Exclusive – लुंगी लपेटकर घर की चौखट पर चौपाल लगाते हैं रामनाथ कोविद

कानपुर .  दो बरस से सन्नाटा दिखता है, इससे पहले कल्याणपुर चौराहे से इंदिरानगर जाने वाली सडक़ पर करीब दो किलोमीटर आगे बढऩे पर एक घर के बाहर सुबह छह बजे से शाम आठ बजे तक अजीब किस्म की चहल-पहल दिखती थी। बेंच की कुर्सी पर बैठे एक सज्जन से पुरुष के इर्द-गिर्द फाइबर की पच्चीस-तीस कुर्सियों पर विराजमान लोग किस्म-किस्म की समस्याएं लेकर बैठे रहते थे। बेंत वाली कुर्सी पर सफेद लुंगी में बैठा व्यक्ति बतकही और हंसी-मजाक के साथ बारी-बारी से समस्याओं पर गौर करता। यथासंभव राहत मुहैया कराने की कोशिश जारी रहती थी, मामला नियम-कायदों के खिलाफ होता तो सीधे इंकार। प्रदेश की सत्ता से काम निकालना होता तो सत्ता से जुड़े किसी असरदार नेता के दरबार में हाजिरी लगाने की नसीहत। ऐसा सच्चा और जमीनी नेता कोई दूसरा नहीं, राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविद हैं।
दलित बिरादरी की कोरी जाति में जन्म, पढऩे में होनहार रहे
कानपुर देहात की डेरापुर तहसील मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर आबाद गांव परौंख में पहली अक्टूबर 1945 को दलित किसान के घर पैदा हुए रामनाथ कोविद का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा। माता-पिता अशिक्षित थे, लेकिन बेटे को पढ़ाना चाहते थे। सिर्फ छह विस्वा जमीन के सहारे गृहस्थी की गाड़ी खींचने वाले दलित दंपती ने बेटे को प्राइमरी पाठशाला में भेजा, जहां रामनाथ सबसे होनहार छात्रों में शुमार होने लगे। प्राइमरी स्कूल के बाद पड़ोसी गांव के मिडिल स्कूल से पढऩे के बाद आगे की पढ़ाई के लिए रामनाथ कानपुर शहर आए और यही बस गए। शुरुआती दौर में संघ के कार्यालय में रहकर पढ़ाई करने वाले रामनाथ कोविद संघ की शाखाओं में जाने लगे और अनुशासित स्वयंसेवक बनकर आरएसएस के कानपुर विभाग में कुछ जिम्मेदारियों का निर्वहन किया।
कानपुर विवि से कानून की पढ़ाई के बाद दिल्ली में प्रैक्टिस
कला संकाय से स्नातक के बाद रामनाथ कोविद ने कानपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। डिग्री लेने के बाद वह दिल्ली चले गए, जहां दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते रहे। कानून को कमाई का जरिया बनाने वाले रामनाथ कोविद निजी जिंदगी में भी नियम-कायदों के पाबंद हैं। सुबह साढ़े चार बजे जागकर योग करना और फिर रिहाइशी इलाकों में मार्निंग वॉक। रामनाथ के करीबी रहे विहिप नेता अवधबिहारी मिश्र बताते हैं कि रिहाइशी इलाकों में टहलने से मार्निंग वॉक के साथ-साथ लोगों से संपर्क होता रहता था, जोकि रामनाथ कोविद का शगल बन गया है।
एक बेटी-एक बेटे के पिता हैं रामनाथ कोविद
कल्याणपुर के इंदिरानगर इलाके में रामनाथ कोविद का परिवार रहता है। शुद्ध शाकाहारी भोजन पसंद करने वाले रामनाथ कोविद के परिवार में एक बेटी और एक बेटा है। बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभालने से पहले रामनाथ कोविद यदि कानपुर में होते थे तो सुबह-शाम घर के बाहर चौपाल जरूर लगती थी। बजरंग दस के पूर्व प्रांत सह संयोजक शैलेंद्र त्रिपाठी के अनुसार किसी को लटकाने या बहलाने की प्रवृत्ति रामनाथ कोविद के व्यक्तित्व का हिस्सा नहीं है। सिफारिश संभव नहीं है तो तुरंत बता देना और किसी अन्य रास्ते से काम संभव है तो वह रास्ता भी बता देना,र रामनाथ कोविद का स्वभाव है।
कभी परिवार में एक वक्त की रोटी का संकट था
रामनाथ कोविद के अति करीबी लोगों में शामिल कानपुर में बीएनएसडी शिक्षा निकेतन स्कूल के प्रधानाचार्य अंगद सिंह बताते हैं कि रामनाथ कोविद का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा। माता-पतिा अशिक्षित किसान थे। परिवार में ज्यादा खेती नहीं थी। दलित जाति से नाता रखने वाले परिवार को अक्सर ही आधा पेट भरकर रात गुजारनी पड़ती थी। अंगद सिंह के मुताबिक, रामनाथ कोविद की रुचि आध्यात्म में अधिक है। खाली वक्त में आध्यात्मिक किताबों में रामनाथ कोविद व्यस्त रहते हैं।

 

read more- Patrika

Be the first to comment

Leave a Reply