रिलायंस जियो से ज्यादा गूगल और फेसबुक से है टेलिकॉम कंपनियों को खतरा

नई दिल्ली- भारत के टेलिकॉम मार्केट में रिलायंस जियो की लॉन्चिंग के बाद से डेटा की कीमतों में बड़ी जंग शुरू हो गई है। डेटा की प्राइसिंग और फ्री वॉइस कॉल्स की सुविधा के चलते मार्केट में पहले से ही प्रतिस्पर्धा तेज हो गई थी, इसके बाद अब सस्ते स्मार्टफोन ने मार्केट में हलचल की शुरुआत कर दी है। देश की दिग्गज टेलिकॉम कंपनियों में से एक एयरटेल ने रिलायंस पर कीमतों में उथल-पुथल मचाने का आरोप लगाया है। कंपनी का कहना है कि ट्राई का इसका संज्ञान लेना चाहिए। दोनों ही कंपनियां नए बाजार में पुरानी रणनीति अपना रही हैं।

हालांकि इन टेलिकॉम कंपनियों को एक-दूसरे से जितना खतरा है, उससे कहीं अधिक उन्हें फेसबुक, गूगल और ऐपल जैसी कंपनियों से है। ये कंपनियां दुनिया भर में टेलिकॉम मॉडल को ही समाप्त कर देने पर विचार कर रही हैं। बीते 20 सालों में मोबाइल टेलिफोनी कारोबार में बड़ा बूम आया है। टेलिकॉम कंपनियां आज इलेक्ट्रिसिटी और पानी मुहैया कराने वाली कंपनियों की तरह से ही काम कर रही हैं। ये कंपनियां दुनिया भर में हर शख्स तक या उससे अधिक मोबाइल पहुंचाने के लिए काम करती रही हैं। लेकिन, इन्होंने वैश्विक स्तर पर टेक्नॉलजी को लेकर काम नहीं किया है।

भारत की बात करें तो टेलिकॉम कंपनियों ने अपनी सर्विसेज को बड़े शहरों तक ही सीमित रखा है और छोटे कस्बों एवं पिछड़े इलाकों की उपेक्षा की है। ये कंपनियां वॉइस कॉल्स पर प्रति मिनट बिलिंग और महंगा डेटा के मॉडल पर काम करती रही हैं। हायर वैल्यू कस्टमर्स से ये कंपनियां रोमिंग पर मोटी फीस, इंटरनैशनल कॉल्स और डेटा चार्जेज के जरिए बड़ी कमाई करती रही हैं। इसके बावजूद हाईस्पीड डेटा सर्विस लेने वाले यूजर भी यू-ट्यूब से 30 सेकंड की क्लिप को आसानी से डाउनलोड नहीं कर पाते।

दूसरी तरफ तकनीकी कंपनियों की बात करें तो इसी दौरान स्काइपी का जन्म होता है और वॉट्सऐप जैसी ग्लोबल मैसेजिंग कंपनी अस्तित्व में आती है। यही नहीं गूगल के मालिकाना हक वाली कंपनी यूट्यूब पर ऑफलाइन विडियोज की सुविधा भी दी गई है। इसके अलावा यूट्यूब ने रिजॉल्यूशन के आधार पर डेटा यूज को सीमित करने का ऑप्शन भी दिया है। इसी का नतीजा हुआ है कि टेलिकॉम कंपनियों की वैल्यू एडेड सर्विसेज के प्रति लोगों का रुझान बहुत कम हुआ है।

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