नई दिल्ली: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने पूरी तरह देसी मिसाइल आकाश के निर्माण पर सवाल उठाए हैं. संसद को सौंपी गई सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक सतह से आसमान में मार करने वाली इस मिसाइल के 30 फ़ीसदी परीक्षण- जो अप्रैल से नवंबर 2014 के बीच हुए, वे नाकाम रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि आकाश अपने लक्ष्य से पीछे छूट गया, इसकी क्वालिटी कमज़ोर दिखी. जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड को इसका 95 फ़ीसदी भुगतान हो चुका है. इससे पीएम मोदी के मेक इन इंडिया पहल को झटका माना जा रहा है. भारतीय वायुसेना ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया.
आकाश का निर्माण सरकारी कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा किया गया था. कैग के अनुसार, उत्पादनकर्ता को करीब 3600 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है लेकिन एक भी मिसाइल सिस्टम निर्धारित 6 स्थानों में से कहीं भी इंस्टॉल नहीं किया जा सका है जबकि अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए सात वर्ष का समय बीत चुका है.
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