मौदहा दशहरा जुलूस कांड से पूर्व कैबिनेट मंत्री,बादशाह सिंह बरी.

(रिपोर्ट :अरुण सिंह चंदेल,वरिष्ठ पत्रकार)

उत्तर प्रदेश,लखनऊ,07 फरवरी 2023, किसान नेता हीरा सिंह भदौरिया,अध्यक्ष राष्ट्रीय कोर कमेटी भारतीय हलधर किसान यूनियन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इस किसान यूनियन के राष्ट्रीय संरक्षक कुं .बादशाह सिंह, पूर्व कैबिनेट मंत्री, उ.प्र. सरकार तथा उनके 13 सहयोगियों पर वर्ष – 1994 के बुन्देलखण्ड के बहुचर्चित दशहरा काण्ड में लोवर कोर्ट से 02 वर्ष का कारावास तथा 5,500/- रु0 जुर्माने की सजा सुनाई गई थी,जिसमें मान.उच्च न्यायालय में की गई अपील पर आज कुं. बादशाह सिंह सहित सभी सहयोगियों को बाइज्जत दोषमुक्त कर ससम्मान बरी कर दिया गया है। जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि सत्य की विजय हुई है और गलत विचारधारा के लोगों का मुँह काला हुआ है। लोग जो कहते हैं सत्यमेव जयते अर्थात सत्य की हमेशा विजय होती है, आज सही साबित हुई है।

जैसे ही फैसला आया घर और कार्यालय में चाहने वालो का हुजूम लग गया। मान. न्यायालय के इस फैसले से क्षेत्र बुन्देलखण्ड उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में खुशी की लहर फैल गई है। सभी कार्यकर्ताओ ने ईश्वर को धन्यवाद देकर खुशी में एक – दूसरे को मिठाइयाँ खिलाई।
कुं.बादशाह सिंह सभी मुकदमों में दोषमुक्त होकर बरी हो चुके हैं, खास बात यह है कि अब उनके खिलाफ एक भी मुकदमा /अभियोग विवेचनाधीन/विचाराधीन नहीं है। भारतीय हलधर किसान यूनियन परिवार ने सभी साथ देने वालो को धन्यवाद दिया और कुं. बादशाह सिंह के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

आइये आपको बताते चले कि वाक्या जो बताया जाता है वो इस प्रकार था, मौदहा में दशहरा जुलूस निकालने को लेकर हुए बवाल में अदालत ने बलवा व सरकारी कार्य में बाधा डालने का दोषी करार देते हुए पूर्व श्रम मंत्री बादशाह सिंह समेत 11 आरोपितों को दो वर्ष का कारावास व 5500 रुपये जुर्मानेे की सजा सुनाई थी ।

मामले में तत्कालीन मौदहा कोतवाल द्वारा 13 नामजद व 500 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। सजा सुनाए जाने के बाद सभी आरोपितों को न्यायालय से जमानत पर रिहा कर दिया गया। तत्कालीन सहायक अभियोजन अधिकारी सत्येंद्र सिंह ने बताया था कि दशहरा जुलूस कस्बे के कुम्हडौरा मोहल्ले से होकर निकालने को मना कर दिया गया। वहां कब्रिस्तान पड़ने की बजह से इस पर रोक लगा दी थी। वहीं दशहरा कमेटी के सदस्य प्रति वर्ष वहीं से जुलूस निकालने की बात कह उसे वहीं से निकालने की मांग कर रहे थे। इस विवाद का कोप भाजन बादशाह सिंह को बनना पड़ा,पर सभी आरोप निराधार साबित हुए।

Be the first to comment

Leave a Reply