अगर सरकार में आए तो ‘आरएसएस पर प्रतिबंध लगाएंगे’

बहुजन आजाद पार्टी का उद्देश्य क्या है?

हमारी टीम मानती है कि 85 प्रतिशत बहुजनों को अभी तक आजादी नहीं मिली है. हम लोगों का पार्टी बनाने का उद्देश्य यह है कि हम बहुजनों को सही मायने में आजादी दिलवाना चाहते हैं और अपनी पार्टी की शुरुआत को हम आजादी की दूसरी क्रांति के रूप में देख रहे हैं.

हम चाहते हैं कि सभी जगहों पर जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. हम चाहते हैं निजी क्षेत्रों में भी आरक्षण को लागू किया जाना चाहिए. हम इस बात को मानते हैं कि बहुजन या दलित समाज की राजनीति करने वाले मौजूदा राजनीतिक दल उस तरह से काम नहीं कर पाये जैसा उनसे उम्मीद किया जाता है.

हम समाज को एक वैकल्पिक बहुजन राजनीति देने आए हैं. आम तौर पर देखा गया है कि बहुजन और दलितों की पार्टी में उच्च जाति के लोगों को ही अहम पदों पर बिठाया जाता है और इसलिए हमने बहुजन आजाद पार्टी में उच्च जाति के लोगों को शामिल नहीं करने का निर्णय लिया है, ताकि बहुसंख्यक समाज के लोग शासक की भूमिका में आ सकें.

इंजीनियरिंग का पेशा छोड़कर राजनीतिक दल बनाने का विचार कहां से आया?

हम लोग पिछले दो-तीन साल से रोज अखबार पढ़ रहे हैं तो देखा कि दलित और पिछड़े समाज के साथ अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर निरंतर हमले हो रहे हैं. मोदी सरकार की जो नीति है वो पूरी तरह दलित विरोधी है. इस बीच जातिगत भेदभाव में भी इजाफा हुआ है. इस सबको लेकर हमने आपस में बात करना शुरू किया और तय हुआ कि एक साथ नौकरी छोड़कर पार्टी की शुरुआत करेंगे और सामाजिक न्याय की लड़ाई के लिए मैदान में उतरेंगे. हम लोगों ने तय किया है कि हम लोग बिहार में जमीनी स्तर पर काम करेंगे. दूसरे साथी अपने राज्य में पार्टी को स्थापित करने का काम करेंगे.

आपकी पार्टी की फंडिंग कहां से हो रही है?

हमारी पार्टी की फंडिंग हमारे लोग ही मिलकर कर रहे हैं. आईआईटी से पासआउट होकर देश-विदेश में नौकरी करने वाले लोग, जिन्हें हमारा उद्देश्य समझ में आता है वो लोग निरंतर आर्थिक मदद करने का काम कर रहे हैं. अब हमारे साथ हजारों की संख्या में लोग जुड़ रहे हैं और 500-1000 रुपये के हिसाब से आर्थिक मदद देने का काम कर रहे हैं. हमारी फंडिंग क्राउड फंडिंग है, जो आईआईटी से जुड़े पुराने छात्र और आम लोग कर रहे हैं.

आपकी एक तस्वीर कथित आरएसएस के ब्लड डोनेशन कैंप की है जो सोशल मीडिया पर वायरल है. क्या आपका जुड़ाव आरएसएस या दक्षिणपंथी संगठनों से है?

आरएसएस की कल्पना की भारत माता की तस्वीर के साथ विक्रांत वत्सल, 2014 (फ़ोटो: ट्विटर)

आरएसएस की कल्पना की भारत माता की तस्वीर के साथ विक्रांत वत्सल, 2014 (फ़ोटो: ट्विटर)

वो जो तस्वीर है वो बहुत पुरानी है. मैं 2014 में आईआईटी दिल्ली से पासआउट हुआ था और वो तस्वीर लगभग 2011-12 की है. दरअसल हम लोग आईआईटी दिल्ली में ‘फ्रेंड्स ऑफ बिहार एंड झारखंड’ नाम की एक संस्था चलाते थे और उस संस्था के तहत हमने ब्लड डोनेशन कैंप लगाने का काम किया था, जिसमें बाहर से भी बहुत सारे लोग आए थे. उस समय मेरे अंदर आरएसएस को लेकर कोई सोच या राय नहीं थी. मैं एक छात्र था जो किसी भी विरोध की भावना से परिचित नहीं था. उस कार्यक्रम में मैंने उस व्यक्ति को भी आमंत्रित कर लिया था. वो अपने बैग में उस तस्वीर को लिए हुए थे, जो आरएसएस द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला भारत माता की तस्वीर थी. उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उनके साथ तस्वीर खिंचवाऊं और बहुत जोर देने के बाद मैंने वो तस्वीर खींचवा ली थी.

