कानपुर के जाजमऊ से उठाए गए आतिफ और आसिफ मुठभेड़ में मारे गए आतंकी सैफुल्लाह के बेहद करीबी और राजदार भी हैं। सैफुल्लाह ने आतिफ और आसिफ के साथ 10 अक्टूबर को दशहरे के दिन लखनऊ में प्रधानमंत्री की रैली में ब्लास्ट करने की साजिश रची थी। इसके लिए सैफुल्लाह ने दोनों को पहले एक मजिस्द में ले जाकर कसम दिलाई थी। इसके बाद तीनों लखनऊ गए थे। वहां पर तीनों ने एक मैदान में विस्फोट का रिहर्सल भी किया था। रिहर्सल सफल रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री की रैली में सुरक्षा पुख्ता होने के कारण वे लोग विस्फोट की साजिश में सफल नहीं हुए थे।
विस्फोट के रिहर्सल के लिए सैफुल्लाह ने मोहर्रम का दिन चुना था। इसके लिए आसिफ ने शहर की एक दुकान से बैग खरीदा था। इसके बाद बैग में बारूद और विस्फोट का अन्य सामान भरा गया। आतिफ ने बारूद का इंतजाम किया था। तीनों मोहर्रम के दिन राजधानी लखनऊ गए थे। वहां के बाहरी इलाके के एक मैदान को विस्फोट के रिहर्सल के लिए चुना था। वहां बम प्लांट कर धमाका किया था। धमाका सफल होने पर तीनों ने खुशी भी मनाई थी। आपस में मिठाई बांटी थी।
उज्जैन-भोपाल पैसेंजर ट्रेन में ब्लास्ट से पहले सैफुल्लाह और उसके साथियों ने शहर में कई स्थानों पर रिहर्सल किया था। जाजमऊ और शुक्लागंज उन्नाव में गंगा कटरी में बम ब्लास्ट किए थे। शुक्लागंज में ही एक किराए का मकान लेकर वहां भी ब्लास्ट का रिहर्सल किया गया था। ब्लास्ट से मकान के निचले हिस्से में बड़ा गड्ढा हो गया था।
– आतिफ और आसिफ मुठभेड़ में मारे गए आतंकी सैफुल्लाह के बेहद करीबी
– 10 अक्टूबर को दशहरे के दिन लखनऊ में ब्लास्ट करने की साजिश रची थी
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