बुलेट ट्रेन ‘मुफ्त’: कब तक हमें झूठे सपने दिखाते रहेंगे प्रधानमंत्री!

सपने कैसे दिखाए जाते हैं, यह कोई हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीखे. सरकार बनाने से पहले नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘अगर हमारी सरकार बनी तो काला धन वापस लाएंगे और हर शख्स के खाते में 15-15 लाख रुपए आएंगे.’ लेकिन बाद में पता चला कि आम आदमी जिसे प्रधानमंत्री का वादा समझ रहा था वह असल में ‘जुमला’ निकला.

अभी आम जनता इस ‘जुमले’ से उबर भी नहीं पाई थी कि प्रधानमंत्री ने एक और ऐलान कर दिया. देश में बुलेट ट्रेन का शिलान्यास करते हुए उन्होंने गर्व से कहा, जापान इंडिया को बुलेट ट्रेन दे रहा है और वो भी एक तरह से मुफ्त!

बमुश्किल पेट पालने वाला आदमी भी यह अच्छी तरह जानता है कि फ्री में कुछ नहीं मिलता. लेकिन पीएम मोदी सबको यह भरोसा दिलाने में लगे हैं कि जापान ने ‘एक तरह से’ बुलेट ट्रेन मुफ्त दिया है. बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव रखते हुए पीएम ने कहा था, ‘ये बुलेट ट्रेन जापान की भारत को बहुत बड़ी सौगात है. एक प्रकार से मुफ्त में ये पूरा प्रोजेक्ट बनता जा रहा है.’

आप ही लगाइए हिसाब!

अगर आप गणित में बहुत माहिर नहीं हैं तो भी यह हिसाब आसानी से लगा लेंगे. जापान ने भारत को 50 साल के लिए 88,000 करोड़ रुपए का लोन दिया है. इस लोन पर वह 0.1 फीसदी ब्याज वसूलेगा. अगर प्रधानमंत्री को यह बुलेट ट्रेन मुफ्त लग रही है तो इस तरह हम न जाने देश में कितने बुलेट दौड़ा लेंगे.

अगर हम इसे थोड़ी गहराई से समझें तो हमें पता चलेगा कि 88,000 करोड़ रुपए 50 साल के लिए 0.1 फीसदी ब्याज पर लेना फायदे का नहीं बल्कि घाटे का सौदा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह मामला ‘एक तो करेला, दूजा नीम चढ़ा’ जैसा है.

एक तो जापान ने भारत को 10-20 नहीं बल्कि 50 साल के लिए 88,000 करोड़ रुपए लोन दिया है. और दूसरा इसका रेट 0.1 फीसदी है, जापान की अर्थव्यवस्था के लिहाज से महंगा है. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में इस लोन की तुलना भारत के ऑटो लोन से करके अपनी पीठ जरूर थपथपा ली, लेकिन आपस में इनकी कोई तुलना नहीं है.

लॉन्ग टर्म इंटरेस्ट का चार्ट देखें तो पता चलेगा कि जापान ने भारत को सस्ता नहीं बल्कि महंगा लोन दिया है. जापान में लॉन्ग टर्म लोन पर ब्याज दर 0.07 फीसदी है. जबकि भारत को यह लोन 0.1 फीसदी के हिसाब से मिला है.

रुपए की वैल्यू गिरने से बढ़ेगा बोझ

अब बात करते हैं लोन की अवधि की. जापान ने 50 साल के लिए लोन दिया है. आर्थिक मंदी से गुजर रहे जापान के एक येन की वैल्यू भारतीय करेंसी में 1.73 रुपए है. लेकिन अगले 50 साल में येन के मुकाबले रुपए की वैल्यू गिरने की आशंका ज्यादा है. इससे भारत के लिए 88,000 करोड़ रुपए की यह रकम और बड़ी हो जाएगी.

एक आसान कैलकुलेशन के जरिए इसे देखते हैं. दो देशों की करेंसी का एक्सचेंज रेट उन दोनों देशों की महंगाई के अंतर से तय होता है. मान लीजिए अगले 20 साल तक भारत की महंगाई दर औसतन 3 फीसदी रहती है. इस दौरान अगर जापान की महंगाई दर जीरो रहती है (जैसा सबका अनुमान है) तो इसका सीधा मतलब है कि रुपए की वैल्यू येन के मुकाबले हर साल 3 फीसदी गिरेगी. इस हिसाब से 20 साल में रुपए की वैल्यू येन के मुकाबले 60 फीसदी से ज्यादा गिर जाएगी. ऐसे में अगर आज भारत 88,000 करोड़ रुपए लोन ले रहा है तो 20 साल बाद ही उसे 88,000 करोड़ रुपए के साथ 52,800 करोड़ रुपए (60 फीसदी बढ़ोतरी) देने होंगे. यानी 88,000 करोड़ रुपए के बदले 20 साल बाद ही भारत को 140800 करोड़ रुपए चुकाने होंगे.

50 साल के हिसाब से देखें तो यह रकम और बड़ी हो जाएगी. यह लोन इतना बड़ा है कि 0.1 फीसदी के हिसाब से भी देखें तो सरकारी खजाने पर इसका बोझ सालों तक रहेगा.

देश की अर्थव्यवस्था को रत्ती भर भी समझने वाला व्यक्ति भी यह समझ सकता है कि अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में कोई भी चीज मुफ्त नहीं होती है. लेकिन प्रधानमंत्री ने बगैर कुछ सोचे यह ऐलान कर दिया कि बुलेट ‘एक प्रकार से मुफ्त’ है.

 

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