यूपी कैबिनेट में अफसरों की भर्ती से लेकर सिनेमा घरों को छूट देने सहित कई बड़े फैसले

योगी सरकार ने पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के एक और अहम फैसले को पलट दिया है। सरकार ने अब नगर निकायों में अधिशासी अधिकारियों (ईओ) समेत 5400 ग्रेड पे से अधिक वेतन वाले सभी संवर्ग के पदों पर भर्ती का अधिकार उप्र. लोक सेवा आयोग को फिर सौंपने का फैसला किया है। नगर विकास विभाग द्वारा तैयार इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
सरकार के इस फैसले के बाद विभिन्न संवर्गों के करीब 1500 पदों पर भर्ती अब आयोग के जरिए होगी। दरअसल, तत्कालीन नगर विकास मंत्री मो. आजम खां के दबाव में अखिलेश सरकार ने मई 2016 में ईओ समेत 5400 ग्रेड पे से अधिक वेतन वाले सभी पदों भर्ती का अधिकार लोक सेवा आयोग से वापस ले लिया था।

सरकार ने इन पदों पर भर्ती विभागीय स्तर से कराने का फैसला किया था। हालांकि उस समय यह भी तय हुआ था कि इसके लिए आयोग से आनपत्ति लेकर ही भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पिछली सरकार ने लोक सेवा आयोग से अनापत्ति लेने का प्रयास भी किया था, लेकिन आयोग ने अनापत्ति नहीं दी थी। इसलिए आजम के मंत्री रहते हुए इन पदों पर भर्ती नहीं हो पाई।

नियमानुसार ये सभी पद लोक सेवा आयोग के दायरे के हैं, इसलिए योगी सरकार ने इन पदों पर भर्ती का अधिकार फिर लोक सेवा आयोग को देने का फैसला किया है। इस निर्णय के बाद अब जल्द ही 1500 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है।

इन अहम पदों पर भर्ती करेगा लोक सेवा आयोग
पद–संख्या
ईओ (नगर पालिका परिषद)–35
ईओ (नगर पंचायत)–220
अवर अभियंता (सिविल)–50
अवर अभियंता (जलकल)–150
अवर अभियंता (ट्रैफिक)–15
अवर अभियंता (नगर पंचायत)–20
कर निरीक्षक–50
सहायक लेखाकार–57

शुरू होंगे बंद हो चुके सिंगल स्क्रीन सिनेमागृह

प्रदेश में बंद हो चुके सिंगल स्क्रीन सिनेमागृहों को प्रदेश सरकार ने फिर शुरू कराने का फैसला किया है। मनोरंजन कर विभाग द्वारा बंद सिनेमाघरों को खोलने के लिए तैयार की गई नीति को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

इस फैसले से बंद हो चुके सिंगल स्क्रीन वाले 552 सिनेमाघरों को फिर से खोलने में मदद मिलेगी। सरकार इस श्रेणी के सिनेमागृहों को फिर से चालू करने पर ‘राज्य माल एवं सेवा कर’ (एसजीएसटी) में 50 से 100 प्रतिशत तक छूट देगी।

प्रदेश में इस समय 848 सिंगल स्क्रीन सिनेमागृह हैं। सिंगल स्क्रीन वाले जो सिनेमाघर बंद हैं, उन्हें चालू करने पर सरकार 5 साल तक एसजीएसटी में छूट देगी।

सरकार द्वारा तय मानक के मुताबिक पहले 3 साल तक 100 प्रतिशत और शेष 2 साल तक 75 प्रतिशत एसजीएसटी में छूट मिलेगी, बशर्ते सिनेमा हाल में कम से कम 300 दर्शकों के बैठने की सुविधा हो। नीति के तहत सिनेमागृहों में अन्य व्यावसायिक गतिविधियां शुरू करने पर भी छूट मिलेगी।

इन शहरों के सिनेमा घरों को मिलेगी छूट

PC: amar ujala

सरकार सिंगल स्क्रीन के उन सिनेमाघरों को भी टैक्स में छूट देगी, जिन्हें सिर्फ आंतरिक परिवर्तन करके शुरू किया जाएगा। यह छूट उन सिनेमाघरों को ही दी जाएगी, जो नोएडा, ग्रेटर नोएडा या नगर निगम वाले शहरों में स्थित हैं।

