कानपुर के धनकुबेरों ने ऐसे बनाया था करोड़ो का साम्राज्य , नोटबंदी में मुंहमांगी कीमत पर खरीदा सोना ,ज्वैलर्स भी फंसेंगे

देश में अगर ‘नोटबंदी का तूफान’ न आया होता तो शायद ‘काले धन के कुबेर’ बन बैठे सरकारी अफसर कभी बेनकाब न होते। कानपुर वाणिज्यकर के एडिशनल कमिश्नर केशव लाल के नोएडा स्थित घर पर आयकर अफसरों को अब तक 12 किलो सोना मिल चुका है, इसमें करीब सात किलो बुलियन (ठोस सोना) और पांच किलो ज्वैलरी शामिल है। इसकी वर्तमान कीमत करीब 3 करोड़ 60 लाख रुपये है। आयकर अफसरों ने कानपुर की आरटीओ सुनीता वर्मा, वाणिज्यकर के ज्वाइंट कमिश्नर डीके वर्मा और भाजपा नेता चंद्रकुमार गंगवानी की ट्रैवल्स फर्म पर मंगलवार को छापामारी की थी।
दूसरे दिन बुधवार को वाणिज्यकर के एडिशनल कमिश्नर (ग्रेड-2) केशव लाल का भी कनेक्शन सामने आया। इस पर उनके लखनपुर व नोएडा स्थित दो आवासों पर एक साथ छापामारी की गई थी। एडिशनल कमिश्नर केशव लाल के पास से हीरे के कई हार और बेशकीमती एंटीक ज्वैलरी भी मिली है। इसके अलावा इनके घर पर अब तक 11 करोड़ रुपये की नई करेंसी मिल चुकी है। सात फ्लैटों का पता चला है। कानपुर स्थित आवास से सिर्फ दो लाख 80 हजार रुपये कैश मिले। मामला उम्मीद से बड़ा पाए जाने पर आयकर अफसरों की एक और टीम यहां से नोएडा भेजी गई है। आयकर निदेशालय (जांच) के ज्वाइंट डायरेक्टर अमरेश कुमार तिवारी के निर्देश पर डिप्टी डायरेक्टर वेदप्रकाश छापेमारी की अगुवाई कर रहे हैं। लखनपुर स्थित आवास से अधिक बरामदगी न होने पर डिप्टी कमिश्नर गणेश सक्सेना व आयकर निरीक्षक आरके पाठक आदि अफसरों की टीम एडिशनल कमिश्नर केशव लाल को लेकर गुरुवार दोपहर नोएडा रवाना हो गई है। शुक्रवार सुबह केशव लाल से नोएडा में आयकर अफसरों की पूरी टीम पूछताछ करेगी, उनसे अब तक मिली बेहिसाब संपत्ति का हिसाब मांगा जाएगा।

वाणिज्यकर में ऐसे कदम-कदम पर रिश्वत

कानपुर के वाणिज्यकर कार्यालय में साधारण व्यापारी के लिए साधारण काम करवाना भी आसान नहीं है। यहां कदम कदम पर रिश्वत का धक्का गाड़ी को आगे बढ़ाता है। दाम है तो हर काम आसान है। इसके लिए संविदा कर्मचारी से आला अफसरों तक काम के रेट तय हैं। इन्हीं वजहों से व्यापारियों और वाणिज्यकर अफसरों के बीच झड़प और वाद विवाद आम बात है। बीते एक साल में कई बार व्यापारी और वाणिज्यकर अफसर वसूली पर आमने सामने आए। कई बार कमिश्नर मो. इफ्तेखारुद्दीन के सामने मामला उठा, लेकिन हल नहीं निकला। शहर में 50 हजार फर्में रजिस्टर्ड हैं और एक लाख से ज्यादा अनरजिस्टर्ड। नीचे दिए चार्ट से कमाई का अंदाजा लगाया जा सकता है।
इन कामों के इतने दाम 
-100 से 200 रुपये मासिक या त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने पर संविदा कर्मी या बाबू लेता है।
– आठ से 10 हजार रुपये नया रजिस्ट्रेशन कराने को, न देने पर कमियां बताकर रजिस्ट्रेशन खारिज।
-5000 रुपये एक वर्ष की एक फाइल में पत्रावलियों का असेसमेंट सीटीओ स्तर पर।
-10,000 रुपये एक वर्ष की एक फाइल में पत्रावलियों का असेसमेंट असिस्टेंट कमिश्नर स्तर पर।
-20,000 रुपये एक वर्ष की एक फाइल में पत्रावलियों का असेसमेंट डिप्टी कमिश्नर स्तर पर।
-इसी काम में दो से पांच हजार रुपये अधिकारियों के स्टाफ का।
-50,000 से एक लाख रुपये, यदि पत्रावलियों में गड़बड़ियां हों तो।
-50,000 से कारोबारी की देने की हैसियत तक एसआईबी जांच में कमी न निकालने के लिए।
-10,000 रुपये से माल की कीमत का 50 फीसदी तक सचल दल की कार्यवाही से बचाने के लिए।
-10,000 से 50,000 रुपये तक सुपाड़ी, सरिया, मौरंग आदि की ढुलाई के लिए।
-छोटी बड़ी फैक्टियों से हर माह एक निर्धारित रकम बतौर नजराना।
-दीपावली के समय 25 से 50,000 रुपये का नजराना, नहीं आने पर छापा।
ये भी खेल 
वर्ष में कम से कम एक बार किसी भी फर्म की कोई कमी बताकर, फार्म-52 भरने में कमी बताकर, डीम्ड असेसमेंट के समय कमी बताकर पांच से 15 हजार रुपये की वसूली आम है। यह रकम टर्नओवर और कारोबारी की हैसियत पर निर्भर करती है।
बिना नेम प्लेट व वर्दी के सिपाही करते वसूली
वाणिज्यकर सचल दल इकाइयों में बिना नेम प्लेट व वर्दी के सिपाहियों का साथ रहना आम बात है। यही सिपाही व्यापारियों के वाहनों से अवैध वसूली करते हैं। आयकर की जांच में हकीकत सामने आई कि आखिर बिना वर्दी के सिपाहियों पर विभाग लगाम क्यों नहीं कस पाया था।

