श्रीमद् भागवत वेद रूपी कल्प वृक्ष का पका हुआ मीठा फल: पण्डित मारुति नन्दन

  •  श्री द्वारिकाधीश मन्दिर कमला टावर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में बोले श्री मारुति नन्दन जी महराज
  •  कथा के अन्तिम दिन उमड़ा भक्तों का जन सैलाब
  •  विगत 8 जून से निरन्तर चल रही थी श्रीमद् भागवत कथा, आज समापन के बाद हुआ प्रसाद वितरण
  •  श्रीमद् भागवत रामचरित मानस गीता गंगा गौ सेवा समिति द्वारा किया गया भव्य आयोजन

कानपुर नगर। (सर्वोत्तम तिवारी) श्रीमद् भागवत महापुराण वेद रूपी कल्पवृक्ष का पका हुआ मीठा फल है। इस श्रीमद् भागवत कथा के सानिध्य में आकर मनुष्य मन के विकारों से मुक्त हो जाता है, अर्थात विकार रहित, छल, कपट, द्वेष आदि से दूर रहने वाला व्यक्ति ही प्रभू के निकट रह सकता है और भगवान को प्राप्त कर सकता है।
यह बातें श्री द्वारिकाधीश मन्दिर कमला टावर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अन्तिम दिन वृन्दावन धाम से पधारे कथा वाचक पण्डित श्री मारुति नन्दन जी महराज ने कही।

श्रीमद् भागवत रामचरित मानस गीता गंगा गौ सेवा समिति द्वारा श्री द्वारिकाधीश मन्दिर कमला टावर में श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया जो विगत 8 जून से निरन्तर चल रहा था। जिसमे वृन्दावन धाम से पधारे कथा वाचक श्री मारुति नन्दन जी महराज के मुखार बिन्दु द्वारा रसमयी कथा का वर्णन किया जा रहा था। भारी संख्या में भक्त इस कथा पण्डाल में अमृतमयी कथा का रसपान कर रहे थे। कथा के अन्तिम दिन भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा।
कथा के अन्तिम दिन भक्तों को कथा सुनाते हुये श्री मारुति नन्दन जी ने कहा श्रीमद् भागवत कथा महापुराण श्रवण करने मात्र से मनुष्य के मनो विकार दूर हो जाते हैं, मनुष्य छल, कपट, ईर्ष्या, से दूर हो जाता है। उन्होंने कहा कि इन सब से दूर रहने वाला व्यक्ति ही भगवान के निकट जा सकता है और भगवान को प्राप्त कर सकता है। साथ ही यह भी बताया कि श्रीमद् भागवत कथा भवरोग की औषधि है और भगवान श्री कृष्ण को पाने का सुलभ मार्ग है।कथा समापन के अन्तिम दिन बड़ी संख्या में भक्तों ने कथा का रसपान किया। कथा समापन के बाद प्रसाद वितरण किया गया।

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