ऐसे सिनेमाघरों को चालू करने पर भी सरकार छूट देगी, जिन्हें सिर्फ रंगाई-पुताई व मरम्मत करके शुरू किया जाएगा। हालांकि ऐसे सिनेमाघरों को चालू होने के सिर्फ तीन साल तक 50 प्रतिशत की ही छूट मिलेगी।

सरकार उन सिनेमाघरों को चालू करने पर भी मदद करेगी, जो पुराने तरीके से बने हैं और उनके परिसर कोई अन्य व्यावसायिक गतिविधियां नहीं हो रही थीं। ऐसे सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमाघरों को चालू करने पर भी सरकार 5 साल तक एसजीएसटी में छूट देगी। पहले एक साल तक 100 प्रतिशत, दूसरे व तीसरे साल में 75 प्रतिशत और चौथे व पांचवें साल में 50 प्रतिशत छूट देने का प्रावधान किया गया है।

40 मजदूर होने पर ही यूनिट पर लागू होगा कारखाना अधिनियम

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योगी सरकार ने जहां निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों के पंजीयन शुल्क को कम कर दिया है, वहीं उत्पादन यूनिट लगाने वाले लघु उद्यमियों के लिए भी राहत प्रदान कर दी है।

अब न्यूनतम 40 मजदूर होने पर ही वो यूनिट कारखाना अधिनियम के दायरे में आएगी। अभी तक किसी भी यूनिट में 20 मजदूर काम करने पर ही वहां अधिनियम के सारे प्रावधान लागू हो जाते थे। कैबिनेट की बैठक में इन प्रस्तावों पर मुहर लगा दी गई।

वहीं सरकार ने निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों का पंजीयन शुल्क 50 रुपये से घटाकर 20 रुपये कर दिया गया है। रिन्युवल फीस भी घटाकर 20 रुपये कर दी गई है। एक बार कराया गया पंजीकरण तीन साल तक मान्य रहेगा।

अभी तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए यह जरूरी था कि श्रमिक का लगातार तीन साल तक पंजीकृत रहा हो, पर अब यह अवधि घटाकर एक साल कर दी गई है। वहीं, कारखाना अधिनियम के लिए मजदूरों की निर्धारित न्यूनतम संख्या में भी इजाफा कर दिया गया है। बता दें कि किसी भी यूनिट के कारखाना अधिनियम में आने पर नियोक्ता को सामाजिक सुरक्षा की योजना को लागू करना अनिवार्य होता है।

बरेली और कानपुर को नई पहचान देने की कवायद

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योगी सरकार ने एयरपोर्ट के नामकरण के बहाने बरेली और कानपुर शहरों को नई पहचान देने का प्रयास किया है।

कैबिनेट की बैठक में बरेली में एयरपोर्ट का नामकरण ‘नाथनगरी’ और कानपुर के चकेरी एयरपोर्ट का नाम बदलकर गणेश शंकर विद्यार्थी एयरपोर्ट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।

लंबे समय से हिंदुवादी संगठन बरेली का नाम नाथनगरी करने की मांग कर रहे हैं। इस शहर के चारों कोनों पर नाथ मंदिर हैं। बरेली शहर का नाम बदलना उतना आसान नहीं है, क्योंकि इस नाम में उसका इतिहास भी छुपा है, लेकिन एयरपोर्ट का नाम नाथनगरी होने से एक वर्ग को खुश रखने में काफी हद तक सफलता मिलेगी।

इसी तरह से कानपुर के चकेरी एयरपोर्ट का नाम प्रख्यात पत्रकार और स्वतंत्रता संग्राम सेना गणेश शंकर विद्यार्थी के नाम पर रखने का फैसला किया है। इलाहाबाद में जन्मे गणेश शंकर विद्यार्थी की कर्मभूमि कानपुर ही रही है। 1931 में कानपुर में हुए हिन्दु-मुस्लिम दंगे में उनकी हत्या कर दी गई थी।