लोकल गैंगस्टर्स के कब्जे में है साइबर सिटी गुरुग्राम!

साइबर सिटी के नाम से मशहूर दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा का गुरुग्राम, जो कभी गुड़गांव के नाम से जाना जाता था, अगर पुलिस और प्रशासन की कुंभकर्णी नींद जल्द नहीं टूटी तो शीघ्र ही गैंगवार और रंगदारी जैसे अपराधियों के गढ़ में तब्दील हो सकती है. जी हां, गुरूग्राम को हम ‘गैंग्स का गुरूग्राम’ इसलिए कह रहें है, क्योंकि गुरूग्राम में एक नहीं, बल्कि दर्जनों गैंग्स और उनका गैंगवार पुलिस की नाक के नीचे बेखौफ फल फूल रहा है, लेकिन प्रशासन घोड़े बेंचकर सो रही है। हालांकि गुरुग्राम में छोटे-मोटे गैंगवार का इतिहास पुराना है, जहां कभी संदीप गाड़ौली गैंग का सिक्का चलता था। संदीप गाड़ौली गैंग सट्टा, शराब, केबल संचालन और अवैध वसूली जैसे सारे धंधे गाड़ौली तय करता था. गाड़ौली के सामने किसी दूसरे गैंग की एक नहीं चलती थी.

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गैंग्स ऑफ गुरुग्राम
दिल्ली में सक्रिय कई गैंग अब तेजी से गुरुग्राम में पैर जमाने की कोशिश कर रहे थे. इनमें गाड़ौली, कौशल, बिदंर गुर्जर, महेश अटैक गैंग, फौजी गैंग, रज्जे गैंग, धर्मवीर उल्लावास गैंग, मंजीत महाल गैंग और सुंदर भट्टी शामिल हैं। इन सभी गैंगों में सुंदर भट्टी खुद को अन्य सभी गैंगों से ताकतवर साबित करने की कोशिश में जरूर रहता है, लेकिन गाड़ौली गैंग यानी गैंग सरगना संदीप गाड़ौली से सीधे टकराने की हिम्मत सुंदर भट्टी गैंग में भी नही थी. क्योंकि गाड़ौली गैंग के खास गुर्गे राजू सेठी और शूटर विक्रम सहरावत के कारण गाड़ौली गैंग का गुरुग्राम पर एक छत्र राज था.

 

 

आंखों की किरकिरी बना था गाड़ौली गैंग

गाड़ौली के रौब और रूआब और रुतबे के अन्य गैंगों का गुरूग्राम में पनपना मुश्किल था और गाड़ौली के जिंदा रहते हुए उसे टकराना भी किसी गैंगे के लिए मुमकिन नहीं था. इसीलिए गाड़ौली की गर्लफ्रेंड दिव्या पाहुजा और पुलिस को हथियार बनाकर गाड़ौली को घेरने की कोशिश की गई.इसी क्रम में पुलिस की मदद से गर्लफ्रेंड दिव्या को गाड़ौली के ज्यादा से ज्यादा निकट रहने के लिए मजबूर किया गया, जिससे गाड़ौली के बारे में अधिक से अधिक जानकारी इकट्ठा की जा सके और योजना काम कर गई.
एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली गाड़ौली की गर्लफ्रेंड दिव्या पहले एक आईटी कंपनी में काम करती थी, बाद में वह संभवतः गाड़ौली की मदद मॉडलिंग की दुनिया में आ गई. कहते हैं कि दिव्या के पिता पहले गुरुग्राम में ही एक फल का ठेला लगाते थे.

मुम्बई में हुआ गाड़ौली का एनकाउंटर
पुलिस के साथ गठजोड़ के बाद गाड़ौली गैंग का सरगना का अंत करीब था। बात फरवरी 2016 की है. गाड़ौली मुम्बई में था. उसकी गर्लफ्रेंड गुरुग्राम में थी. गाड़ौली ने अपने एक दोस्त को ग्रुरुग्राम भेजकर दिव्या को मुम्बई बुलवाया. गाड़ौली के इस दोस्त की पुलिस को भी तलाश थी.
गुरुग्राम पहुंचते ही पुलिस ने उसे राडार पर ले लिया, जिसके पीछे-पीछे हरियाणा-पुलिस मुम्बई भी पहुंच गई. एयरपोर्ट के पास मेट्रो होटल में गाड़ौली ठहरा हुआ था. बताते हैं कि उसी होटल में एक मुठभेड़ के बाद गाड़ौली का एनकाउंटर कर दिया.

