पोल -खोल – सपा नेता को यूपी पुलिस ने पीटा, इस झूठी खबर को फैलाने के लिए छह साल पुराने वीडियो का इस्‍तेमाल

“दंगा भड़काने वाले सपा के कैबिनेट मंत्री कमाल अख्तर को UP पुलिस ने बीच सड़क पर गद्दे और रजाई की तरह धोया। इस सुंदर दृश्य को शेयर कीजिये।” इस टेक्स्ट के साथ एक वीडियो वायरल हो रहा है। ‘नरेंद्र मोदी फॉर 2019 पीएम’ नाम के एक फ़ेसबुक पेज द्वारा इस वीडियो को उनकी टाइमलाइन पर 20 नवंबर को शेयर किया गया और इसे 75 हज़ार से अधिक लाइक मिले, 20 हज़ार बार शेयर किया गया और 16 लाख से भी अधिक बार इसे देखा गया।

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इस वीडियो की पहली सार्वजनिक उपस्थिति ट्विटर पर 16 नवंबर की पाई गई जिसे एक ट्विटर हैंडल @IamShubhJ द्वारा ट्विटर पर पोस्‍ट किया गया था। हालाँकि इस बात की काफी संभावना है कि यह वीडियो 16 नवंबर से पहले से ही व्हाट्सऐप पर वायरल हो गया था।

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कम से कम दो ऐसे लोगों, गौरव प्रधान और हार्दिक भट्ट ने भी इस वीडियो को अपनी टाइमलाइन पर शेयर किया जिन्‍हें ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी फ़ॉलो करते हैं।

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हालाँकि इस वीडियो को सबसे पहले नवंबर के बीच के दिनों में शेयर किया गया था, लेकिन यह सोशल मीडिया पर अभी भी वायरल है और इसे रोजाना सक्रियता के साथ शेयर किया जा रहा है। वीडियो के साथ भेजा जाना वाला टेक्स्ट सभी पोस्‍ट में एक जैसा है जिससे यह पता चलता है कि यह वीडियो व्हाट्सऐप पर वायरल है और लोग इसे अपनी फ़ेसबुक टाइमलाइन पर अपलोड करते समय टेक्स्ट को कॉपी-पेस्‍ट कर रहे हैं।

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हालाँकि, यह वीडियो दंगा भड़काने वाले सपा के कैबिनेट मंत्री के पिटने का वीडियो नहीं है। यह वीडियो यूट्यूब पर पिछले छह वर्षों से मौजूद है। सोशल मीडिया पर जिस वीडियो को शेयर किया जा रहा है, वह नीचे दिए गए इस यूट्यूब वीडियो से बनाई गई एक छोटी क्लिपिंग है जिसे 24 अप्रैल, 2011 को पोस्‍ट किया गया था।

ऊपर वाले वीडियो में दिए गए विवरण के मुताबिक, यह समाजवादी पार्टी के राजा चतुर्वेदी हैं जिन्हे 21 फरवरी, 2011 को उत्तर प्रदेश विधानसभा के सामने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा धकेला जा रहा था। हालाँकि उस समय की किसी समाचार रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि राजा चतुर्वेदी को पीटा गया था लेकिन 23 फरवरी, 2011 को इंडियन एक्सप्रेस की न्‍यूज़ रिपोर्ट में शिवपाल सिंह यादव ने आरोप लगाया कि मायावती सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए समाजवादी पार्टी के कई विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ धक्‍का-मुक्‍की की गई।

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है, “मंगलवार को समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी बहुजन समाज पार्टी ने सोमवार देर रात को राज्‍य की विधानसभा से इसके विधायकों को जर्बदस्‍ती बाहर निकालने के लिए गुंडों का सहारा लिया जबकि ये विधायक सदन को अचानक स्‍थगित करने और एक ऐसे बिल के प्रस्‍ताव के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे जिससे राज्‍य में विभिन्‍न नगर-निगमों के मेयर और अध्‍यक्षों के अप्रत्‍यक्ष चयन का रास्‍ता खुलता है। (अनुवाद)”

इन समाचार रिपोर्ट के आधार पर, यूट्यूब वीडियो के साथ दिया गया विवरण वास्‍तविक प्रतीत होता है।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि यह खास वीडियो वायरल हुआ है। गुरमीत राम रहीम सिंह को दोषी ठहराने के तत्‍काल बाद, सितंबर के महीने में भी इस टेक्‍स्‍ट के साथ उपरोक्‍त वीडियो वायरल हुआ कि, “रानिया हरियाणा का विधायक, जो पंचकूला में डेरा प्रमुख के समर्थन में आए थे, हरियाणा पुलिस ने सेना को सूचित किया, फिर सेना ने बीजेपी एमएलए के साथ यादगार भांगड़ा डांस किया: उनका नाम राम चंद कम्‍बोज है। (अनुवाद)”

यह पहली बार नहीं है कि कोई मिलता-जुलता वीडियो किसी अलग झूठे नैरेटिव के साथ कई बार शेयर किया गया है। ऑल्‍ट न्‍यूज़ ने दिखाया था कि किस तरह 11 सेकेंड के एक ही वीडियो तीन अलग-अलग घटनाएँ पेश करने के लिए प्रसारित किया गया था – नवादा, बिहार में मुसलमानों द्वारा हिन्‍दू पुरुष को मारने के रूप में, पश्चिम बंगाल में मुसलमानों द्वारा हिन्‍दू पुरुष को मारने के रूप में और कश्‍मीरी छात्रों द्वारा सीआरपीएफ़ के जवान को पीटे जाने के रूप में। इस काम में कई निहित स्‍वार्थी तत्‍व लगे हुए हैं जो छिपे हुए उद्देश्‍यों के साथ ऐसे वीडियो को गलत ढंग से पेश कर रहे हैं और इस तरह, पूर्वाग्रह, नफरत और डर फैला रहे हैं। जिस हठधर्मिता के साथ ऐसे वीडियो लगातार फैलाये जा रहे हैं, उससे न केवल कानून का पालन कराने वाले एजेंसियों के सामने एक चुनौती खड़ी होती है बल्कि इससे हमारे देश का सामाजिक ताना-बाना भी कमजोर होता है। ऐसे वीडियो मिलने पर इन्‍हें देखने वाले लोगों को चौकन्‍ना रहना चाहिए क्योंकि गलत सूचना और अफवाह फैलाने की इसमें काफी गुंजाइश होती है।

 

source- altnews