सत्ता का दुरुपयोग

कवयित्री- मीना मौर्य (मशाल)

शिकायतें दर-दर करके हार गया इंसानl

नेताओं के राज में हर कोई परेशान ll

मनमानी खूब करें जिसकी हो सरकार l

वर्षों से जनता को लूटे नियत है बरकरार ll

विवादों का चोला पहने दामन दागदार l

जालसाजी में लिप्त खूब फैलाए भ्रष्टाचार ll

सत्ता का दुरुपयोग करते ना रुके अत्याचार l

जनता के जान से खेले कहलाए रखवार ll

नकली असली में छुपा सारा काला बाजार l

काली करतूत बढ़ती रहे इनकी लगातार ll

भ्रष्ट नेता दानव प्रकृति ना घूस से करे करे इंकार l

रिश्वत खा- खा कर लगाते जनता का दरबार ll

                                                       अपराधी कल तक थे अब सत्ता के हिस्सेदार l

                 झूठ का पापड़ बेले कहलाते ईमानदार ll

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