योगी-राज में चिराग तले अंधेरा, बकाया वेतन मांगने पर महिलाओं के साथ मारपीट और ज़हरखुरानी

अमन कुमार

दो दिन पहले पूरी दुनिया में जब अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा था और प्रधानमंत्री महिलाओं के सम्‍मान में भाषण दे रहे थे, उस वक्‍त लखनऊ के वैभव खंड, गोमती नगर स्थित मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के सरकारी हेल्‍पलाइन 1076 का संचालन करने वाली महिला कर्मचारियों से मारपीट की गई, हेल्‍पलाइन वाली इमारत में उन्‍हें बंधक बनाया गया और ज़हरीली काफी पिला दी गई। उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री की सरकारी हेल्‍पलाइन सेवा के कर्मचारियों ने जैसे संगीन आरोप हेल्‍पलाइन संचालक कंपनी श्‍योरविन के अधिकारियों और लखनऊ पुलिस पर लगाए हैं, वे सीधे योगी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हैं।

सारा मामला 7 मार्च को शुरू हुआ जब चार महीने का वेतन भुगतान न किए जाने के विरोध में एक कर्मचारी हेल्‍पलाइन की इमारत पर चढ़ गया और कूदने की धमकी देने लगा। देखते ही देखते वहां अच्‍छा खासा मजमा लग गया और उसे नीचे उतारा गया। इसके बाद शिफ्ट के हिसाब से इमारत के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू हुआ और स्थिति बिगड़ने लगी। अगले दो दिन तक करीब डेढ़ हज़ार कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन की खबर कहीं मीडिया में नहीं आई लेकिन कंपनी के भीतर तनाव का माहौल कायम रहा और कर्मचारियों को धमकाया जाता रहा।

शुक्रवार की सुबह करीब दस बजे एक कर्मचारी हेमन्‍त त्रिपाठी ने मीडियाविजिल को फोन पर बताया कि दो लड़कियों ने ज़हर खालिया है और उन्‍हें लोहिया अस्‍पताल में भर्ती कराया गया है। उसने बताया कि उनके एक साथी को पुलिस उठा ले गई है। मामला बिगड़ने के बाद जब मीडिया लोहिया अस्‍पताल में भर्ती लड़कियों के पास पहुंचा तो लड़कियों ने सारी सच्‍चाई उगल दी।

योगी आदित्‍यनाथ ने जुलाई 2017 में सात दिन चौबीस घंटे की एक हेल्‍पलाइन शुरू करने की योजना बनाई थी। अक्‍टूबर 2017 में दूरसंचार विभाग की ओर से उत्‍तर प्रदेश सरकार को 1076 नंबर इसके लिए आवंटित किया गया और परिचालन शुरुआती 500 कर्मचारियों के साथ नवंबर में शुरू हो गया। यह योजना मध्‍यप्रदेश सरकार की हेल्‍पलाइन से प्रेरित थी, लिहाजा मध्‍यप्रदेश के भोपाल की कंपनी श्‍योरविन को यह ठेका दिया गया। इस कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक बीपीओ सेवाओं में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर का इसका काम है। इसके निदेशक है अभिषेक गुप्‍ता और सोनिका गुप्‍ता।

मीडियाविजिल ने कंपनी की वेबसाइट पर दिए गए दो नंबरों पर बात करने की कोशिश की। फोन उठाने वाले ने एक जिम्‍मेदार अधिकारी का नंबर भेजने को कहा, लेकिन उसने नंबर नहीं भेजा। फिर कंपनी के भोपाल कार्यालय क रिसेप्‍शन पर फोन लगाया गया तो वहां से लखनऊ परिचालन के टीम लीडर सोनू पटेल का नंबर मिला। सोनू पटेल ने फोन उठाते ही सबसे पहला सवाल पूछा कि आपको नंबर कहां से मिला। जब बताया गया कि नंबर भोपाल के रिसेप्‍शन से मिला है तो पटेल ने नंबर देने वाले का नाम पूछा। उसके बाद मामला पूछा कि क्‍यों बात करनी है। जब कर्मचारियों के असंतोष के बारे में जि़क्र किया गया, तो उसने कॉल को होल्‍ड पर डाल दिया। थोड़ी देर बाद किसी और व्‍यक्ति की आवाज़ उधर से आई और उसने कहा, ”मैं इस वक्‍त मध्‍यप्रदेश में हूं। इस बारे में कुछ नहीं जानता।” फिर फोन काट दिया गया। जिन महिला कर्मचारियों से मारपीट और अभ्रदता की गई है, उन्‍होंने अनुराग गुप्‍ता नाम के एक सुपरवाइज़र को दोषी ठहराया है।

सारा बवाल कर्मचारियों के बकाया वेतन से जुड़ा है। पिछले चार महीने से काम कर रहे कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है। यहां काम कर रहे कर्मचारियों के अनुसार उनके साथ अन्याय हो रहा है, लगातार चार महीनों से हेल्पलाइन के कॉल सेण्टर में सेवाएं देने के बावजूद 1500 से ज्यादा लोगों को अभी तक वेतन नहीं दिया गया है। विरोध में आक्रोशित कर्मचारी पिछले कुछ दिनों से धरना-प्रदर्शन पर उतर आए हैं।

