पंजाब को नशा मुक्त करने के ऐेसे तो कई वादे किए गए हैं लेकिन हालात ये हैं कि यहां ड्रग्स की होम डिलीवरी तक की जा रही है. राज्य में किसी भी घरेलू जरूरत के सामान की तरह सबसे ज्यादा आसानी से मिलने वाली चीज बन गई है हेरोईन या स्थानीय भाषा में कहें तो चिट्टा.
ड्रग्स को लेकर पंजाब के हालात पर न्यूज18 की पड़ताल में सामने आया कि किस तरह ड्रग माफियाओं ने दूर-दराज के क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाई हुई है. सरकार के लाखों दावों के बावजूद ड्रग्स का कारोबार खूब फल-फूल रहा है.
पंजाब की स्थिति इतनी खराब है कि यहां दो तिहाई घरों में से एक सदस्य ड्रग्स का लती है. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के एक आंकड़ें के मुताबिक राज्य में एक लाख लोगों पर 836 ड्रग्स एडिक्ट्स हैं. यह एक लाख लोगों पर 250 ड्रग एडिक्ट्स के राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है.
नशा मुक्त पंजाब बड़ा मुद्दा
हाल ही में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में नशा मुक्त पंजाब बहुत बड़ा मुद्दा रहा था. अकाली शासन जिसे बड़े पैमाने पर ड्रग माफिया के संरक्षक के तौर पर देखा जाता था उसे सरकार ने नकार दिया और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में आई. उसका मुख्य वादा पंजाब को नशा मुक्त बनाना था.
लेकिन, सरकार बनने के तीन महीनों बाद भी पंजाब की स्थिति में खास अंतर नहीं आया है. न्यूज18 की जांच में पता चला है कि कैसे पंजाब के दूरदराज के इलाकों में ड्रग माफियाओं का कब्जा हैं. पाकिस्तानी सीमा से लगे राज्य के माझा क्षेत्र के हालातों लगभग पहले जैसे ही हैं.
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