वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स- प्रेस की आज़ादी भारत दो पायदान और फिसला

प्रेस की आजादी के मामले में भारत की स्थिति कमजोर होती दिखाई दे रही है. खबरों के मुताबिक बुधवार को जारी वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स (आरएसएफ इंडेक्स-2018) में भारत को 180 देशों में 138वां स्थान मिला है. यह 2017 के मुकाबले दो स्थान नीचे है. देश को 2015 में 136वां, 2016 में 133वां स्थान मिला था. लेकिन 2017 में तीन स्थान की गिरावट के साथ भारत को 136वां स्थान मिला था.

आरएसएफ इंडेक्स-2018 में भारत के बारे में रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काम करने वाली ट्रोल सेनाएं अक्सर पत्रकारों को निशाना बनाती हैं. इस रिपोर्ट में पिछले साल कही गई इस बात को भी दोहराया गया है कि भारत की मुख्यधारा की मीडिया में सेल्फ-सेंसरशिप बढ़ रही है. इसके अलावा कट्टर राष्ट्रवादियों द्वारा पत्रकारों को बदनाम करने के ऑनलाइन अभियान चलाने के अलावा उनके खिलाफ हिंसा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं.

रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने भारत सरकार पर कश्मीर में पत्रकारों के खिलाफ हमलों को ‘मौन स्वीकृति’ देने का भी आरोप लगाया है. संगठन का यह भी कहना है कि कश्मीर में विदेशी पत्रकारों को नहीं जाने दिया जाता और इंटरनेट सेवा को भी अक्सर बंद कर दिया जाता है. रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स के मुताबिक भारत में साल 2017 में जितने भी पत्रकारों की हत्या हुई, उसकी वजह उनका कामकाज था.

आरएसएफ इंडेक्स-2018 में एक बार फिर नार्वे सबसे ऊपर और उत्तर कोरिया सबसे नीचे रहा है. वहीं, अमेरिका दो स्थान फिसलकर 45वें, जबकि पाकिस्तान 139वें, रूस 148वें और चीन 176वें स्थान पर आया है. रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स के मुताबिक पूरी दुनिया में मीडिया के खिलाफ शत्रुता बढ़ रही है और यह केवल तानाशाही सरकारों तक सीमित नहीं है.