 महीनों लावारिश पड़ी रही गाड़ौली की लाश

गैंगस्टर भाई गाड़ौली के एनकाउंटर के बाद उसकी बहन ने भाई की हत्या का प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें पुलिस के साथ-साथ बिंदर गुर्जर और कौशल गैंग को गाड़ौली की हत्या का आरोपी बनाया था. कहते हैं कि बहन ने कसम खाई थी कि जब तब गाड़ौली की हत्या के आरोपियों का पकड़ा नहीं जाता है वह भाई का अंतिम संस्कार नहीं करेगी.करीब 8-9 माह बाद गड़ौली के एनकाउंटर में शामिल हरियाणा पुलिस की टीम की गिरफ्तारी हुई तब जाकर बहन ने भाई का अंतिम संस्कार किया. मुंबई पुलिस ने गड़ौली एनकाउंटर में शामिल हरियाणा पुलिस टीम को गिरफ्तार किया था, जो आज भी जेल में हैं।
फर्जी था गड़ौली का एनकाउंटर?
मुम्बई पुलिस ने हरियाणा पुलिस पर आरोप लगाया कि उसने फर्जी एनकाउंटर किया था. एनकाउंटर से पहले उन्हें सूचना नहीं दी गई थी. सार्वजिनक स्थान पर गोलीबारी की गई. जो खतरनाक था. कई लोगों की जान भी जा सकती थी. गड़ौली के एनकाउंटर में शामिल उसकी गर्लफ्रेंड दिव्या पाहुआ को भी पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है.

बिंदर और कौशल गैंग का बढ़ा प्रभाव

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गाड़ौली गैंग के सरगना की पुलिस एनकाउंटर में हुई मौत के बाद अब हर छोटे-बड़े गैंग ने सिर उठाना शुरु कर दिया है. लेकिन गड़ौली गैंग के खात्मे में दो बड़े गैंग यानी बिंदर और कौशल गैंग ही आज गुरुग्राम में हावी हैं.

चर्चा है कि बिंदर और कौशल गिरोह ने आपस में हाथ मिला लिया है और दोनों ने गुरुग्राम का बंटवारा कर धंधा शुरु कर दिया है. लेकिन एक छत्र राज के लिए बिंदर और कौशल गिरोह के लिए पहले जरूरी था कि गड़ौली गैंग के शूटर राजू सेठी और विक्रम सहरावत को रास्ते से हटा दिया जाए।

शूटर राजू सेठी व विक्रम सहरावत का मर्डर
गाड़ौली को निपटाने के बाद शहर में दहशत पैदा करने के लिए उसके गिरोह की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले राजू सेठी और शूटर विक्रम सहरावत को ठिकाने लगाया गया. कहते हैं कि बिंदर और कौशल गिरोह ने करीब एक वर्ष पहले दीवाली से एक दिन पहले पेट्रोल पम्प के पास घेरकर शूटर राजू सेठी को मौत की नींद सुला दिया और उसके बाद मौका मिलते ही शूटर विक्रम सहरावत को भी निपटा दिया गया.
गुरूग्राम बना गैंगस्टर का नया ठिकाना
वर्तमान समय में जिले का भोंडसी जेल गैंग्स ऑफ गुरुग्राम का ठिकाना बनी हुई है. जहां कैद में रहकर गुरूग्राम में गैंगवार को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है. जिसके सबूत कई बार मिले हैं। जेल में पड़े छापों के दौरान गैंग सरगनाओं के पास से बरामद हुए मोबाइल फोन इसकी तस्दीक करते हैं. रिपोर्ट कहती है कि भोंडसी जेल से गुरूग्राम में गैंगवार चला रहे कई गैंग के सदस्य बंद हैं. इनमें मंजीत महाल गैंग, बिंदर गुर्जर, सुंदर भट्टी गैंग, कौशल गैंग और राठी गैंग के आधा दर्जन गुर्गे शामिल हैं.
हीवेन ऑफ गैंगस्टर बना गुरुग्राम
गुरूग्राम में 200 से ज्यादा ऐसी मल्टीनेशनल कंपनियों का ऑफिस मौजूद हैं, जो फार्च्यून 500 की लिस्ट में शामिल हैं. इसके अलावा आईटी से संबंधित बड़ी-बड़ी कंपनियां, होटल और रियल स्टेट का बड़ा काम है. शायद यही कारण है कि गुरूग्राम गैंगस्टर के आकर्षण का केंद्र बनकर उभरा है, जहां से गैंग्सटर आसानी से अवैध वसूली जैसे अपराध करते हैं। यही कारण है कि गुरुग्राम आज गैग्स ऑफ गुरूग्राम में तब्दील हो चुका है

read more- satya katha

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