संघ प्रमुख मोहन भागवत को आतंकवादियों की सूची में डालना चाहती थी यूपीए सरकार, मच सकता है हंगामा

नयी दिल्ली : मॉनसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले ऐसी बात सामने आयी है जो विपक्ष को संकट में डाल सकती है. मामले को लेकर सत्ता पक्ष विपक्ष को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा. अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के अनुसार यूपीए सरकार अपने अंतिम दिनों में आरएसएस चीफ मोहन भागवत को आतंकवादियों की सूची में डालने का प्लान बना रही थी. भागवत को ‘हिंदू आतंकवाद’ के जाल में फंसाने के लिए कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार के मंत्री प्रयास में जुटे हुए थे.

 

अजमेर और मालेगांव ब्लास्ट के बाद यूपीए सरकार ने ‘हिंदू आतंकवाद’ की बात की थी. इसी के तहत सरकार मोहन भागवत को फंसाना चाहती थी और इसके लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के बड़े अधिकारियों पर दबाव डाल रही थी.

टाइम्स नाउ को फाइल नोटिंग्स से यह जानकारी प्राप्त हुई कि जांच अधिकारी और कुछ वरिष्ठ अधिकारी अजमेर और दूसरे कुछ बम ब्लास्ट मामलों में तथाकथित भूमिका के लिए मोहन भागवत से पूछताछ करना चाहते थे. ये अधिकारी यूपीए के मंत्रियों के आदेश का पालन कर रहे थे, जिसमें तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे भी शामिल थे. ये अधिकारी भागवत को पूछताछ के लिए हिरासत में लेना चाहते थे.

यहां उल्लेख कर दें कि करंट अफेयर मैगजीन कारवां में फरवरी 2014 में संदिग्ध आतंकी स्वामी असीमानंद का साक्षात्कार छपा जिसमें कथित तौर पर उसने भागवत को हमले के लिए मुख्य प्रेरक बताया. इसके बाद यूपीए ने एनआइए पर दबाव डालना शुरू किया, लेकिन जांच एजेंसी के मुखिया ने इससे इनकार कर दिया. वह साक्षात्कार के टेप की फ़रेंसिक जांच करना चाहते थे. जब चीजें आगे नहीं बढ़ीं तो एनआइए ने केस को बंद कर दिया.

 

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