उत्तर प्रदेश,लखनऊ,14 सितम्बर2021 पहले ज़माने में धोखेबाज़ी के तरीके अलग थे,उसी दौर में अनेक ठग हुए जैसे नटवरलाल ,चार्ल्स शोभराज, अब्दुल करीम तेलगी फिर विजय माल्या और नीरव मोदी।अब लोगो को ठगने का तरीका है -यह फ़र्ज़ी वेबसाइट।यह फ्रॉड वाले आपको दिखायी नहीं देंगे ,इन फर्जी वेबसाइट के जाल में फस कर लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। यह फ़र्ज़ी लोग- फर्जी वेबसाइट्स को कुछ इस तरह से डिजाइन करते हैं कि वे देखने में असली की तरह लगे। इनका लिंक यू आर एल को भी कुछ इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि लोग बिना सोचे समझे असली समझ कर मांगी गई जानकारियां उन्हें दे देँ। यह ठग एस एम एस, ईमेल आदि के जरिए यूजर्स को लिंक भेजते हैं और उस पर क्लिक करने के लिए लिखते हैं। यू आर एल की जानकारी न होने पर ठगी का शिकार हो जाते है।
फर्जी वेबसाइट को पहचानने के लिए आप को जानकारी रखनी पड़ेगी,तभी ठगी का शिकार होने से बच सकेंगे। यह साइबर ठग एक जैसे दिखने वाले लोगों(LOGO), डोमेन(DOMAIN) – नेम(NAME) और नकली साइट बनाते हैं,सबसे पहले जरूरी है यू आर एल(URL) की पहचान करना। अगर वेबसाइट के यूआरएल(URRL) में https है तो यह एक असली वेबसाइट है फ़र्ज़ी में http। से शुरू होगा या अन्य तरीके हो सकते है । वैसे आपको वेबसाइट की स्पैलिंग(SPELLING) जरूर चेक करनी चाहिए।. registry.in/WHOIS की साइट में विजिट(VISIT) कर किसी भी वेबसाइट के डोमेन के बारे में पता लगाया जा सकता है।
अगर वेबसाइट पर कोई समपर्क जानकारी न दिखे तो आप समझ जाये की वेबसाइट फर्जी है। हो सके तो वेबसाइट के सबसे नीचे जाकर उसके कॉपीराइट की जानकारी अवश्य देखें। आपको मालूम होना चाहिए कि वो वेबसाइट फर्जी नहीं होती उनके URL के आगे ग्रीन लॉक का निशान लगा होता है,अगर आपको वेबसाइट पर पता की जानकारी ना मिले तो ऐसी साइट पर न जाये। कुछ ऐसी ही वेब साइट्स पी आई बी साइट्स पर जानकारी के लिये पब्लिश की गयी है :
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