यूपी की कानून व्यवस्था धवस्त – इलाहाबाद में दलित छात्र की हत्या पर शहर में उबाल, सदन में हंगामा

इलाहाबाद में दलित छात्र दिलीप सरोज की हत्या के विरोध में सोमवार को छात्रों ने नारेबाज़ी, प्रदर्शन और आगज़नी की.

छात्रों का ग़ुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ है. वहीं दूसरी ओर इस घटना को लेकर विधानसभा में भी जमकर हंगामा हुआ.

प्रतापगढ़ के रहने वाले और इलाहाबाद में रहकर क़ानून की पढ़ाई करने वाले छात्र दिलीप को कुछ लोगों ने बेरहमी से मारा पीटा और बाद में रविवार को अस्पताल में उनकी मौत हो गई.

पूरी घटना सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल वीडियो के ज़रिए लोगों के सामने आई.

तीन भाइयों और दो बहनों में दिलीप सबसे छोटे थे. उनके बड़े भाई महेश चंद्र बताते हैं कि घटना की रात उन्हें एक पुलिस कांस्टेबल ने जानकारी दी.

रायबरेली में सांख्यिकी अधिकारी के पद पर तैनात महेश चंद्र ने बीबीसी को बताया, “मैं तो उस वीडियो को पूरा देखने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाया. कितनी बेरहमी से पीटा गया है मेरे भाई को. कोई देख ले तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. क्या कहें, सबसे लाडला भाई था हमारा, दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है हम पर.” वहीं दिलीप की मां का रो-रोकर बुरा हाल है.

पुलिस के मुताबिक हत्या के मुख्य अभियुक्त ग़ाज़ीपुर के रहने वाले विजय शंकर सिंह हैं, जो रेलवे में टीटीई हैं. उनके तीन साथियों को पुलिस गिरफ़्तार कर चुकी है लेकिन विजय शंकर सिंह पुलिस की गिरफ्त से अभी भी बाहर हैं.

प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि घटना के काफी देर बाद पुलिस आई जबकि उसे सूचना दी जा चुकी थी.

लेकिन इलाहाबाद के एसपी सिटी सिद्धार्थ शंकर मीणा दावा करते हैं कि सात मिनट के अंदर पुलिस पहुंच चुकी थी.

बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, “दरअसल, पुलिस को सूचना ही देर में दी गई, लेकिन सौ नंबर पर डायल करने के सात मिनट के भीतर पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई थी.”

वहीं घटना पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है. विधानसभा और विधान परिषद में विपक्षी सदस्यों ने इसे लेकर जहां सरकार को घेरा वहीं बीएसपी के नेताओं का एक प्रतिनिधमंडल पीड़ित परिवार से मिलने रायबरेली पहुंचा. विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के नेता अहमद हसन ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया.

अहमद हसन का कहना था, “क़ानून-व्यवस्था के नाम पर सरकार पूरी तरह से फ़ेल हो चुकी है और अपनी नाकामी छिपाने के लिए फ़र्जी एनकाउंटर कर रही है.”

फ़िलहाल सरकार ने पीड़ित परिवार के लिए बीस लाख रुपये के मुआवज़े का एलान कर दिया है लेकिन दिलीप की मौत से परिवार पर जो कहर बरपा है, उस पर शायद ही कोई मुआवजा मरहम लगा सके.