वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने बढ़ाई मुश्किलें – बेरोज़गारी के मामले में नेपाल, भूटान, बांग्लादेश से भी पिछड़ा भारत, क्या ये हैं अच्छे दिन?

देश में रोज़गार की स्तिथि बद से बदतर होती जा रही है। रोज़गार भारतीय राजनीति में भी हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहा है लेकिन इन दिनों ये मुख्य मुद्दों में से एक हो गया है। क्योंकि बेरोज़गारी में हमारी स्तिथि आस पास के देशों से भी ख़राब हो चुकी है।

5 अप्रैल, 2018 को प्रकाशित विश्व बैंक की एक रिपोर्ट, ‘जॉबलेस ग्रोथ’ के अनुसार, रोज़गार में भारत की स्तिथि बदतर होई जा रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में भारत की रोजगार दर 52 फीसदी थी। यह आंकड़े नेपाल (81 फीसदी), मालदीव (66 फीसदी), भूटान (65 फीसदी) और बांग्लादेश (60 फीसदी) से भी नीचे थे। मतलब रोज़गार देने के मामले में हमारी सरकार उन देशों से भी पीछे हो गई है जिन्हें कई तरह की आर्थिक मदद हमारा देश देता है।

हमारे बराबर बेरोज़गारी पाकिस्तान (51 फीसदी), श्रीलंका (49 फीसी) और अफगानिस्तान (48 फीसदी) से जैसे देशों में है। जो हमसे आर्थिक लिहाज़ से बहुत पीछे हैं।

ये सब तब हो रहा है जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है। 2014 लोकसभा चुनाव में उन्होंने सत्ता में आने पर हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। लेकिन उनकी ही सरकार में देश की जनता बुरी तरह बेरोज़गारी की मार झेल रही है।

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत की 15 वर्ष की आयु से ज्यादा कामकाजी आबादी हर महीने 13 लाख की दर से बढ़ रही है, भारत की रोजगार दर स्थिर रखने के लिए हर साल 80 लाख से अधिक नौकरियों की आवश्यकता होगी है।