जीएसटी काउंसिल ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री को दी राहत, 19 सर्विसेज के टैक्स स्लैब बदले

नई दिल्ली- जीएसटी काउंसिल ने शनिवार को 19 सेवाओं की टैक्स दरें बदल दीं। इनमें टेक्सटाइल सेक्टर में मौजूदा जॉब वर्क रेट को 18% से घटाकर 5% करना भी शामिल है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने व्यापारियों से टैक्स सुधार के इस बड़े कदम से हो रहा फायदा ग्राहकों को भी देने की अपील की। काउंसिल ने हर तरह के कपड़े पर होनेवाले सभी काम पर लगनेवाले टैक्स की दर घटाई है। दरअसल, टेक्सटाइल इंडस्ट्री कढ़ाई, बुनाई, रंगाई, छपाई, धुलाई, सिलाई, आयरन समेत कपड़ों से जुड़े अन्य सभी कामों पर टैक्स की दर घटाने की मांग कर रही थी।

राजधानी दिल्ली में आयोजित अपनी 20वीं बैठक में जीएसटी काउंसिल ने ई-वे बिल के नियमों को भी मंजूरी दे दी ताकि सामानों की ढुलाई और सहज हो। नियमों में स्पष्ट किया गया है कि अगर 50,000 रुपये से ज्यादा कीमत का वस्तु बिक्री के लिए 10 कि.मी. से ज्यादा दूरी तक ले जाया जाता है तो पहले उसका रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। लेकिन, यह नियम उन वस्तुओं पर लागू नहीं होगा जिनपर जीएसटी नहीं लग रहा है। ई-वे नियम 1 अक्टूबर से लागू हो सकता है। इससे इंस्पेक्टर राज का खात्मा हो जाएगा क्योंकि बड़े पैमाने पर इसकी प्रक्रिया तकनीकी आधारित होगी। जेटली ने मीटिंग के बाद कहा, ‘काउंसिल ने पूरे देश में ई-वे बिल लागू करने का फैसला किया है। एक भी चकेपोस्ट नहीं होगा और पूरी प्रक्रिया तकनीकी आधारित होगी।’

काउंसिल ने कुछ ट्रैक्टर पार्ट पर टैक्स रेट को 28% से घटाकर 18% कर दिया। काउंसिल इस संभावना पर भी विचार करनेवाली है कि क्या सिंचाई से संबंधित कॉन्ट्रैक्ट्स भी 5% से नीचे लाए जा सकते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि काउंसिल में मुनाफाखोरी के मुद्दे पर भी चर्चा हुई और जीएसटी के असर को लेकर ग्राहकों को सही जानकारियां देने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान छेड़ा जाएगा।

 

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