नोटबंदी में मुंहमांगी कीमत पर खरीदा सोना

कानपुर के एडिशनल कमिश्नर केशव लाल के घर पर मिले 12 किलो सोने में ज्यादातर नोटबंदी के दौरान पुराने नोट खपाने के लिए खरीदा गया था। इसके लिए मुंहमांगी कीमत अदा की गई थी। नोटबंदी के ठीक दूसरे सोने की कीमतें 30 हजार रुपये से बढ़कर 50 से 70 हजार तक पहुंच जाने पर आयकर अफसरों ने इसकी खुफिया निगरानी की थी। सूत्र बताते हैं कि सोने की खरीद फरोख्त में केशव लाल का भी नाम आया था। यहीं से आयकर अफसरों ने इनकी रेकी शुरू की थी।
ज्वैलर्स भी फंसेंगे 
करोड़ों रुपये का सोना मुंहमांगी कीमत पर बेचने के मामले में शहर के ज्वैलर्स भी फंसेंगे। बताते हैं कि कुल बरामद सोने में चार किलो शहर के तीन ज्वैलर्स के पास से खरीदा गया। केशव लाल से पूछताछ में इनके नामों की पुष्टि की जाएगी।
नोटों का जखीरा, गिनने को मंगाई मशीन 
एडिशनल कमिश्नर के आवास पर दो दिनों की छानबीन में नोटों का जखीरा मिला है। अब तक मिले 11 करोड़ रुपये की गिनती के लिए मशीनें मंगाई गई हैं। एक घर में इतने रुपये देखकर अफसर हैरान हैं। सूत्र बताते हैं कि घर की दीवारों में बनाई गई अलमारियों और लॉकरों में यह करेंसी भरी थी। दो हजार रुपये की पांच सौ से ज्यादा गड्डियां मिली हैं।
सात फ्लैट और चार लॉकरों की जांच
आयकर विभाग के सूत्र बताते हैं कि एडिशनल कमिश्नर के लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद में अब तक सात फ्लैट व प्लाटों के दस्तावेज मिल चुके हैं। इन संपत्तियों की कीमत 50 से 60 करोड़ रुपये मानी जा रही है। इनका सत्यापन और मूल्यांकन करवाया जा रहा है। इसके अलावा चार लॉकरों की भी सूचना मिली है। इनमें से एक को सील करा दिया गया है।

