठोकिया थाना कोतवाली कर्वी जनपद चित्रकूट में अपने 20 साथियों के साथ कोई गंभीर अपराध करने वाला है, इस सूचना पर एसटीएफ ने अपनी 24 पुलिसकर्मियों टीम के साथ कल रात में कॉंम्बिंग प्रारम्भ की। सटीक सूचना मिलने पर एसटीएफ ने सिलखोरी जंगल की घेराबंदी की और रात 2.30 बजे बदमाशों से मुठभेड़ हो गई, जिसमें ठोकिया मारा गया।

बहन का बदला लेने बीहड़ों में कूदा था ठोकिया

पाठा के इन बीहड़ों में डकैती का इतिहास तीन दशक पुराना है, जब यहां डकैत शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ आतंक का पर्याय बनकर सामने आया था. इसके बाद अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया उर्फ डॉक्टर ने भी यहां डकैती की कई वारदातों को अंजाम दिया.
22 जुलाई, 2007 को स्पेशल टास्क फोर्स ने ददुआ को मार गिराया था और इसके साल भर बाद 4 अगस्त, 2008 को ठोकिया को भी मौत के घाट उतार दिया गया. ठोकिया के बाद इस गैंग की कमान सुंदर पटेल उर्फ रागिया ने संभाली. इस गैंग के दो मुख्य सदस्य बलखडिय़ा और राम सिंह गौड़ थे. 25 दिसंबर, 2011 को मध्य प्रदेश पुलिस ने मारकुंडी में रागिया को भी मार गिराया.

ददुआ के मारने के बाद जब पुलिस की टीम जीप से कोल्हुआ के जंगल से निकल रही थी तो वहां घात लगाए बैठे ठोकिया ने हमला बोल दिया था। हमले में छह एसटीएफ के जवान और एक मुखबिर की मौत हो गई थी।
ठोकिया उर्फ डाक्टर उर्फ अंबिका पटेल सिलखोरी (भरतकूप) का रहने वाला था। बताया जाता है कि बहन के साथ हुई छेड़छाड़ का बदला लेने को वह जंगल में कूदा था। गांव का झोलाछाप डाक्टर बदले की आग में झुलसकर दुर्दांत बन गय। इसी क्षेत्र के रहने वाले डाकिया (नाम) के लड़के ने उसकी बहन के साथ छेड़छाड़ की थी।

सजातीय होने के चलते जब उसने उससे शादी करने का प्रस्ताव रखा तो मजाक उड़ाया गया और ठोकिया के साथ मारपीट भी की गई। बीहड़ों में कूदने के बाद ठोकिया ने पहली वारदात के रूप में डाकिया के दूसरे पुत्र को मार डाला और ऐलान किया कि जो भी इसकी अर्थी को कंधा देगा, वह मेरा दुश्मन होगा।

तब भरतकूप क्षेत्र का ओमनाथ पटेल आगे आया। उसने न केवल अर्थी को कंधा देकर अंतिम संस्कार कराया, बल्कि ठोकिया के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया। विडंबना रही कि जिसने बहन को छेड़ा था, वह ताउम्र ठोकिया के हाथ नहीं लगा। अलबत्ता अब दुश्मनी का केंद्र सीधे सीधे ओमनाथ बन गया।

बिछियन (मप्र) में ओमनाथ के परिवार के कई सदस्यों समेत तकरीबन आधा दर्जन लोगों को ठोकिया गैंग से ही जुड़े सुंदर पटेल उर्फ रागिया ने जिंदा फूंक दिया था। इसके बाद कई जगहों पर ओमनाथ से गैंग की सीधे मोर्चाबंदी हुई पर ओमनाथ को हर बार भाग्य का सहारा मिला। अंतत: चार अगस्त 2008 को अपने गांव के नजदीक सिलखोरी में एसटीएफ के हाथों मुठभेड़ में सात लाख का इनामी ठोकिया मारा गया।

अब दो जुलाई को कथित पुलिस मुठभेड़ में बलखड़िया की मौत ने जिले से आतंक के एक और काले अध्याय का समापन कर दिया। अब गौरी यादव का गिरोह तो लिस्टेड है ही, बलखड़िया के गिरोह में भी कई ऐसे नाम हैं, जो इस आपराधिक परंपरा को जारी रख सकते हैं। कई छुटभैये गिरोहों का नाम भी है।

एसटीएफ ठोकियां की मुठभेड़
फिर एसटीएफ को जानकारी मिली की ठोकियां अपने 40 सदस्यीय गैंग के साथ चित्रकूट के कर्वी इलाके में किसी वारदात को अंजाम देने वाला है. एसटीएफ की टीम ने बिना किसी देरी के ठोकियां को सिलखोरी के जंगल में घेर लिया, शाम 7:00 बजे तक दोनो तरफ से गोलीबारी शुरु हो गई। पुलिस और ठोकियां के गैंग की भिड़त 7 घंटे तक लगातार चली। यह मुठभेड़ रात 2:30 बजे रुकी।

ठोकियां की मौंत
वहीं कुछ दूरी पर ठोकियां की लाश एसटीएफ की टीम को मिली. हांलाकि कुछ गांव वालों का मानना है कि ठोकियां को पुलिस ने नहीं गोली मारी बल्कि उसीके गैंग में शामिल ज्ञान सिंह ने उसको गोली मारकर वहां से फरार हो गया फिर पुलिस वालों को इसकी सूचना ग्रामीणों ने दी।