दिल दहला देने वाली यह पातीः सूबे के दो मंत्रियों के नाम

लखनऊ: माननीय! यह पाती आप दोनों मंत्रियों के नाम है। आप में से एक के कंधे पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है, तो दूसरे पर चिकित्सा शिक्षा की। जानता हॅू कि इस पाती को पढकर आप दोनों को बडा नागवार लगेगाां। लेकिन, क्या करूं अखबारनवीस होने के नाते आम अवाम की आवाज को आप जैसो तक पहुचाना मेरी जिम्मेदारी है और फर्जअदायमी की मजबूरी भी। उम्मीद है कि इसके लिये आप दोनों मुझे कसूरवार नहीं ठहरायेंगे।

दर्द इतना कि पत्थरदिल इंसान भी पिघल गया

लोगों का कहना है कि उनकी पीडा को जानकर आप दोनों को इस बात का एहसास तो होना ही चाहिये कि इस नरसंहार से ‘समूचा पूर्वांचल कितना व्यथित और विचलित हैं। यहां का पत्थर दिल इंसान भी इसकी आंच को बर्दाश्त नहीं कर सका।  पता नहीं कि आप दोनों को इसके दर्द का कैसा एहसास हो? लोगों को लगता है कि यदि ऐसा कुछ होता तो यहां यह नौबत ही नहीं आ पाती।त्रासद तो यह कि आप में से एक ने यह कहकर जले पर नमक छिडकने की कोशिश लोगों की कि यहां  अगस्त के महीने में इतनी मौतें तो होती ही रही हैं।यह कहने के पीछे आपका शायद, यह आशय रहा होगा कि इतनी ही मौतें यदि इस साल भी हो गयीं,तो इसमें कौन सा अजूबा क्या है? इसे लेकर इतनी हाय तोेबा क्यों?

मंत्री होने का गुमान

श्रीमन्! कितना अच्छा होता कि किसी इंसान के दिल को झनझना देने वाली इतनी कठोर बात कहने की बजाय आप दोनों ने मिलकर इस साल इन मौतों की तादाद को कम करने के लिये समय रहते एक बेहतरीन कोशिश तो की होती। लेकिन, ऐसा न कर आप दोनों अपने मंत्री होने के गुमान में डूबे रहे। नतीजतन, इस साल मरने वालों बच्चों की तादाद और बढ गयी। सिर्फ इन पांच दिनों में ही 64 बच्चों की मौत। कितना त्रासद और दुर्भाग्यपूर्ण!

योगी से हुई यह बडी चूक

मान्यवर! आप दोनों पहली बार ही मंत्री बने हैं। इसीलिये लगता है कि इसकी मादकता से आप दोनों को ही अभी तक इस सच का एहसास नहीं हो सका है कि इस सामूहिक नरसंहार से संत सरीखे मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ को कितनी असह्य पीडा हुर्ह होगी। वह फूट फूट कर रोये भर नहीं। बाकी सब हो गया। कल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल अस्पताल के दिमागी बुखार के वार्ड मे वह एक घंटे से भी अधिक समय तक पीडितों के बीच में रहे। एक एक तीमारदार से उसकी परेशानी जानकार उसे जूझने की संजीवनी ही देते रहे। वैसे भी, बतौर सांसद वह इस बीमारी की रोकथाम के लिये लगातार जूझते ही रहे। उनकी चूक बस इतनी ही कही जा सकती है  उन्होंने अपनों पर आंख मूंदकर भरोसा कर लिया। यही उन पर बहुत भारी पड गया।