वायर अंग्रेजी की भी स्टोरी में उस व्यक्ति ने इस बात को साफ किया है कि आरएसएस से विक्रांत का कोई जुड़ाव नहीं है. मैं आरएसएस में पहले भी नहीं था और न ही मेरा उस संगठन से कोई संबंध है. मैं आरएसएस को एक आतंकवादी संगठन के रूप में मानता हूं. मैं ये भी कहना चाहता हूं कि अगर सरकार में आते हैं, तो आरएसएस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के लिए काम करेंगे.

क्या आप 2013 में मुजफ्फरपुर के औराई में आम आदमी पार्टी के सदस्य थे, जिसके सचिव शारदानंद गिरि थे, जो अब निरंतर फेसबुक पर दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा को शेयर करते हैं?

हां, यह बात सत्य है कि मैं उस समय आम आदमी पार्टी का सदस्य था और शारदानंद गिरि औराई विधानसभा इकाई के सचिव थे. मैं पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता रहा था. गिरि मेरे क्षेत्र के ही व्यक्ति हैं. आम आदमी पार्टी से निराश होकर मैंने पार्टी छोड़ दी. पार्टी का बिहार में कोई वजूद नहीं था इसलिए बहुत सारे लोग अलग-अलग पार्टियों में चले गए. अब हो सकता है उनका झुकाव भाजपा की तरफ हो गया हो और ये उनका निजी फैसला है. मैं उनके साथ किसी भी रूप से संपर्क में नहीं हूं.

भाजपा के करीबी अमित सिंह क्या आपकी कोचिंग सेंटर में बतौर हिस्सेदार हैं?

विक्रांत की कोचिंग में बतौर हिस्सेदार थे अमित सिंह

विक्रांत की कोचिंग में बतौर हिस्सेदार थे अमित सिंह

अमित सिंह 2014 से 2016 तक मेरी कोचिंग में बतौर हिस्सेदार थे लेकिन बाद में वो अलग हो गए थे. वो इस व्यवसाय में समय नहीं दे पा रहे थे, इसलिए वो अलग हो गए. तब से मैं उनके साथ संपर्क में नहीं हूं. जब वो हिस्सेदार थे तब वो भाजपा के करीबी नहीं थे. उस दौरान दोनों लोग आम आदमी पार्टी से जुड़े थे. अब उनका किस पार्टी से संबंध है इस पर मैं कुछ नहीं बोल सकता.

2020 में बहुजन आजाद पार्टी बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ेगी. क्या आप मानते हैं कि सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने का दावा करने वाली राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने काम नहीं किया? आप चुनाव किसके खिलाफ लड़ेंगे?

हमारी लड़ाई बिहार में मनुवादी ताकतों से होगी. मैं अगर राजद की बात करूं तो लालू प्रसाद यादव का मैं बहुत सम्मान करता हूं. मैंने कई बार उनको बहुजनों का मसीहा भी लिखा है. मुझे इस बात पर शंका है कि जितना लालू सामाजिक न्याय व अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर मुखर होकर लड़े और आडवाणी तक का रथ रोक दिए थे, उतनी काबिलियत उनके लड़कों में है.

मैं व्यक्तिगत तौर पर लालू प्रसाद यादव का बहुत सम्मान करता हूं और राजद के लिए कुछ नहीं बोलूंगा. हम बस बहुजनों के लिए एक मजबूत विकल्प देने का प्रयास कर रहे हैं. हम किसी को चुनौती नहीं देंगे हम आने वाले विधानसभा चुनाव में बहुजन आजाद पार्टी की सरकार बनाएंगे.

यूथ डेमोक्रेटिक फ्रंट के जंतर-मंतर आंदोलन में शामिल हुए थे, जिसके पदाधिकारी (अनुभव द्विवेदी और सुयश दीप राय) भाजपा से जुड़े हुए हैं. क्या आप उस संगठन से जुड़े हुए हैं?

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मैं उसके कार्यक्रम में युवा होने के नाते गया था. मैं सिर्फ इस संगठन नहीं बल्कि कांग्रेस, भाजपा, बसपा, आप और जेडीयू के भी मीटिंग में गया हूं. मेरी राजनीति में रुचि थी और बहुत कुछ सीखना और जानना था. अगर किसी मीटिंग या नेता के साथ मेरी तस्वीर सोशल मीडिया पर चल रही है तो मैं उससे इंकार नहीं करूंगा. ये जितनी भी तस्वीर है सब सीखने के क्रम के दौरान ली गई थी. मैं आईआईटी में रहते हुए तमाम राजनीतिक दलों के लोगों से मिलता और बात करता था. हो सकता है कि उसी तरह में उस संगठन के कार्यक्रम में भी गया होगा. 2013 में वो तस्वीर तब की है जब जेडीयू सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया गया था. उस समय बिहार में जुर्म और आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई थी और उसी लिए उस आंदोलन में शामिल हुआ था वो आंदोलन मुद्दा आधारित था उसे आप किसी विचारधारा से जोड़कर नहीं देख सकते.