हेल्पलाइन सेंटर में काम करने वाले हेमन्त त्रिपाठी ने बताया- ”जब हम ज्‍वाइनिंग के लिए आए तो हमें 15 दिन की ट्रेनिंग करवाने के बाद ज्‍वाइन करने को कहा गया। पंद्रह दिन काम करने के बाद हमारी नियुक्ति कर दी गई। महीने के आखिर में जब हमारा वेतन नहीं आया और हमने वेतन के लिए बात की तो हमसे कहा गया कि अभी अकाउंट में कुछ समस्या है, उसके सही होते ही आपका वेतन दिया जाएगा।”

सभी कर्मचरी आश्‍वस्‍त हो गए लेकिन काम करते हुए जब तीन महीने से ज्यादा हो गया तो वेतन न मिलने पर लड़को ने सैलरी को लेकर एक दिन सभी कर्मचारियों ने ऑफिस के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। लड़कियों के मुताबिक पिछले चार महीने में सुपरवाइजर ने उन्हें सिर्फ 1900 रुपये तनख्वाह दी थी। टेलीकॉलर लड़कियों ने 15 और 16 फरवरी को मुख्‍यमंत्री आवास पर जाकर फरियाद की थी तो 6 मार्च तक पूरा वेतन देने का वादा किया गया था।

हेल्पलाइन में काम करने वाली वैष्णवी शुक्ला ने बताया कि सेंटर में कुल 1594 लोग काम करते हैं और 6 मार्च तक तक वेतन मिलने के आश्वासन पर लोग सहमत थे। जब 6 मार्च को इंतजार करने के बाद वेतन नहीं मिला तो हेल्पलाइन के कर्मचारियों ने हंगामा कर दिया और दो दिन पहले दुर्गेश नाम का युवक सैलरी न मिलने के विरोध में टावर पर चढ़ गया।

शुक्‍ला का कहना है कि ऑफिस के बाहर प्रदर्शन करने पर उनको पुलिस से पिटवाया गया। लडकियों के साथ अभद्रता की गई। उन्‍हें गंदी गालियां दी गईं। विरोध प्रदर्शन कर रही एक लड़की ने शुक्रवार को जहर खा लिया। शुक्‍ला के मुताबिक लड़की काफी गरीब परिवार से थी और उसको पैसों की ज़रूरत थी लेकिन तीन महीने तक काम करने के बाद भी जब पैसे नहीं मिले तो उसको सदमा लग गया।

शुक्रवार 9 मार्च को कर्मचारी जब काम पर आए तो उनके फोन छीनकर उन्‍हें एक कमरे में बंद कर दिया गया। बिना कारण बताये उनसे खाली पेपर पर दस्तखत करवाए गए। नवभारत टाइम्‍स की ख़बर के मुताबिक, ”लड़कियों का आरोप है कि शुक्रवार की सुबह ट्रेनर अनुराग व सुपरवाइज़र आशुतोष ने 20 टेली कॉलर्स को अपने कमरे में बुलाया। इन लोगों ने सभी से सादे कागज पर दस्तखत करने को कहा। लड़कियों ने विरोध किया तो धमकी दी और अभद्रता भी की। हंगामे के बीच पांच टेलीकॉलर मोहनलालगंज निवासी शालू यादव, बिहार निवासी शिवानी, मड़ियांव निवासी सीमा और शमा नाज परवीन, जौनपुर निवासी मंजू यादव बेहोश होकर गिर पड़ीं। वहां मौजूद अन्य टेली कॉलर, पांचों लड़कियों को लेकर लोहिया अस्पताल पहुंचीं और उन्हें भर्ती कराया।”

नवभारत टाइम्‍स की ख़बर के मुताबिक सीएम हेल्प लाइन कार्यालय के सामने हंगामा करने के मामले में पुलिस ने वहीं काम करने वाले चार लड़कों के खिलाफ शांति भंग की आशंका में कार्रवाई की है। इन लोगों पर माहौल बिगाड़ने के प्रयास का आरोप है। आरोपितों में सीतापुर रोड योजना निवासी रवि साहू, गोसाईंगंज के अमेठी स्थित तिवारीपुर निवासी दुर्गेश कुमार, गोमतीनगर के विश्वासखंड निवासी आकाश तिवारी और मोहनलालगंज के अनुराग शर्मा शामिल हैं।

पिछले लंबे समय से मुख्‍यमंत्री की हेल्‍पलाइन में चल रहे असंतोष के बारे में ख़बरें कहीं नहीं आई थीं। पहली बार 6 मार्च को जब कायदे से हंगामा हुआ तो केवल अमर उजाला में ही खबर छपी थी। कंपनी के भीतर इस मामले को दो दिन तक दबाने की कोशिश की गई, लेकिन शुक्रवार को जब लड़कियों की झडप पुलिस से हुई और अस्‍पताल में दस लडकियों को भर्ती कराया गया, तब जाकर मामला मीडिया में आ ही गया। अभी भी स्थिति यह है कि इंडिया टुडे आउटसोर्सिंग कंपनी को एनजीओ लिख रहा है और किसी भी अख़बार ने श्‍योरविन कंपनी के किसी अधिकारी का बयान नहीं छापा है। मीडियाविजिल ने लखनऊ के टीम लीडर सोनू पटेल से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्‍होंने फोन को होल्‍ड पर डालकर कहीं और ट्रांसफर कर दिया।

 

source- mediavigil