ISIS के चंगुल से रिहा हुई नादिया ने कहा- लगातार रेप करते थे, हर पल लगता था इससे बेहतर जान ले लें

कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट द्वारा नरसंहार और महिलाओं का अपहरण कर उन्हें अपना गुलाम बनाकर उनके साथ रेप करने की घटनाएं अक्सर सामने आती रही हैं। ऐसी ही एक महिला है नादिया मुराद, जिसे उत्तरी इराक के यजीदी गांव से पकड़कर तीन साल पहले आईएसआईएस द्वारा सेक्स स्लेव बना लिया गया था। गुरुवार को नादिया वापस अपने उसी घर में पहुंची जहां पर उनके परिवार को मार दिया गया था और उनका अपहरण कर लिया गया था। नादिया ने रोते-रोते उस स्कूल की कहानी बयां की जहां पर आतंकी कोजो की आबादी को रखकर महिलाओं और आदमियों को अलग करने का काम किया करते थे। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम आशा करते थे कि हमें भी आदमियों की तरह मार दिया जाए बजाए इसके कि हमें किसी के हाथों बेचा जाए और फिर सिरायाई, इराकी, टुनिशिएन्स और यूरोपियन्स द्वारा हमारा रेप करवाया जाए।

नादिया ने बताया कि 2014 में जिस समय उनका अपहरण किया गया वह केवल 19 साल की थी। उन्होंने बताया कि आईएस के आतंकियों ने उनपर हर प्रकार का अत्याचार किया और कई बार उसका रेप भी किया गया। नादिया के पिता और भाई को उसकी आंखों के सामने मार दिया गया था। नादिया करीब तीन महीनों तक आईएस के चंगुल में फंसी रही थी। नादिया ने यूएन को बताया था कि रेप करने से पहले सभी सेक्स स्लेव से आतंकी प्रार्थना करवाते थे और पीटाई भी करते थे। नादिया ने उन तीन सालों में कई बार भागने की कोशिश की थी लेकिन वह पकड़ी जाती थीं। जब आईएस के आतंकी उन्हें पकड़ लेते थे तो वे नादिया को और भी ज्यादा प्रताड़ित करते थे। नादिया किसी तरह नवंबर 2014 में वहां से भागने में सफल हुईं, जिसके बाद उनका जर्मनी के एक अस्पताल में इलाज करवाया गया ताकि उन्हें खुद पर हुए अत्याचार को भुला पाने में कुछ मदद मिल सके।

नादिया ने बताया कि अब उनका गांव सामूहिक कब्र के रूप में तब्दील हो गया है। इसी तरह 19 वर्षीय बशर को भी आईएस आतंकियों ने अपना सेक्स स्लेव बनाकर रखा था। जब उसने एक बार भागने की कोशिश की थी तो लैंडमाइन के द्वारा उसपर हमला किया गया जिसमें उसकी एक आंख की रोशनी चली गई। कुर्दिश और अमेरिकी सेना के गठबंधन से इराक के कई यजीदी इलाकों से आईएस का आतंक खत्म किया जा चुका है। नादिया का कहना है कि उन्हें लगता है कि अभी भी आईएस के पास 3000 के करीब सेक्स स्लेव हैं। 2015 में यूएन सिक्यूरिटी काउंसिल को संबोधित करते हुए नादिया ने अपनी कहानी बताई थी, जिसके बाद से ही वह यजीदी पीड़ितों के लिए वकील का काम कर रही हैं। नादिया को यूएन का एंबेसडर बनाया गया है ताकि वह ट्रैफिकिंग से जुड़ी समस्याओं के प्रति लोगो को जागरुक कर सकें।

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