नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नीट 2017 की परीक्षा ‘रद्द’ करने से शुक्रवार को इनकार करते हुये कहा कि ऐसा करने से मेडिकल और डेन्टल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छह लाख से अधिक अभ्यर्थी प्रभावित होंगे. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौदर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि नीट के नतीजों को बाधित करना ‘बहुत ही मुश्किल’ होगा क्योंकि 11.35 लाख अभ्यर्थियों में से 6.11 लाख अभ्यर्थियों ने यह परीक्षा उत्तीर्ण की है और उनकी काउन्सिलिंग की प्रक्रिया जारी है.
सुप्रीम कोर्ट ने सात मई को हुई परीक्षा को अमान्य करार देकर दोबारा परीक्षा कराने से इनकार कर दिया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में चल रही काउंसलिंग पर भी रोक लगाने से इनकार किया. कोर्ट ने कहा कि 11.74 लाख छात्रों में से 6 लाख छात्र परीक्षा पास कर चुके हैं. ऐसे वक्त काउंसलिंग प्रक्रिया में दखल नहीं दे सकते. अलग अलग भाषाओं में अलग अलग प्रश्न पत्र को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने CBSE और केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट 31 जुलाई को मामले पर सुनवाई करेगा.
सात मई को हुई NEET परीक्षा को लेकर कई याचिकाएं दाखिल हुई हैं. याचिका में कहा गया है कि अंग्रेजी, हिंदी और आठ अन्य भाषाओं में प्रश्नपत्र अलग अलग दिए गए थे. ऐसे में परीक्षा को अमान्य घोषित कर दोबारा परीक्षा कराने के आदेश दिए जाएं. वहीं केंद्र की ओर से कहा गया कि अब कोर्ट को ऐसे मौके पर दखल नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे छात्रों को परेशानी होगी. वैसे भी हर भाषा में प्रश्नपत्रों में मुश्किल सवालों का स्तर एक जैसा था.
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