ढेर सारे टैक्स के बदले एक टैक्स, जीएसटी की पाठशाला

एक देश एक टैक्स यानी जीएसटी लागू होने वाला है। लेकिन क्या आप जीएसटी को समझते हैं? रजिस्ट्रेशन कैसे कराएंगे? किससे कराना होगा? कहां-कहां कराना होगा? रिटर्न कैसे भरेंगे? रिफंड कैसे मिलेगा? जीएसटी की बारीकियां समझिए सीएनबीसी-आवाज़ के साथ आज से एक खास सीरीज में।

हम क्यों जीएसटी को कह रहे हैं एक देश एक टैक्स। क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप सामान खरीदते हैं तो कितने प्रकार के टैक्स देने पड़ते हैं और कितने सारे टैक्स देने पड़ते हैं। नहीं ना, लेकिन जब आप ये जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे। मिसाल के तौर पर जब कोई सामान फैक्टरी से बनकर निकलता है तो उस पर सबसे पहले चुकानी पड़ती है एक्साइज ड्यूटी, जो कंपनी आखिरकार आपके जेब से वसूलती है। कई मामलों में ये एक्साइज ड्यूटी काफी नहीं होती है इसीलिए कुछ प्रोडक्ट पर सरकार अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी भी वसूलती है।

वहीं, अगर सामान बनाने के लिए कंपनी ने किसी भी प्रकार की सेवाएं ली हैं तो फिर सर्विस टैक्स भी चुकाना पड़ता है। टैक्स का सिलसिला यही नहीं थमता है। जैसे ही सामान एक राज्य से दूसरे राज्य जाता है तो सबसे पहले आपको देना पड़ता है एंट्री टैक्स। साथ ही जब आप उस राज्य में प्रवेश कर जाएंगे तो वहां चुकाना पड़ता है वैट, जिसे सेल्स टैक्स भी कहा जाता है। इन दोनों टैक्स के अलावा कई मामलों में आपको अलग-अलग तरह के सेस यानि सरचार्ज भी देने पड़ते हैं। टैक्स का भारी भरकम बोझ यही हल्का नहीं होता, अभी आगे और टैक्स देने बाकी हैं।

 

अगर आपके सामान का रिश्ता नाता एंटरटेनमेंट से है, तो फिर आपको एंटरटेनमेंट टैक्स भी चुकाना पड़ता है। कई बार आपको लक्जरी टैक्स भी चुकाना पड़ता है। इसके अलावा कुछ राज्यों में सामान की खरीद पर आपको परचेज टैक्स भी चुकाना पड़ता है। मिसाल के तौर पर पंजाब में अगर आप अनाज खरीदते हैं तो इस पर आपको परचेज टैक्स देना पड़ता है।

 

लेकिन, सिर्फ इतना ही टैक्स नहीं है बल्कि एक रिपोर्ट के मुताबिक कुल 18 तरीके के अलग-अलग टैक्स सामान पर चुकाने पड़ते हैं। ऐसे में जीएसटी लागू होने के बाद ये सारे टैक्स एक झटके में खत्म हो जाएंगे। इन सारे टैक्स की जगह लगेगा सिर्फ और सिर्फ एक टैक्स वो है जीएसटी।

 

जीएसटी युग में ऑल इंडिया परमिट वाले ट्रांसपोर्टरों को फायदा होगा लेकिन स्टेट परमिट वालों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। जानिए जीएसटी लागू होने के बाद देश में सामान ट्रांसपोर्ट के तौर तरीके किस तरह बदल जाएंगे।

 

अगर आप ट्रांसपोर्ट का कारोबार करते हैं या फिर अपना सामान किसी ट्रांसपोर्टर के जरिये एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जा रहे हैं तो हम जो आगे बताने जा रहे हैं उसे ध्यान से देखिए वरना मुसीबत में पड़ जाएंगे। दरअसल जीएसटी लागू होने के बाद माल की ढुलाई के लिए एक यूनिक आईडी जरूरी होगी। बगैर यूनिक आईडी के अगर माल ढुलाई करेंगे तो उसे जब्त कर लिया जाएगा। ये यूनिक आईडी माल ढुलाई करने वाली गाड़ी के ड्राइवर के पास होनी चाहिए।

 

अगर ट्रांसपोर्टर को सामान किसी ऐसे राज्य में ले जाना है जहां की उसके पास परमिट नहीं है तो उसे ना सिर्फ दूसरे राज्य की परमिट वाले ट्रांसपोर्टर को ढूढ़ना होगा बल्कि जैसे ही सामान दूसरी गाड़ी में लोड होगा उसे आईडी भी बदलनी होगी। क्योंकि यूनिक आईडी में सामान की डीटेल्स के अलावा गाड़ी नंबर जैसी जानकारी भी होगी। इतना ही नहीं गाड़ी खराब होने की स्थिति में अगर गाड़ी बदलते हैं तो भी यूनिक आईडी या तो बदलनी होगी या डिटेल्स बदलने होंगे। ये यूनिक आईडी ट्रांसपोर्टर या सामान भेजने वाला या फिर सामान मंगाने वाला जेनरेट कर सकता है।

 

जानकारों की मानें तो नई व्यवस्था के तहत वैसे ट्रांसपोर्टर फायदे में रहेंगे जिनके पास ऑल इंडिया परमिट है। दूसरी तरफ, अगर चुनिंदा स्टेट की परमिट वाले ऑल इंडिया परमिट लेने जाएंगे तो उन्हें भारी भरकम रकम फीस के तौर पर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को चुकानी होगी। कुल मिलाकर जीएसटी युग में बगैर यूनिक आईडी के माल ढुलाई करना संभव नहीं होगा। क्योंकि हर ट्रांसपोर्ट अधिकारी के पास एक खास डिवाइस होगी। इसमें यूनिक आईडी डालने पर सामान और गाड़ी की पूरी डिटेल सामाने आ जाएगी। इस तरह से इस डिवाइस के सहारे अधिकारी ये जांच कर सकते हैं कि ढुलाई किये जा रहे सामान पर टैक्स दिया गया है या नहीं।

 

आपके कारोबार का सालाना टर्नओवर 20 लाख रुपये है तो आपको जीएसटी में रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है। लेकिन रजिस्ट्रेशन करा लेना ही बेहतर है। वरना आपके सामान का खरीदार आपसे मुंह मोड़ सकता है। क्योंकि अगर कोई कंपनी ऐेसे कारोबारी से सामान खरीदती है जो जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड नहीं है तो उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। यानी आपसे सामान खरीदने वाले पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा। अगर सालाना टर्नओवर 20 लाख रुपये से ज्यादा है तो हर हाल में रजिस्ट्रेशन करा लें। वरना आप ना तो जीएसटी के तहत टैक्स भर पाएंगे और ना ही कच्चे माल पर मिलने वाली टैक्स छूट का फायदा आपको मिलेगा। दूसरे शब्दों में कहें तो आपका कारोबार अवैध माना जाएगा।

 

रजिस्ट्रेशन के लिए कोई बड़ी कागजी कार्रवाई भी नहीं करनी है। आप चाहें तो खुद अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके लिए आपको वेबसाइट जीएसटी.जीओवी.इन पर जाना होगा। यहां आपको यूजर आईडी और पासवर्ड डालना होगा। जो आपको अपने टैक्स डिपार्टमेंट से मिलेगा। फिर लॉग इन करके फॉर्म 20 भरें। इतना करिए और 3 दिन के भीतर अपना रजिस्ट्रेशन नंबर पाइए।

 

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