100 करोड़ के बालू खनन को लेकर साथ आये थे मुन्ना बजरंगी और ब्रजेश सिंह

लखनऊ- बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के पीछे के मास्टर माइंड को तलाश रहीं जांच एजेंसियां जैसे-जैसे तह में जा रही हैं, माफिया गैंगों के नए-नए समीकरण सामने आ रहे हैं। अभी तक मुन्ना बजरंगी और बृजेश सिंह की दुश्मनी के ऐंगल पर काम कर रहीं एजेंसियों को नई जानकारी मिली है। सूत्रों के मुताबिक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार के अलावा बृजेश सिंह के दूसरे सबसे बड़े दुश्मन बने मुन्ना बजरंगी 100 करोड़ के बालू के ठेके के लिए साथ आ गए थे। इस ठेके में 60% की साझेदारी बृजेश सिंह के सिंडिकेट की थी और 40% मुन्ना के सिंडिकेट की। उनके साथ आने में पूर्वांचल के बाहुबली सांसद ने अहम भूमिका निभाई थी। एसटीएफ और पुलिस इस बात की पड़ताल कर रही है कि कहीं यह ठेका ही मुन्ना की हत्या की वजह तो नहीं, क्योंकि दोनों के साथ आने से मुख्तार अंसारी काफी परेशान थे।

100 करोड़ का ठेका सोनभद्र के बालू खनन से जुड़ा था। इसके लिए मुन्ना और बृजेश सिंह की तरफ से अलग-अलग सिंडिकेट ने आवेदन किया था। ठेका फाइनल होने के लिए जब बेस्ट टू की स्टेज पर पहुंचा तो यह बात खुली। जब बृजेश सिंह के सिंडिकेट ने उनका नाम लेते हुए दूसरे सिंडिकेट को वापस होने को कहा, तब उधर से बताया गया कि इसमें मुन्ना बजरंगी का पैसा लगा है। मामले की पंचायत पूर्वांचल के बाहुबली सांसद तक पहुंची। सूत्रों के मुताबिक इसके लिए सांसद विशेष रूप से दिल्ली से फ्लाइट से वाराणसी आए और बीएचयू में भर्ती बृजेश सिंह से मुलाकात की। इसके बाद दोनों सिंडिकेट साथ आ गए। बताया जा रहा है कि 40 करोड़ के हिस्से में 4 करोड़ रुपये मुन्ना बजरंगी की तरफ से लगाए गए और बाकी सिंडिकेट के व्यापारियों की तरफ से।

पसंद नहीं आई थी डील
सूत्रों के मुताबिक मुख्तार अंसारी को यह डील पसंद नहीं आई। चूंकि सोनभद्र मुख्तार का कार्यक्षेत्र नहीं था, इसलिए वह खुलकर नहीं बोले, लेकिन दबी जुबान में नाराजगी कुछ लोगों के सामने आई। पुलिस और एसटीएफ इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि कहीं इस डील ने मुख्तार को परेशान करना तो नहीं शुरू कर दिया था। यह भी बात सामने आ रही है कि जो लोग अपने काम के लिए मुख्तार के पास जाते थे, 2009 में मुन्ना की गिरफ्तारी के बाद से उन्होंने सीधे मुन्ना से संपर्क शुरू कर दिया था। मुन्ना का कद लगातार बढ़ रहा था। मुन्ना के साले पीजे ने भी मुख्तार की जानकारी के बिना रेलवे की 53 किमी की लाइन बिछाने का ठेका कंपनी के नाम ले लिया था। पीजे और तारिक की हत्या के बाद एसटीएफ ने मुख्तार की भूमिका की पड़ताल भी की थी। सूत्रों के मुताबिक मुन्ना की हत्या के बाद से मुख्तार के किसी भी करीबी ने उसके घरवालों से मुलाकात नहीं की है। इसको लेकर मुन्ना के करीबियों में काफी नाराजगी भी है।

बृजेश सिंह (फाइल फोटो)

मरने के बाद भी मुन्ना के नाम पर वसूली
बजरंगी की मौत के बाद भी उसके नाम पर वसूली चल रही है। जौनपुर में पुलिस ने रविवार को ऐसे ही एक मामले में दो लोगों अजीत कुमार चौरसिया और पंकज कुमार जायसवाल को गिरफ्तार किया है। इन दोनों ने मुन्ना बजरंगी के भाई के नाम पर डॉ. आरके गुप्ता से शनिवार को फोन करके 20 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी। इन लोगों ने डॉक्टर से कहा था कि मुन्ना बजरंगी के हत्यारे सुनील राठी की हत्या करवाने के लिए 20 लाख रुपये चाहिए।

तेरहवीं के नाम पर मांगा पैसा
21 जुलाई को मुन्ना की तेरहवीं है। कुछ लोग इसके नाम पर भी व्यापारियों और डॉक्टरों को धमकाकर पैसा मांग रहे हैं। वहीं एक ने खुद को पत्रकार बताते हुए बजरंगी की हत्या का साक्ष्य देने के एवज में बजरंगी के घरवालों से पांच लाख रुपये मांगे हैं।

