सपा के 2 और MLC थाम सकते हैं बीजेपी का दामन !

लखनऊः यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ औऱ उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य विधान परिषद में जा सकते हैं।

ऐसे में बीजेपी की कोशिश विपक्ष की दो और सीटों में सेंधमारी कर अपने पक्ष में करने का है।

सूत्रों का कहना है, इसके लिए एसपी-बीएसपी-कांग्रेस के कुछ एमएलसी से बातचीत भी हो रही है। इसी महीने कुछ और बड़ा हो सकता है।

वहीं सूत्रों की मानें तो एसपी के दो एमएलसी बीजेपी के निशाने पर हैं। एक ब्राह्मण और एक महिला एमएलसी से बातचीत अंतिम दौर में है। ये एमएलसी शिवपाल यादव और एसपी मुखिया के करीबी हैं। उन्होंने ही इन्हें एमएलसी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इसके साथ ही कांग्रेस और बीएसपी के एक-एक एमएलसी को लेकर भी बातचीत चल रही है। हालांकि कुछ एमएलए भी बीजेपी के संपर्क में बताए जा रहे हैं।

दरअसल 19 सितंबर से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ, डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा के साथ मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और मोहसिन रजा को किसी सदन का सदस्य होना जरूरी है जो अभी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं।

इन सभी ने 19 मार्च को शपथ ली थी। छह महीने में ही इन सभी को किसी न किसी सदन का सदस्य होना जरूरी है। 19 सितंबर को यह मियाद पूरी हो रही है। इससे पहले ही खाली सीटों की अधिसूचना होना जरूरी है और पांचों को किसी न किसी सदन का सदस्य होना जरूरी है।

कहा जा रहा है कि उपराष्ट्रपति चुनाव खत्म होने के बाद इसी हफ्ते चुनाव को लेकर अधिसूचना हो सकती है। केशव और योगी उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट देने के बाद ही सांसदी से इस्तीफा दे सकते हैं।

बीजेपी के नेताओं का तर्क यह है कि विधानसभा में उनके पास 324 विधायकों का समर्थन है। कानपुर के एक विधायक मथुरा प्रसाद पाल के निधन के बाद एक सीट खाली भी हो चुकी है। लेकिन किसी मंत्री या डेप्युटी सीएम को इस सीट से चुनाव लड़ाने का रिस्क नहीं लिया जा सकता है।

वहीं अगर दो विधायकों को इस्तीफा दिलाकर योगी या केशव चुनाव लड़ते हैं तो यह आखिरी चारा होगा क्योंकि इससे पार्टी की सीटें उतनी ही रहेंगी, ताकत नहीं बढ़ेगी। अभी पार्टी को विधान परिषद में ही ताकत जुटानी है। यही वजह है कि अगर दो एमएलसी को इस्तीफा देने को तैयार कर लिया जाता है तो यह पार्टी और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद होगा।

 

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