बडे ताकतवर हैं आप दोनों

माननीयों ! प्रदेश का प्रबुद्ध वर्ग इस बात को बहुत अच्छी तरह जानता है कि इस सरकार में आप दोनों इतने ज्यादा ताकतवर हैं कि मुख्य मंत्री योगी चाहकर भी आपका बालबांका तक नहीं कर सकते है। आप में से एक तो प्रदेश भाजपा के भारीभरकम नेता रहे लालजी टंडन के सपूत हैं, तो दूसरे के तार सीधे प्रधान मंत्री मोदी, उपराष्ट्रपति वैकेया नायडू, अमित शाह और अरुण जैतली जैसे भाजपा के शीर्ष पुरुषों के जुडे हुए बताये जाते हैं। इनकी रगों में राष्ट्रीय विभूति रहे स्व0 प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री का खून प्रवाहित हो रहा है,। इन्हीं शास्त्री जी ने रेलमंत्री रहते हुए एक रेलदुर्घटना हो जाने पर ही अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर इस्तीफा दे दिया था। लेकिन, उनके नक्शेकदम पर चलने के लिये बडी पवित्र और निर्मल आत्मा होनी चाहिये। ऐरेगैरे के बूते का यह काम नहीं।

ज्यादा जरूरी था दिल्ली दरबार की जीहुजूरी

माननीय सिद्धार्थ जी! अब जो लिखने जा रहा हूँ, वह खासतोर से आपके लिये ही हैं। कल शाम लखनऊ के काफी हाउस में इसी बात को लेकर हो रही चर्चा के दौरान एक व्यक्ति ने सीधे आपका नाम लेकर एक ऐसी बात कह दिया, जिसे सुनकर मुझे तेज करअ जैसा झटका लगा। कह नहीं सकता इसे जानकर आपको को भी कुछ ऐसा ही लग सकता है। उस शख्स का यह कहना रहा है कि इस हादसे की खबर आपको भी तत्काल लग गयी थी। लेकिन, उस समय आप दिल्ली दरबार की जीहुजूरी में लगे हुए थे। उसे छोडकर गोरखपुर भागकर जाना शायद, आपको वाजिब नहीं लगा होगा। इसलिये जीभर कर जीहुजूरी करने के बाद आप पूरे एक दिन बाद ही गोरखपुर पहुँचे। लेकिन, दुर्भाग्य से आपकी इस कदमबोसी के पहुत पहले ही कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद और प्रमोद तिवारी जैसे नेता गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में योगी सरकार को खूबखरीखोटी सुनाकर वापस जा चुके थे।

 

चरम संवेदनहीनता

श्रीमन्! यह बात भी मेरी समझ के बाहर है कि सोशल मीडिया पर आपके अत्यंत सक्रिय की बात कही जाती है। लेकिन, उस दिन आपको ऐसा न जाने क्या हो गया था कि मृतकों के परिवार वालों के प्र्रति संवेदना जताने के लिये आप ने उन्हें एक ट्वीट तक करने की जरूरत नहीं समझी। लगता है कि आपके पास शब्दों का टोटा हो गया था?

प्राचार्य के निलंबन पर सवाल

ब्हरहाल, आप जैसी अत्यत व्यस्त सियासी शख्सियत के लिये यही क्या कम है कि एक दिन बाद ही सही, आप गोरखपुर पहंुच तो गये। लेकिन, यहां आते ही आपने यह कहकर बेवजह ही एक विवाद खडा कर दिया कि कोई भी मौत आक्सीजन की कमी के कारण नहीं हुई है। यदि ऐसा ही था, तो कालेज के प्राचार्य डा0 राजीव मिश्र को क्यों निलंबित कर दिया गया? लेकिन, कोई कितना भी चीखे चिल्लाये, आपका बालबांका तक नहीं हो सकता है, क्योंकि आपकी सियासी पहुंच बहुत ऊपर तक है।

फंस गये आंकडों के जाल में 

यइस ‘बालसंहार‘ को लेकर प्रदेश में यह कहने वालों की कमी नहीं है कि श्इन मौतों पर कार्रवाई की जगह सच को छिपाने का खेल होता रहा है। बेड हेड टिकट में खेल करने मनचाही वजह बता दी गयी। अधिकांश मौतों की वजह दिमागी बुखार बता कर अधिकारी खुद को बचा ले गये। आंकडों की यह बाजीगरी इतनी होशियारी से की गयी कि मुख्य मंत्री द्वारा जांच के लिये भेजे गये आप दोनों मंत्री उसकी चाल को नहीं समझ पाये। आंकडों के जाल में फंसकर उन्हें क्लीनचिट देकर वे चले गये।