फतेहगढ़ जेल में राठी ने देखे जेलर के तेवर
बागपत से कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार देर रात फतेहगढ़ सेंट्रल जेल पहुंचे कुख्यात सुनील राठी को जेल के कड़े तेवरों से दो-चार होना पड़ा। सूत्रों के अनुसार, राठी के आने के कुछ देर पहले ही चार्ज लेने वाले जेलर ने राठी के अंदर आते ही रोककर कहा, यहां मेरा कानून चलेगा। ये कपड़े उतारकर कैदियों वाले कपड़े पहनो।

फतेहगढ़ सेंट्रल जेल के जेलर सुनीत कुमार सिंह का ट्रांसफर होने के बाद यह कुर्सी खाली चल रही थी। शुक्रवार को राठी को फतेहगढ़ शिफ्ट करने का आदेश जारी हुआ। इसके बाद पीके सिंह को फतेहगढ़ सेंट्रल जेल की जिम्मेदारी सौंपी गई। शनिवार रात ही पीके सिंह ने चार्ज लिया। सूत्रों के अनुसार, अंदर पहुंचते ही राठी को पीके सिंह ने रोककर कहा, यहां मेरा कानून चलेगा। जेल के नियमों को नहीं माना तो मुसीबत में आ जाओगे। फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में बंदीरक्षकों की कमी है। उस पर नजर रखने के लिए जिला जेल से 10 बंदीरक्षक बुलाए गए थे। वज्र वाहन में बागपत के सीओ के साथ राठी जैसे ही फर्रुखाबाद जिले की सीमा में पहुंचा तो जिला पुलिस पूरे रास्ते उसके साथ रही।

सुनील राठी (फाइल फोटो)

गुर्गों से क्राइम करवाता है राठी!
मुन्ना बजरंगी की हत्या में आरोपी सुनील राठी बेहद शातिर दिमाग का है। वह खुद हार्ड क्राइम नहीं करता था, बल्कि गुर्गों को टारगेट सौंपकर करवाता है। उसने अपने गुर्गों को जिम्मेदारियां बांट रखी हैं। जानकारी मिल रही है कि यूपी में उसके खिलाफ सिर्फ दो ही केस दर्ज हैं। पहले में उम्रकैद की सजा हो चुकी है। दूसरा बजरंगी के कत्ल का है।

सुनील राठी का नाम क्राइम के फील्ड में जाना-पहचाना है। वेस्ट यूपी और उत्तराखंड में उसके नाम से लोग खौफ खाते हैं। यह हालात तब हैं जब वह खुद क्राइम नहीं करता, सिर्फ अपने नाम का सहारा लेता है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक सुनील राठी के गुर्गे सुपारी लेकर हत्या करना, किडनैप कर फिरौती लेना, रंगदारी वसूलना, विवादित बेशकीमती जमीन को कब्जा मुक्त कराने या कब्जा कराने, रीयल एस्टेट से जुड़े लोगों से फायदा उठाने का काम करते हैं। इन कामों में वह अपने गुर्गों की अलग-अलग टीम बनाकर रखता था।

बजरंगी की हत्या के बाद सुनील राठी के बारे में जांच टीम को पता चला है कि खुद उसने अपने पिता ही हत्या का बदला लेने के लिए बागपत में किए दोहरे हत्याकांड के बाद कोई बड़ा क्राइम यूपी में नहीं किया। पुलिस जांच में वह कभी रेडार पर नहीं आया। अलबत्ता उसके इशारे पर क्राइम किए जाने की हर जानकारी पुलिस को मिलती रही। बाकी मुकदमे उसके खिलाफ उत्तराखंड या दूसरी जगह के हैं।

बदमाशों की खंगालता है कुंडली
पुलिस को यह जानकारी मिली है कि नए गुर्गों को गिरोह में शामिल करने से पहले राठी फिल्मी स्टाइल में उनकी पूरी कुंडली खंगालता है। उनको टारगेट देकर आजमाता है। विश्वास होने के बाद ही उसे अपनी टीम का हिस्सा बनाता है। पुलिस को यह भी जानकारी मिली है कि किसी भी वारदात को अंजाम देने से पहले वह रेकी करवाता था। अंजाम देने के बाद लौटने वाला रास्ता सुरक्षित है या नहीं उस पर एक बार रिहर्सल की जाती थी। अगर लगता है कि गिरोह के सदस्य किसी वारदात को करने के बाद जोखिम में फंस सकते हैं तब उस डील को या तो छोड़ देता है या फिर वारदात की जगह बदल देता है। वारदात करने वाले गुर्गों को एक हफ्ते तक खुले में नहीं आने देता। वारदात के बाद सुरक्षित स्थान मुहैया कराने वाले शरणदाता के पास भेज देता है। वारदात में कम से कम दो वाहनों का इस्तेमाल करवाता है। एक वारदात करते वक्त इस्तेमाल किया जाता है।

(मेरठ और कानपुर से मिले इनपुट के साथ )