पांच राज्यों के जनजातीय इलाकों में पोषणयुक्‍त चावल पर आईईसी मुहिम

नयी दिल्ली, 27 सितम्बर 2022,पोषणयुक्‍त चावल को लोकप्रिय बनाने और इसके फायदों के बारे में लोगों को विशेष रूप से देश के जनजातीय क्षेत्रों को जागरूक करने के लिए, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) और गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना राजस्थान, केरल की राज्य सरकारों ने उन जनजातीय क्षेत्रों और जिलों में कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित किए जहां के लोग थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया की चपेट में आते हैं।

गुजरात में, राज्य सरकार ने 9 सितंबर, 2022 को मेरिल अकादमी, वापी में एक कार्यशाला का आयोजन किया। इसके बाद, 13.09.2022 को नंदूरबार (महाराष्ट्र), 14.09.2022 को नासिक (महाराष्ट्र), 15.09.22 को कांकेर (छत्‍तीसगढ़), 16.09.2022 को जमशेदपुर (झारखंड) में, 20.09.2022 को बड़वानी (म.प्र.), 22.09.2022 को मंडला (म.प्र.) और 24.09.2022 को शहडोल (म.प्र.) में डीएफपीडी, विकास भागीदारों और एफसीआई के सहयोग से कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राज्य सरकारों के मंत्री, कलेक्टर, डीएम, तकनीकी विशेषज्ञ, स्थानीय विशेषज्ञ, डॉक्टर, सिविल सर्जन, गैर सरकारी संगठन, उचित मूल्य की दुकान के डीलर, सरपंच, जनजातीय क्षेत्रों के नेता, नागरिक आपूर्ति के अधिकारी, स्वास्थ्य, आईसीडीएस, विकास भागीदार और विशेषज्ञ शामिल हुए।

लोगों की चिंताओं को दूर करने वाले विशेषज्ञों में प्रमुख थे – डॉ. एस नायर, डॉ. एच गांधी, एमएस विश्वविद्यालय, वडोदरा, डॉ. के यादव, डॉ. टी आचारी, एम्स, नई दिल्ली, डॉ. राघवेंद्र सिंह, एमएएमसी, नई दिल्ली, डॉ. एन तायडे, पीडीएम मेडिकल कॉलेज, अमरावती, डॉ. एन बावा, नंदूरबार, डॉ. आर मेंडे, नेटप्रोफैन, नागपुर, डॉ. एम रुइकर, एम्स, रायपुर, डॉ. एस अग्रवाल, स्वास्थ्य विभाग, छत्तीसगढ़, डॉ. यू. जोशी, महानिदेशक, सिकल सेल संस्थान, छत्तीसगढ़, डॉ. बी. साहू, डॉ. के. सिंह, डॉ. एस.के. मकरम, वैज्ञानिक, कृषि विकास केन्द्र, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, कांकेर, डॉ. डी. कुमार, सहायक प्रोफेसर, रिम्स, रांची, डॉ. ए. चटर्जी और डॉ. डी. पांडे, एम्स, भोपाल। विशेषज्ञों ने फोर्टिफाइड स्टेपल और हीमोग्लोबिनोपैथी जैसे थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया पर उनके प्रभाव पर प्रस्तुतियां दीं।

प्रस्तुतियों के बाद पैनल चर्चा, तकनीकी विशेषज्ञों और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और एफसीआई के अधिकारियों द्वारा प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किए गए। विशेषज्ञों ने जनता के लिए पोषणयुक्‍त चावल के लाभों पर प्रकाश डाला और लोगों और स्थानीय मीडिया की चिंताओं और गलतफहमी को दूर किया। फोर्टीफिकेशन एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित सूक्ष्म पोषक तत्व (लौह, फोलिक एसिड, विटामिन बी 12) को 1:100 के अनुपात (100 किलोग्राम के साथ 1 किलोग्राम एफआरके मिलाकर) में फोर्टीफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) यानी पोषणयुक्‍त चावल के दाने सामान्य चावल (कस्टम मिल्ड चावल) में मिलाने की प्रक्रिया है। पोषणयुक्‍त चावल सुगंध, स्वाद और बनावट में लगभग पारंपरिक चावल के समान होते हैं। यह प्रक्रिया चावल मिलों में चावल को भूसी से अलग करते समय की जाती है।

चावल की भूसी अलग करने वाली मशीनों, एफआरके निर्माताओं, उद्योगों और अन्य हितधारकों पर निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए पोषणयुक्‍त चावल के उत्पादन और आपूर्ति के लिए चावल फोर्टीफिकेशन इकोसिस्‍टम उल्‍लेखनीय ढंग से बढ़ाया गया है। देश में 9000 से अधिक चावल मिलें हैं जिन्होंने पोषणयुक्‍त चावल के उत्पादन के लिए सम्मिश्रण बुनियादी ढांचा स्थापित किया है और उनकी संचयी मासिक उत्पादन क्षमता लगभग 60 एलएमटी है जो पिछले वर्ष से 4 गुना से अधिक है।

चावल का फोर्टिफिकेशन कम प्रतिवर्तन काल (टीएटी) के साथ आहार में विटामिन और खनिज सामग्री को बढ़ाने के लिए किफायती और पूरक रणनीति है और पोषण सुरक्षा की दिशा में एक कदम है और देश में एनीमिया और कुपोषण से लड़ने में मदद करता है। इस रणनीति को दुनिया के अनेक भागों में लागू किया गया है।

@ फोर्थ इंडिया न्यूज़ टीम 

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