भाजपा नेता की शताब्दी ट्रैवल्स में 25 करोड़ की टैक्स चोरी

कानपुर काकादेव निवासी भाजपा नेता चंद्रकुमार गंगवानी की शताब्दी ट्रैवल्स फर्म के आठ ठिकानों पर जारी जांच आखिरी चरण में है। गुरुवार को कई प्रतिष्ठानों से अधिकारी वापस आ गए। समाचार लिखे जाने तक इनके ठिकानों से 20 लाख रुपये करेंसी मिल चुकी है। पहले दिन 10 लाख, दूसरे दिन 15 लाख और तीसरे दिन 20 लाख रुपये तक करेंसी पहुंच गई। इसके अलावा अब तक 25 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी सामने आ चुकी है। संभवत: गुरुवार रात या शुक्रवार सुबह तक सर्च खत्म हो जाएगी। अधिकारियों ने आगे की जांच के लिए इनके ठिकानों से मिले दस्तावेज जब्त कर लिए हैं। आयकर विभाग ने शताब्दी ट्रैवल्स के फजलगंज में चार, काकादेव में तीन ऑफिसों व आवास पर एक साथ छापा मारा था। एक छापा ग्वालियर स्थित ऑफिस पर पड़ा था।
कद्दावर नेता का संरक्षण 
शताब्दी ट्रैवल्स के मालिक चंद्रकुमार गंगवानी को भाजपा के कट्टर छवि वाले एक नेता का संरक्षण प्राप्त है। फायर ब्रांड नेताओं में शुमार रहे भाजपा नेता का इनके कारोबार में हिस्सा है। 47 लग्जरी बसों और बेहिसाब जमीन के मालिक चंद्रकुमार गंगवानी के पैसे की पहुंच के आगे वाणिज्यकर और परिवहन विभाग अधिकारी नतमस्तक रहते थे। हालात यह थे कि वाणिज्यकर का नया अफसर यदि इनकी बस को रोक भी लेता था तो उसे गंगवानी के गुर्गों का सामना करना पड़ता था।
गंगवानी, आरटीओ और वाणिज्यकर अफसरों का गठजोड़
आयकर विभाग सूत्र बताते हैं कि शताब्दी ट्रैवल्स के मालिक चंद्रकुमार गंगवानी, वाणिज्यकर के बड़े अफसर और परिवहन अधिकारी संगठित नेटवर्क की तरह काम करते थे। टैक्स चोरी के माल की सप्लाई के लिए वाणिज्यकर विभाग और आरटीओ को हर महीने दो से तीन करोड़ रुपये का चढ़ावा भेजा जाता था। यही वजह है कि 47 बसों को कोई अफसर हाथ नहीं लगाता था। जब तब पकड़ी भी गईं तो उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पनकी में दौड़ाया था वाणिज्यकर अफसरों को 
पनकी थाना क्षेत्र में चार माह पूर्व वाणिज्यकर के असिस्टेंट कमिश्नर राजेश यादव ने शताब्दी ट्रैवल्स की बस पकड़ी थी। दिल्ली से कानपुर आ रही इस बस में लाखों रुपये के ड्राइ फ्रूट लदे थे। जांच में चालक माल के कागजात नहीं दिखा सका। इस पर अफसर गाड़ी को लखनपुर स्थित मुख्यालय ले जाने लगे। इतने में चंद्रकुमार गंगवानी के 40 से ज्यादा गुर्गों ने अफसरों पर रोक लिया। लाठी डंडों और हथियारों से लैस गुर्गों ने वाणिज्यकर अफसरों को खदेड़ लिया था। अर्मापुर थाने में इसकी रिपोर्ट भी हुई थी।

सीबीआई ने एफआईआर में बढ़ाए तीन और नाम

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की बिरहाना रोड स्थित मुख्य शाखा में बिना आईडी के दो करोड़ रुपये की करेंसी बदलने के मामले में शुरू हुई जांच का दायरा और बढ़ गया है। सीबीआई ने बैंक के तीन और कर्मचारियों को जांच में शामिल किया है। इनमें एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, एक क्लर्क व एक रिटायर्ड कर्मचारी शामिल है। सभी को पूछताछ और बयान दर्ज करवाने के लिए 24 अप्रैल को लखनऊ में तलब किया गया है। बैंक सूत्रों के मुताबिक यूनियन बैंक की कई शाखाओं में कमीशन लेकर करेंसी बदलने का खेल हुआ है। जांच शुरू होते ही अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए तीन कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया। मामला केंद्र सरकार के संज्ञान में आने के बाद इसकी सीबीआई जांच करवाई जा रही है। सीबीआई ने तीन मार्च 2017 को इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज की थी। मंगलवार को शहर आई सीबीआई टीम ने यूनियन बैंक की शाखा में जांच पड़ताल की। सूत्र बताते हैं कि इसमें बैंक के दो क ार्यरत व एक रिटायर्ड कर्मचारी की मिलीभगत सामने आई है। एफआईआर में तीनों के नाम बढ़ा लिए गए हैं।
सीएमडी का दौरा यूं ही नहीं था 
यूनियन बैंक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुण तिवारी मंगलवार को यूं ही मुंबई से कानपुर नहीं आए थे। दरअसल सीबीआई जांच की आंच अधिकारियों तक पहुंचने की वजह से वह हालात का जायजा लेने यहां आए थे। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने इस बात का दावा भी किया था कि नोटबंदी के दौरान गड़बड़ी करने वाले किसी कीमत पर बख्शे नहीं जाएंगे।
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