वैश्विक मीडिया की स्वतंत्रता से जुड़ी रिपोर्ट को भारत ने बताया ‘संदेहास्पद’

विश्वभर में कार्यरत पत्रकारों की स्वतंत्र संस्थान ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ की वैश्विक मीडिया स्वतंत्रता से जुड़ी रिपोर्ट के ‘सूत्रों’ को ‘संदिग्ध’ करार दिया है। दरअसल, इस सूची में वैश्विक मीडिया स्वतंत्रता के मामले में संस्थान ने भारत को 136वां स्थान दिया है। भारत की यह रैंकिंग बीते साल के मुकाबले तीन स्थान नीचे गिर गई है।

इस अंतरराष्ट्रीय संस्था ने 180 देशों में पत्रकारों को मिली काम की स्वतंत्रता के अनुसार यह दर्जा दिया है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने हाल ही में राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि रिपोर्ट का सैंपल बिना सोचे समझे लिया गया था।

अहीर ने कहा, ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर की रिपोर्ट को नोट किया और पाया कि भारत में इसके स्रोत संदेहास्पद हैं और इसके सैंपल अनियमित रूप से, बिना किसी क्रम के (रैंडम) लिए गए जो कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की उचित व व्यापक तस्वीर नहीं उजागर करते हैं।’

रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग तीन स्थान गिरने के लिए हिंदू राष्ट्रवाद के बढ़त वर्चस्व को जिम्मेदार ठहराया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू राष्ट्रवादियों ने राष्ट्रीय बहस से राष्ट्र विरोधी विचारों की सभी तरह की अभिव्यक्तियों को साफ करने का प्रयास किया, इससे मुख्यधारा मीडिया में सेल्फ सेंसरशिप बढ़ रही है।

इसमें कहा गया कि ज्यादातर कट्टरवादी राष्ट्रवादियों द्वारा विरोध करने पर पत्रकारों को ऑनलाइन निशाना बनाया गया और उन्हें शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाने की धमकी दी गई।

इसमें कहा गया कि पत्रकारों का संवेदनशील क्षेत्रों, जैसे कश्मीर में काम करने में दिक्कत बढ़ी है जहां दोनों तरफ से पत्रकारों को निशाना बनाया गया है।

 

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