बता दें कि सरकार की तरफ से यह हलफनामा जस्टिस एमसी त्रिपाठी की बेंच में एक शादीशुदा जोड़े द्वारा सुरक्षा की मांग से संबंधित अर्जी पर सुनवाई के दौरान दिया गया। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट में विवाह करने वाले जोड़े बड़ी संख्या में संरक्षण के लिए याचिका दाखिल करते हैं। इनके विवाह के सत्यापन का कोई जरिया नहीं होता है। कोर्ट द्वारा इनको हिन्दू मैरिज एक्ट या स्पेशल मैरिज एक्ट में विवाह पंजीकरण कराने को आदेश दिया जाता है।
हाईकोर्ट ने 2014 में एक याचिका में प्रदेश सरकार को अनिवार्य विवाह पंजीकरध नियमावली लागू करने का निर्देश दिया है। सरकार ने हलफनामा दाखिल कर शीघ्र नियमावली लागू करने का आश्वासन दिया था। लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हो सका। 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को अपने यहां अनिवार्य विवाह पंजीकरण नियमावली लागू करने का निर्देश दिया था।
मिली जानकारी के अनुसार सरकार की तरफ से दावा किया गया है कि गवर्नर के यहां से इसी हफ्ते एप्रूवल मिल जाने की उम्मीद है। एप्रूवल मिलते ही इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया जाएगा। सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में बताया गया कि कम्पलसरी मैरिज रजिस्ट्रेशन का जीओ हर हाल में इक्कीस अगस्त से पहले जारी कर दिया जाएगा।
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