चार बड़े मामले जिन पर नए चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्र को करना है फैसला

Chief Justice of Supreme Court: Justice Deepak Misra

वो दो अक्टूबर 2018 को इस पद से रिटायर होंगे, लेकिन इस दौरान उनके सामने कई ऐसे मुक़दमे सुनवाई के लिए आएंगे जो या तो बहुत विवादित रहे हैं या नीतिगत रूप से बहुत अहम हैं.

जस्टिस दीपक मिश्र ने कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसले दिए हैं, जो काफ़ी चर्चित रहे.

इनमें सिनेमाहालों में फ़िल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान चलाने और उस दौरान सभी दर्शकों के खड़े होने को अनिवार्य किए जाने का आदेश बहुचर्चित रहा.

आइए नज़र डालते हैं उन पांच महत्वपूर्ण मामलों पर, जो जस्टिस दीपक मिश्र के कार्यकाल में सुनवाई के लिए आएंगे.

1-आधार स्कीम की वैधता

आधार की अनिवार्यता को लेकर लंबे समय से सर्वोच्च अदालत में मामला चल रहा है.

अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यों वाली संविधान पीठ ने इस मामले से जुड़े एक अन्य मामले में फैसला देते हुए निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताया.

ये मसला हल होने के बाद अब आगे आधार की वैधता पर सुनवाई होनी है.

जस्टिस खेहर के सेवानिवृत्ति के बाद देखना होगा कि आधार बेंच की अगुवाई खुद जस्टिस मिश्र करते हैं या किसी और वरिष्ठ जज को कमान देते हैं

2- बाबरी मस्जिद मामला

Babri Masjid Demolition

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व मामला काफ़ी समय से अदालत में लंबित है.

पूर्व चीफ़ जस्टिस जेएस खेहर ने इस मामले को कोर्ट से बाहर हल करने और इसमें मध्यस्थ की भूमिका अदा करने की पेशकश की थी.

विवाद में नए-नए पक्षों के शामिल होने से ये मामला बेहद पेचीदा हो चुका है.

इसमें भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने याचिका दायर कर हर रोज़ सुनवाई की मांग की थी. इस मामले की सुनवाई पांच दिसंबर से शुरू होने वाली है.

 

 

 

 

 

  3- जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्ज़े का मामला

संविधान के अनुच्छेद 35 (ए) के तहत जम्मू एवं कश्मीर को दिए गए विशेष दर्ज़े का मामला कोर्ट के सामने है.इस प्रावधान को संविधान संशोधन के बजाय राष्ट्रपति के आदेश के तहत शामिल किया गया था.ये हो सकता है कि जस्टिस दीपक मिश्र इस मामले पर जल्द ही एक संविधान पीठ का गठन करें.

4– जजों की नियुक्ति का मामला

जस्टिस दीपक मिश्र से पहले के दो मुख्य न्यायाधीशों जस्टिस टीएस ठाकुर और जेएस खेहर के समय से ये मामला अधर में लटका हुआ है.हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम व्यवस्था को ख़त्म करने के लिए मोदी सरकार ने साल 2014 में संविधान संशोधन कर एनजेएसी एक्ट बनाया था.

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अगले साल ही ख़ारिज कर दिया. लेकिन जजों की नियुक्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच एक सहमति बनाने पर बात बनी थी जो अभी भी अधर में है.

इसे लेकर न्यायपालिका और विधायिका के बीच टकराव की नौबत आ गई है. देखना है कि नए चीफ़ जस्टिस इसे लेकर क्या रुख लेते हैं.

Source:bbc hindi