मौसम की मार का भुक्तभोगी बुंदेलखंड क्षेत्र,

रिपोर्ट -अरुण सिंह चंदेल,वरिष्ठ पत्रकार.

नयी दिल्ली,20 सितम्बर 2022 ,बुंदेलखंड,मौसम की मार हमेशा बुंदेलखंड क्षेत्र खाता रहता एक ओर जहां बारिश देर से शुरू हुई इस वजह से बुंदेलखंड में पड़ा सूखा,प्रशासन की लापरवाही से सरकार ने सूखा घोषित नहीं किया। सर्वे हुए उनमे लगभग 10 से 15 परसेंट नुकसान बताया गया है। आपको जैसा मालुम है कि बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में इस वर्ष मॉनसून की बारिश कम होने से खरीफ की फसल की बुवाई नहीं हो पायी थी, क्षेत्र के किसानो को काफी नुक्सान पंहुचा था।

आइये आपको इस क्षेत्र की थोड़ी जानकारी दे ,बुन्देलखण्ड मध्य भारत का एक अति प्राचीन क्षेत्र है। इसका प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है। इसका क्षेत्र उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में है।देश की प्रमुख भाषा अगर हिंदी है,तो इस क्षेत्र की मुख्य भाषा बुंदेली है। भौगोलिक और सांस्‍कृतिक विविधताओं के बावजूद बुंदेलखंड में जो अनूठी एकता और समरसता है, इसी कारण यह क्षेत्र अपने आप में सबसे अनूठा और प्रसिद्ध है। बुंदेलखंड की अपनी अलग ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक विरासत है।

बुंदेली की माटी में जन्‍मी अनेक विभूतियों ने न केवल अपना बल्कि इस क्षेत्र का नाम खूब रोशन किया और इतिहास में अमर हो गए।प्रमुख रूप से चंदेल शासकों का शासन था। चंदेल राजाओं ने बुंदेलखंड में 9वीं से लेकर 13वीं सदी तक राज किया। महान चन्देल शासक बिधाधर चन्देल, आल्हा-ऊदल, खेतसिंह खंगार, महाराजा छत्रसाल बुंदेला, राजा भोज, ईसुरी, कवि पद्माकर, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, डॉ॰ हरिसिंह गौर, दद्दा मैथिलीशरण गुप्त, मेजर ध्यान चन्द्र, गोस्वामी तुलसी दास, दद्दा माधव प्रसाद तिवारी महोबा आदि अनेक महान विभूतियाँ इसी क्षेत्र से संबद्ध रखती हैं।

इस क्षेत्र में फसलें कभी सूखे से,कभी अति ओलावृष्टि से, तो कभी मूसलाधार बारिश से खराब हुईं।किसान चाहे आत्महत्या करे या भूखा मरे सरकार के पास सिर्फ आश्वासन है।  जनवरी 2022 में रबी सीजन में ओलावृष्टि कहर ने किसानों की गेहूं की खड़ी फसलो को बर्बाद किया।

यह सब तो किसान सह चूका था, किसान अरहर की फसल के अलावा मूंग, उड़द, तिल, मूंगफली, ज्वार और बाजरा जैसी फसलों को उगाते,तो इन्हें पकने में करीब 3 महीने का समय लगता है, बुंदेलखंड में जब बारिश शुरू हुई तो थमने का नाम नहीं ले रही थी।जिससे खरीफफसलों (धान/चावल,मक्का,ज्वार,बाजरा,मूँग,मूँगफली,गन्ना,सोयाबीन) की बुवाई रोकने पर मजबूर हुए किसान।

बुंदेलखंड छोड़ अगर देश की बात करे ,देश में दक्षिण-पश्चिम राजस्थान पर प्रतिचक्रवात बनने के कारण उत्तर पश्चिमी भारत में शुष्क हवाएँ चलेगी रहेंगी और मौसम भी शुष्क रहने की सम्भावना है। अगले दो दिनों में उत्तर-पश्चिम भारत से दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी के लिए ठीक हैं। मॉनसून दिल्ली, बरेली,गंगानगर, वाराणसी, बालासोर,डाल्टनगंज और उसके बाद दक्षिण पूर्व की ओर बंगाल की पूर्व मध्य खाड़ी की तरफ रूक करेगा ।

@ (फोर्थ इंडिया न्यूज़)

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