निर्वाचन आयोग ने बुंदेलखंड की मुक्ति मोर्चा व एकीकृत पार्टी को निष्क्रिय घोषित किया.

नयी दिल्ली,13 सितम्बर 2022, निर्वाचन आयोग ने आज 253 राजनीतिक दलो को निष्क्रिय किया , 86 को सूची से हटाया है।

निर्वाचन आयोग ने कहा है कि यह दल 2014 से 2019 के बीच न तो किसी विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया था और न ही लोकसभा चुनाव में, इसलिए आयोग ने इसे अस्तित्वहीन’ (non existent ) मानते हुए अपनी सूची से हटाने का फैसला किया है और साथ ही जिनके कार्यालय की जानकारी नहीं उपलब्ध हुई व चुनाव में सक्रीय नहीं रहे उन्हें निष्क्रिय चिह्नितकिय गया है ,इसी कड़ी में बुंदेलखंड क्षेत्र की दो पार्टियो को निष्क्रिय चिन्हित कर उन्हें मुख्य सूची से हटा दिया गया है। यह पार्टियां है बुंदेलखंड एकीकृत(महोबा ) और दूसरी बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा (झाँसी) । क्षेत्रीय लोगो का कहना है कि बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी के संस्थापक और राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय के नौकरी में चले जाने के बाद पार्टी बिलकुल निष्क्रिय रही और बंद होने के कगार में आ गयी।उधार बुंदेलखंड की एक समय जोर शोर से चलनी वाली पार्टी बुन्देलखंड मुक्ति मोर्चा को राजा बुंदेला की वजह से चर्चा मिली उनके जाने के बाद धीरे-धीरे यह भी निष्क्रिय होकर बंद होने की तरफ तब चल पडी जब इनके शीर्ष नेताओ ने भारतीय जनता पार्टी की तरफ रुख करना प्रारम्भ किया। बुंदेलखंड क्षेत्र में अब सबसे पुरानी पार्टी बुंदेलखंड विकास दल ही एकमात्र पार्टी बची है जो बुंदेलियो की आवाज़ पूरे बुंदेलखंड में उठा रही है। यह पार्टी पहली पार्टी है जिसे उस क्षेत्र में चुनाव आयोग ने सर्वप्रथम पंजीकृत किया था। यह 31 साल पुरानी पार्टी अरुण सिंह चंदेल (वरिष्ठ पत्रकार)के नेतृत्व में ऊचाइयों को छू रही है। पार्टी ने प्रदेश में पिछला विधान सभा चुनाव भी लड़ा था। सतेंद्र की पार्टी बुंदेलखंड क्रांति दल भी पैर ज़माने की कोशिश कर रही है। बुंदेलखंड पृथक राज्य का नारा चंदेल जी द्वारा दिया गया इस उत्साह को लेकर क्षेत्रीय लोग बुंदेलखंड विकास दल में काफी सक्रीय योगदान दे रहे है।  @ फोर्थ इंडिया न्यूज़ टीम

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