लोहे की रॉड लेकर भारतीय सीमा में घुसे थे चीनी सैनिक, ITBP जवानों ने लाठियों से रोका!

नई दिल्ली: भारत जिस दिन अपनी आजादी का जश्न मना रहा था, उसी दिन भारतीय सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों ने लद्दाख में मशहूर पानगोंग झील के किनारे भारतीय क्षेत्र में घुसने की चीनी सैनिकों की कोशिश को नाकाम कर दिया. चीन की घुसपैठ को रोकने के बाद उसके सैनिकों ने पथराव किया. इसका भारतीय सैनिकों ने जवाब दिया. इस घटना में दोनों तरफ के लोगों को मामूली चोटें आई हैं.

अधिकारियों ने बताया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने सुबह छह बजे से नौ बजे के बीच दो इलाकों- फिंगर फोर और फिंगर फाइव में भारतीय सीमा में दाखिल होने का दो बार प्रयास किया, लेकिन इन दोनों मौकों पर भारतीय जवानों ने उनके प्रयासों को नाकाम कर दिया.

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि चीनी सैनिक लोहे की रॉड लेकर आए थे जबकि आईटीबीपी जवानों ने उनका सामना लाठियों से किया. जवान यहां गन के साथ पेट्रोलिंग नहीं करते हैं. आईटीबीपी जवानों ने ह्युमन चेन बनाकर चीनी सैनिकों को रोका. इसके बाद चीनी सेना के जवान अपने इलाके में वापस लौट गए और वहीं से पथराव शुरू कर दिया. ये घटना पूर्वी लदाख के पांगोंग झील के फिंगर 4 और फिंगर 5 पोस्ट के पास हुई. इस घटना पर सेना की ओर से ऑन रिकॉर्ड कोई भी कुछ नहीं बोल रहा है. सेना के प्रवक्ता ने भी किसी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया है.

जब चीनी सैनिकों ने पाया कि उनके सामने भारतीय सैनिक मानव श्रृंखला बनाकर खड़े हैं तो उन्होंने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया, जिसके बाद भारतीय जवानों ने तत्काल जवाब देते हुए पथराव किया. इस घटना में दोनों तरफ के लोगों को मामूली चोटें आईं और रस्मी ‘बैनर ड्रिल’ के बाद स्थिति को नियंत्रण में लाया गया. बैनर ड्रिल के तहत दोनों पक्ष अपने स्थान पर जाने से पहले बैनर दिखाते हैं. चीनी सैनिकों ने ऐसा पहली बार किया है.

रक्षा एक्सपर्ट कर्नल संजीत कुमार ने एक हिंदी टीवी चैनल को कहा कि चीन और भारत के बीच युद्ध होने के हालात अभी नहीं है. उन्होंने कहा कि युद्ध ओवरनाइट नहीं होता है. हालांकि उन्होंने राय जाहिर की कि चीन ऐसी घटनाओं को सीमा पर अंजाम देता रहेगा. चीनी सैनिक फिंगर फोर इलाके में घुसने में कामयाब हो गए थे जहां से उनको वापस भेजा गया. यह इलाका दोनों देशों के बीच गतिरोध का केंद्र रहा है क्योंकि दोनों इसे अपने क्षेत्र का हिस्सा बताते हैं.

अधिकारियों ने कहा कि भारतीय पक्ष ने 1990 के दशक के आखिर में हुई बातचीत के दौरान जब इस इलाके पर दावा किया था तब चीनी सेना ने मेटल-टॉप रोड का निर्माण किया था और इस बात पर जोर दिया था कि यह अक्साई चीन का हिस्सा है. चीन ने फिंगर फोर तक सड़क का निर्माण कराया था जो सिरी जाप इलाके में आता है और वास्तविक नियंत्रण रेखा से पांच किलोमीटर की दूरी पर है.

इससे पहले चीनी सैनिकों की गश्त इस झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से बार बार होने लगी थी. इस झील का 45 किलोमीटर का हिस्सा भारतीय क्षेत्र में है और 90 किलोमीटर चीनी क्षेत्र में है.

भारतीय सुरक्षा बलों के पास अब तेज गति वाली इंटरसेप्टर नौकाएं हैं जो अमेरिका से खरीदी गई हैं और एक नौका पर करीब 15 सैनिक एक बार में सवार हो सकते हैं और यह रडार, इन्फ्रा-रेड और जीपीएस सिस्टम से लैस है. ये नौकाएं चीन की नौकाओं के बराबर ही अच्छी हैं और इनका इस्तेमाल इलाके में टोह लेने तथा गश्त के लिए किया जाता है.

दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) में मई, 2013 में तीन सप्ताह तक चले गतिरोध के बाद झील के किनारों से लगे इलाकों में हालात हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं क्योंकि भारतीय गश्ती दल ने कई बार चीनी सैनिकों को रोका है. मालूम हो कि पेंगोंग झील के इलाके को दोनों देश अपना-अपना होने का दावा करते रहे हैं. 1990 के दशक में भारत ने इस इलाके पर दावा किया था तो चीनी सेना ने यहां एक सड़क बनाकर इसे अक्साई चीन का हिस्सा बता डाला था. हालांकि बाद में भारत ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया था.

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