डॉ नेहा “प्रेम”(कवयित्री)
माँ एक ऐसी प्रेम के दाता।
इस संसार में जिसका कोई मोल नहीं।।
वह तो अनमोल है।
माँ की चरणों में स्वर्ग बसा है।।
माँ एक ऐसी प्रेम की “दाता”।
माँ ही मंदिर माँ ही पूजा।।
सब उनसे ही संसार हमारा।
माँ के आंचल में स्वर्ग का झूला।।
माँ एक ऐसी प्रेम की “दाता”।
माँ की गोद में दुख का निवारण।।
माँ की गोद भगवान से भी प्यारा।
माँ एक ऐसी प्रेम की “दाता”।।
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