OBC पर मोदी का सबसे बड़ा हमला IAS के लिए सेलेक्ट हुए 314 OBC IAS की नौकरी छीनी, सबका साथ सबका विकास !

लखनऊ, केंद्र की मोदी सरकार ने पिछड़े वर्ग के वोटों की बदौलत 2014 के लोकसभा चुनाव में बम्पर जीत हासिल करते हुए सरकार बनाई। पीएम मोदी ने खुद को भी पिछड़े वर्ग का बताकर पिछड़े वर्गे के वोटरों को लुभाने का काम किया। मोदी सरकार के एक फैसले ने पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर अबतक का सबसे बड़ा हमला किया है। सरकार के फैसले से 2015 की सिविल सर्विसेस में चयनित हुए 314 पिछड़े वर्ग के छात्रों की नौकरी चली गई। वो अब बेरोजगार हो गए। हिंदी न्यूज चैनल न्यूज 24 द्वारा किए गए खुलासे ने मोदी सरकार को बेनकाब कर दिया है।

न्यूज 24 के अनुसार मोदी सरकार के एक फैसले से आईएएस की परीक्षा में सेलेक्ट हुए लड़कों पर बेरोजगार होने का खतरा मंडरा रहा है। आईएएस बने लड़के और लड़कियां दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरी आईएएस में सेलेक्ट होने के बाद कोई अजमेर की दरगाह पर दुआएं मांग रहा है तो कोई पिछडा वर्ग आयोग में अर्जी लगा रहा है। ओबीसी कैटगेरी में सेलेक्ट हुए कुछ छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। सबसे अचरज की बात तो ये कुछ ओबीसी कैटेगरी के छात्र ऐसे भी हैं जो मोदी सरकार के फैसले से बेरोजगार हो जाएंगे।

क्या है पूरा मामला

2015 की यूपीएससी से होने वाली सिविल सर्विसेज की परीक्षा मे कुल 1078 परीक्षार्थी सफल घोषित हुए। इनमें 314 ओबीसी कैटगरी के छात्र भी सफल हुए।

  • यूपीएससी ने सफल हुए छात्रों की लिस्ट केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को सर्विस एलॉटमेन्ट के लिए भेज दी।
  • डीओपीटी यानि डिपार्टमेन्ट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग की वेबसाइट पर जब सर्विस अलॉमेन्ट हुआ तो बहुत से ओबीसी छात्रों का नाम लिस्ट से गायब हो गया।
  • तो अब आपको लग रहा होगा कि जो ओबीसी कैटेगरी के छात्रों को यूपीएससी ने सफल घोषित किया उनका नाम कैसे गायब हो गया।

ओबीसी कैटगरी में क्रीमीलेयर की परिभाषा

दरअसल मोदी सरकार ने इस बार नई शुरुआत करते हुए ओबीसी कैटगरी में क्रीमीलेयर की परिभाषा बदल दी। मोदी सरकार के नए नियम के मुताबिक अब 6 लाख रुपए से सालाना वेतन पाने वाले लोगों को क्रीमीलेयर में रख दिया और उनको आरक्षण का लाभ देने से मना कर दिया। इसकी वजह से बैंक, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग, विश्वविद्यालय के शिक्षक या कर्मचारियों के बच्चे, अलग-अलग राज्यों और केंद्र सरकार के इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के कर्मचारियों के बच्चों को भी बाहर कर दिया गया।

पहले था यह नियम

 इससे पहले क्रीमीलेयर में सिर्फ संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों, सीधे क्लास वन की नौकरी, नियुक्त आधिकारी, क्लास 2 के पिता और मां के बच्चे, ऐसे लोग जिनकी आय वेतन और कृषि आय को छोड़कर 6 लाख रुपए से ज्यादा हो।

मतलब ये कि अब तक सैलरी के आधार पर क्रीमीलेयर तय नहीं होता था। न्यूज 24 के पास ऐसे छात्रों की पूरी लिस्ट है जिनके माता या पिता की सैलरी सालाना 6 लाख से अधिक है और मोदी सरकार ने उनको आरक्षण देने से मना कर दिया है। इसी तरह राजेंद्र चौधरी एनटीपीसी में क्लर्क भर्ती हुए थे। 20 साल से ज्यादा नौकरी करने के बाद उनका प्रमोशन होते होते सैलरी 55 हजार रुपए पहुंची है, लेकिन उनके बेटे को नए नियम के हिसाब से आरक्षण का लाभ देने से मना कर दिया। दो कमरे के छोटे से प्लैट में रहने वाले राजेंद्र चौधरी को सदमा लग गया है कि कैसे उनके बेटे को क्रीमीलेयर के आधार पर आरक्षण देने से मना कर दिया गया।

जिन लोगों को सैलरी के आधार पर आरक्षण देने से मना कर दिया गया, ऐसे लोगों की फैहरिश्त की पूरी लिस्ट न्यू 24 के पास मौजूद है और इनकी संख्या 33 से ज्यादा है। जब इन छात्रों पर मुसीबत का पहाड़ टूटा तो उन्होने पिछडा वर्ग आयोग में गुहार लगाई। बिना देर किए पिछड़ा वर्ग आयोग ने केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय और सामाजिक कल्याण मंत्रालय को चिट्ठी लिख दी। न्यू 24 के पास वो चिट्ठी भी मौजूद है जिसमें आयोग ने कहा है कि अगर इसको ठीक नहीं किया गया तो परिणाम भयंकर होंगे।

तो अब सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार ने पिछले वर्ग में क्रीमीलेयर नए सिरे से तय करने का फैसला कर लिया है। क्या अब बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को आरक्षण के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा। जब इस पर न्यूज 24 ने कार्मिक मंत्रालय के मंत्री से सवाल किया तो जवाब गोलमाल कर गए। तो क्या इसका मतलब ये मान लिया जाय कि देश की सत्ताइस फीसदी जनता को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में मिलने वाले आरक्षण पर एक नई बहस की तैयारी है।

 

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