“नकल रोकने” के लिए बोर्ड का अहम फैसला, यूपी बोर्ड की कापियो पर अब होगा ‘बार कोड’

लखनऊ : यूपी बोर्ड हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा में प्रभावी अंकुश लगाने की तैयारी में है। इसके लिए सिर्फ कड़े नियम बनाकर या फिर केंद्र निर्धारण पारदर्शी तरीके से करने भर से नकल नहीं रुकने वाली है, बल्कि नकल माफिया पर पुख्ता नकेल कसने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं की बार कोडिंग कराने की तैयारी है।  बोर्ड ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है। शासन से प्रस्ताव अनुमोदित होते ही यूपी बोर्ड यह प्रयोग 2018 से ही लागू करने की तैयारी है।

माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा 2018 को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी  हैं। इस बार शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि  स्वकेंद्र प्रणाली लागू नहीं होगी और न ही जिला मुख्यालय से परीक्षा केंद्रों का निर्धारण होगा। परीक्षा केंद्र बोर्ड मुख्यालय पर बनाने के लिए सभी जिलों से वेबसाइट पर सूचनाएं ली जा रही हैं। बोर्ड अफसरों को यह पुख्ता सूचनाएं हैं कि परीक्षाओं में नकल माफिया अपने अभ्यर्थियों  को उत्तीर्ण कराने के लिए हर प्रयास करते हैं इसमें मुख्य रूप से कॉपियों की अदला-बदली का खेल तमाम प्रयासों के बाद भी रुक नहीं पा रहा है।

ऐसे में उत्तर पुस्तिकाओं की बार कोडिंग कराने की तैयारी है। बोर्ड ने इसके लिए पहले चरण में प्रदेश के दस उन जिलों को चिन्हित किया है, जो नकल के मामले में सबसे आगे है। यह प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, माना जा रहा है कि इस पर मुहर कुछ ही दिनों में लग जाएगी, ताकि समय से कॉपियों की छपाई का कार्य शुरू हो सके।

असल में यूपी बोर्ड अब तक उत्तर पुस्तिकाओं की कोडिंग कराता आ रहा है। 2017 की परीक्षा में भी प्रदेश के 31 जिलों की कॉपियों में कोडिंग की गई थी।बोर्ड ने परीक्षा से पहले शासन से यह संख्या बढ़ाकर 50 करने का अनुरोध किया था, लेकिन राजकीय मुद्रणालय ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए अधिक जिलों में कोडिंग कर पाने से हाथ खड़े कर दिए थे। ऐसे में शासन ने 2018 की परीक्षा में कोडिंग वाली कॉपियों का प्रयोग 31 से बढ़ाकर 50 पहले ही कर दिया है। बोर्ड अफसरों का मानना है कि कोडिंग में भी कॉपियां बदलाव के रास्ते माफिया खोज लेते हैं इसलिए उनकी बार कोडिंग की जरूरत है। यह कॉपियों पर पडऩे वाला ऐसा कोड होगा जिसको मोबाइल पर स्कैन करने पर सारे सिक्योरिटी फीचर्स दिखेंगे और इसे बदलना संभव नहीं होगा।

बोर्ड अपने प्रमाणपत्र यहां तक कि प्रवेश पत्र तक की बार कोडिंग करा चुका है। वह प्रयोग सफल रहा है इसलिए उत्तर पुस्तिकाएं बार कोडिंग की दिशा में कार्यवाही की जा रही है। बोर्ड का मानना है कि धीरे-धीरे सभी जिलों में बार कोड वाली कॉपियों पर ही परीक्षा कराई जाएगी। बस इस बार इसकी शुरुवात मात्र हो जाए।

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