इतना और सुन लें

महोदय! लगता है पत्र कुछ लंबा होता जा रहा है। इसलिये अब इसे खत्म करना चाहता हॅू। मैं समझता हूँ कि इसमें लोगों के मन की बात भी कमोवेश आ ही गयी है। लेकिन, एक बात याद आ गयी। इसके लिये अनुमति लेकर इतना और कहना चाहूंगा कि आप दोनों की वजह से योगी सरकार की चार महीने की सरकार पर बडा भारी कलंक लग लग गया है। दुनिया भर में ऋषि तुल्य एक राजयोगी की भत्र्सना की जा रही है। अपने देश में ही कोई उनकी सरकार को हत्यारिन कर रहा है, तो कुछ और। जितनी मुंह उतनी ही बातें। अच्छा होगा कि आप दोनों भी इसका थोडा जायका ले लें।

दुनिया के अखबारों ने की है भत्र्सना

माननीय ! मैं अब यह पाती बंद करना चाहता हॅू। लेकिन, इसके पहले आप दोनों की अनुमति लेकर इतना ओर कहना चाहूंगा कि नरसंहार को लेकर भारत सहित पूरी दुनिया योगी सरकार के बारे में क्या कह रही है? ‘न्यूयार्क टाहम्स‘ ने प्रकारांतर स प्रधान मंत्री नरेंद मोदी पर तंज कसते हुए लिखा है कि भारत लोगों की सेहत पर मुश्किल से अपनी जीडीपी का एक फासद ही खर्च करता है। इस मामले में भारत की गिनती स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करने वाले देश के रूप् में हैं। भारत में स्वास्थ्य सुंविधाओं और डाक्टरों की भारी कमी है। ‘वाशिंग्ठन पोस्ट ने इस खबर को प्रमुखता से जगह देते हुए लि ‘शातिं के नाबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी के बयान का हवाला देते हुए लिखा है कि यह सामूहिक हत्या जैसी घटना है। मध्य पूर्व के अल अजीरा ने-समाचार एजेंसी ए.पी. को दिये एक पीडित के बयान को छापा है। इसमें गौतम नामक पीडित व्यक्ति ने कहा है कि-‘हम लोगों ने अपने बच्चों को देखा कि वे सांस नहीं ले पा रहे थे। लेकिन, यह देखते हुए भी हम कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं थे।‘इसके अलावा अलअजीरा ने हाई न्यूज‘ के समादक और साप्ताहिम ब्लिट्ज के नई दिल्ली स्थित विशेष संवाददाता रहे संजय कपूर के ट्वीट का हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने बच्चों की मौत को सामूहिक हत्या बताया है। इनका यह भी कहना रहा है कि भारत के अलग अलग हिस्सों में ऐसी घटनाएं प्रायः होती ही रहती हैं। भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार है।   मोदी-योगी क्या जाने औलाद खोने का दुख

प्रकरण में वालीवुड के अभिनेता एजाज खान ने मोदी और योगी पर सबसे ज्यादा धारदार हमला किया है। इनका कहना हे कि-‘औलाद को खोने का दर्द सिर्फ औलाद वाले ही समझ सकते हैं। बेऔलाद सी.एम. और पी.एम.इसे क्या समझेगें? इन लोगों के पास एम.एल.ए. खरीदने के लिये तो करोडो रु है। लेकिन, अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडर खरीदने के पेमेंट के लिये इनके पास 60 लाख नही हैं। इस हादसे में जिन माताओं की गोद सूनी हो गयी है, उनको जवाब कौन देगा योगी आदित्य नाथ या पी.एम. मोदी?

 

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