देश में चुनावो के बीच चुनाव आयोग में सुधार और स्वायत्तता की सुप्रीम कोर्ट में याचिका,

(रिपोर्ट- अरुण सिंह चंदेल,वरिष्ठ पत्रकार)
नयी दिल्ली,24 नवंबर २०२२ , भारत में गुजरात विधानसभा चुनाव, हिमांचल में विधान सभा, उत्तरप्रदेश में उप निर्वाचन(रामपुर) और दिल्ली में नगर निगम चुनाव का माहौल है ,भारत निर्वाचन आयोग कार्यालय में अरुण गोयल ने निर्वाचन आयुक्त के रूप में 21 नवंबर,सोमवार कार्यभार संभाला,इनके कार्य भार सँभालते ही विपक्ष ने माहौल और ग्राम कर दिया ,समस्त घटना क्रम के इस उतार चढ़ाव में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार नेपाल गए थे, इन सब घटना क्रम पर लोगो को आश्चर्य भी हुआ कि बड़ी जल्दी नियुक्ति गोयल की गई ,इसकी वजह क्या है ?
आपको बताते चले कि गोयल 1985 बैच के पंजाब कैडर के अधिकारी थे । वह मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय के साथ निर्वाचन आयोग के साथ कार्य करेंगे। गोयल ने शुक्रवार 18 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। गोयल को 31 दिसंबर 2022 को 60 साल की आयु में सेवानिवृत्त होना था।यह भी सच है कि अरुण गोयल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के फ़रवरी, 2025 में रिटायर होने के बाद अगला मुख्य चुनाव आयुक्त बन सकते है इस बात की प्रबल सम्भावना है। गोयल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से पहले तक भारी उद्योग सचिव के कार्य में थे और संस्कृति मंत्रालय में भी काम किया था । गोयल दिसंबर 2027 तक निर्वाचन आयोग में कार्यरत रहेंगे ।

इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई कि चुनाव आयोग में सुधार और स्वायत्तता के बारे में ,कोर्ट ने इसकी सुनवाई 24 नवंबर, गुरुवार को पूरी की और संविधान पीठ ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है। इस पीठ ने सभी पक्षों को लिखित रुप से अपनी दलीलें पेश करने के लिए पाँच दिनों का समय भी दिया है,यह पीठ इसके बाद अपना निर्णय देगी। संविधान पीठ ने यह भी कहा कि योग्यता पर नहीं बल्कि गोयल की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठा रही है।

वैसे 2018 में कई याचिकाएं दायर की गईं चुनाव आयोग के कामकाज में पारदर्शिता को लेकर,इस सुप्रीम कोर्ट में ने इन सब याचिकाओं को क्लब करते हुए इसे पाँच जजों की संविधान पीठ को रेफ़र किया था। सुप्रीम कोर्ट में पाँच जजों की संविधान पीठ ने यह याचिका सुनी ,इस पीठ में जस्टिस अनिरुद्ध बोस,जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस ऋषिकेश रॉय हैं, वही जस्टिस के जोसेफ़ इस बेंच की अध्यक्षता कर रहे हैं।

खास बात यह भी कि गत चार साल से लंबित याचिकाएं 18 नवंबर, 2022 से संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू की और 24 नवंबर, गुरुवार किसी नतीजे में पहुंची ऐसा प्रतीत होता है।
अरुण गोयल के विरुद्ध दायर याचिका के सम्बन्ध में अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि एक ही दिन में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली, एक ही दिन में क़ानून मंत्रालय ने उनकी फ़ाइल को मंज़ूरी दे दी, चार नामों की सूची प्रधानमंत्री के समक्ष पेश की गयी तथा गोयल के नाम को 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति से मंज़ूरी भी मिल गयी।

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