ब्रिक्स से चोट खाए पाकिस्तान की चीन ने थपथपाई पीठ, अमेरिका को दी नसीहत

बीजिंग। ब्रिक्स घोषणापत्र से चोट खाए पाकिस्तान को उसके सबसे करीबी दोस्त चीन ने सहारा दिया है. चीन ने आज कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद से लड़ने में अपना बेहतरीन योगदान दिया है और कुछ देशों को पाकिस्तान को इसका पूरा श्रेय देना चाहिए. कुछ दिन पहले बीजिंग ने ब्रिक्स के उस घोषणापत्र का समर्थन किया था जिसमें पहली बार पाकिस्तान के लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों का नाम लिखा गया था.

विदेश मंत्री वांग यी ने यहां पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान चीन का करीबी और पक्का दोस्त है. चीन के मुकाबले कोई और पाकिस्तान को जानता और समझता नहीं है. आसिफ चीन का दौरा ऐसे समय में कर रहे हैं जब चीन ने हाल में श्यामन में संपन्न ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) सम्मेलन में आतंकवाद पर कड़े प्रस्ताव का समर्थन किया था.

प्रस्ताव में पाकिस्तान के लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद और हक्कानी नेटवर्क सहित अन्य आतंकी संगठनों द्वारा हिंसा पर चिंता जताई गई थी. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपनी दक्षिण एशिया और अफगानिस्तान नीति में आतंकवाद संबंधी मुद्दों पर पाकिस्तान की आलोचना की.

अपनी यात्रा से पहले आसिफ ने पहली बार स्वीकार किया कि पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर शर्मिंदगी से बचने के लिए आतंकी संगठनों पर लगाम कसने की जरूरत है. ब्रिक्स घोषणापत्र का सीधा जिक्र करने से बचते हुए वांग ने कहा कि आतंकवाद वैश्विक मुद्दा है और इसके लिए सभी देशों के एकजुट प्रयास की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने के बजाय, देशों को एक दूसरे के साथ काम करने की जरूरत है. कई सालों से पाकिस्तान आतंक से पीड़ित रहा है और महत्वपूर्ण बात यह है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग में महत्वपूर्ण प्रतिभागी है. उन्होंने भारत और अमेरिका के परोक्ष संदर्भ में कहा कि कुछ देशों को पाकिस्तान को वह पूरा श्रेय देना चाहिए जिसका वह हकदार है.

 

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