पोल खोल – राज बब्बर का इस्तीफा: फेक न्यूज़ की चपेट में आया पूरा मीडिया

चौबीस गुणा सात, ख़बरों की भागदौड़ में टीवी चैनलों की चूक कोई नई बात नहीं है लेकिन इस बार अपेक्षाकृत गंभीर और तथ्यों के प्रति सजग माने जाने वाले समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया ने भारी चूक की है. हालांकि यह ख़बर तमाम वेबसाइटों पर भी गुमनाम स्रोतों से चली लेकिन एनडीटीवी इंडिया ने इस पर बाकायदा अपने रिपोर्टर को लाइव लेकर रिपोर्ट किया.

19 तारीख को दिल्ली में समाप्त हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में युवाओं के हाथ में बागडोर देने की बात कही गई थी. इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि पार्टी जल्द ही अब नए सिरे से जिम्मेदारियां बांटने का काम करने वाली है. इन सबके बीच मंगलवार की शाम ये ख़बर उड़ी कि उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने इस्तीफा दे दिया है.

एनडीटीवी इंडिया ने अपने संवाददाता उमाशंकर सिंह को लाइव लेकर इस ख़बर को चलाया कि राज बब्बर ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. उमाशंकर ने अपने चैनल के माध्यम से दर्शकों को बताया कि बड़े पैमाने पर कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाइयों में बदलाव होगा. चुनावी हार के बाद लंबे समय से इस बदलाव की संभावना थी. कई राज्य अध्यक्षों को हटाया जाना है. उमाशंकर ने बताया कि हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर का भी इस्तीफा लिया गया है.

उन्होंने कहा कि पार्टी की तरफ से इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की जा रही है. पर चैनल और रिपोर्टर दोनों ही खबर की पुष्टि करते दिखे. सवाल यह है कि एनडीटीवी को कौन से ऐसे विश्वसनीय सूत्र से राज बब्बर के इस्तीफे की खबर मिली थी? क्या चैनल फेक न्यूज़ के फेर में फंस गया?

22 तारीख की सुबह राज बब्बर ने खुद टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उनके इस्तीफे की ख़बर अफवाह है. इस स्टोरी में राज बब्बर का बयान था- “पार्टी की कमान नए अध्यक्ष के हाथों दी गई है, बदलाव निश्चित हैं. लेकिन मैंने इस्तीफा नहीं दिया है, मैं इस नई शुरुआत में कोई भी जिम्मेदारी उठाने को तैयार हूं.”

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने भी एक ट्वीट के माध्यम से अपने इस्तीफे की ख़बर को गलत बताया और एनडीटीवी पर आरोप लगाया कि उसने उनसे पुष्टि किए बिना ही फर्जी ख़बर चलाई.

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस संबंध में एनडीटीवी के संवाददाता उमाशंकर सिंह से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. हालांकि कांग्रेस के सूत्रों से जो ख़बरें आ रही हैं उनके मुताबिक कांग्रेस अध्यक्षों के इस्तीफे की ख़बरें संबंधित राज्यों की कांग्रेस इकाइयों में मौजूद विद्रोही गुटों द्वारा मीडिया में प्लांट की गई. इनमें गुजरात के कांग्रेस प्रमुख भरतसिंह सोलंकी के इस्तीफे की ख़बर भी थी. ज्यादातर मीडिया ने इन ख़बरों की विश्वसनीयता की पुष्टि करने की बजाय इसे जस का तस चला दिया.

जल्द ही इस पर बवाल शुरू हो गया. राज बब्बर और अशोक तंवर के विरोध और खंडन के बाद एनडीटीवी संवाददाता उमाशंकर सिंह ने एक और ट्वीट कर गड़बड़ी का ठीकरा कांग्रेस के ही सिर फोड़ दिया, यह कहते हुए कि- कांग्रेस के नेता अफवहों का खंडन करने में देरी करते है.

पर क्या एक पत्रकार की तरफ से जारी इस बचाव को स्वीकार किया जा सकता है? उमाशंकर के ट्वीट पर कई सवाल खड़े होते हैं मसलन, जब ख़बर की पुष्टि नहीं हुई थी तो एनडीटीवी इंडिया ने उसे चलाया क्यों? संवाददाता ने खुद कांग्रेस पार्टी से उन ख़बरों की पुष्टि क्यों नहीं की? एक पत्रकार का यह तर्क कितना सही है कि कांग्रेस के नेता अफवाहों का खंडन करने में देरी करते हैं? तो क्या पत्रकार खंडन के अभाव में अफवाहों को ख़बर बनाकर चला देंगे?

यह घटना एक हमारे समय के एक और पत्रकारीय संकट की ओर इशारा करती है. राजनीतिक दल खबरें प्लांट करने और ब्लैक आउट करवाने की कोशिश करते रहते हैं. यह पत्रकारों का काम है कि वे खबरों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करें, ख़बर से जुड़े सभी पक्षों को उसमें शामिल करें. वरना वे राजनीतिक दलों के हाथ की कठपुतली बनने को मजबूर हो रहेगे. अपनी भूल का ठीकरा राजनीतिक दलों सिर पर फोड़ना आसान है, समझदारी नहीं है. यह क्रिकेट की कॉमेंट्री नहीं है जहां गेंद हवा में है तो कॉमेंटेटर शॉट की तारीफ करता है और लपक ली गई तो गेंदबाज की तारीफ करने लगता है.

 

source- newslaundry