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मेरी अश्विनी चौबे के साथ भी एक तस्वीर वायरल हो रही है लेकिन क्या लोग जानते हैं कि मैं उनसे क्यों मिला था? उस समय मुजफ्फरपुर में इंसेफ्लाइटिस से लगभग एक हफ्ते में 600 बच्चे मर गए थे और हमने उन पर दबाव बनाया कि तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को मुजफ्फरपुर आना चाहिए और वो आए भी थे. जिनको वो तस्वीर देख कर लगता है कि मैं भाजपा का एजेंट हूं तो वो जांच कर लें कि मैं चौबे से क्यों मिला था. लेकिन उसके बाद जो उन्होंने हरकत की है तब से मैं उनसे नफरत करता हूं और भाजपा के हर एक नेता से नफरत करता हूं. मैं अभी नौसीखिया हूं और बाबासाहेब को पढ़ने के बाद अपने अंदर इन दो सालों में बड़ा बदलाव मैंने खुद महसूस किया है.

यूथ डेमोक्रेटिक फ्रंट के पोस्टर के अनुसार आप जेडीयू और राजद की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे कि उन लोगों ने आतंकवादियों को बिहार में शरण देने का काम किया है?

मैं इस बात को मान रहा हूं उस वक्त मैं जिन लोगों के साथ था उसकी वजह से मैं भाजपा से सहानुभूति रखने लगा था. लेकिन सरकार की नीतियों को देखकर मेरा भाजपा सरकार पर से भरोसा उठ गया. मैं अब इस पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए काम कर रहा हूं. अभी तो हम सीख रहे हैं और 25-26 साल की उम्र के युवकों से गलती हो जाती है. युवा ठोकर भी खायेगा और फिर अनुभव लेकर परिपक्व होगा.

2014 के चुनाव के बाद भाजपा को लेकर एक सहानुभूति थी क्योंकि अन्ना आंदोलन से जुड़े हुए थे और एक तरह से था कि कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने केे लिए अनजाने में ही सही मैंने भाजपा की मदद की है. मैं इसको अपनी बड़ी गलती मानता हूं. मैं अपनी गलती सुधारने के लिए 2019 चुनाव में पूरी मेहनत करूंगा कि कैसे भी भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया जाए.

बहुजन चिंतक दावा करते हैं कि आरएसएस सामाजिक न्याय की लड़ाई के खिलाफ रहता है और आपके मामले में तो आरएसएस के लोग आपके बचाव में आ रहे हैं. ये बात आपकी पार्टी पर सवाल खड़ा कर रही है.

मुझे भी इस बात पर आश्चर्य हो रहा है कि आरएसएस से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर हमारे समर्थन में या बचाव में क्यों लिख रहे हैं? मुझे लगता है कि बहुजन आजाद पार्टी जिस तरह सत्ता के गलियारों में हलचल मचा रही है, उससे आरएसएस के लोग डर गए हैं. वो लोग बहुजन समाज में हमारी पार्टी को लेकर शंका पैदा करना चाहते हैं. क्योंकि इससे उनके राजनीतिक धड़े को लाभ होगा. उन्हें पता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में हम उनको हराएंगे. इसलिए वे लोग इस तरह भ्रम फैलाकर हमें कमजोर करने का काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलेगी. ये आरएसएस का प्रोपेगेंडा है कि वो हमारी पार्टी को अपने लोग बताएं, ताकि बहुजन समाज में हमारी स्वीकृति पर शंका उत्पन्न हो जाए.

हम निरंतर काम कर रहे हैं. हमने दो अप्रैल को भारत बंद को बिहार में सफल बनाने का काम किया है और आगे भी इसी तरह बहुजनों के मुद्दों पर लड़ते रहेंगे. बहुत सारे लोग हमारे समर्थन में लिख रहे हैं और अब कोई भी इस तरह से बहुजन समाज को गुमराह नहीं कर पाएगा. बहुजन समाज के लोग सवर्णों से ज्यादा बुद्धिजीवी हैं और वे खुद आरएसएस की योजना को विफल करेंगे. हम कहना चाहते हैं कि हमारी नीयत साफ है और हमारा विरोध वो लोग ही कर रहे हैं जिनकी दुकान बाकी दलों से चलती है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है और कोई भी व्यक्ति पार्टी बना सकता है और चुनाव लड़ सकता है. इस तरह से बिना जाने अंध विरोध सही बात नहीं है. हम संवाद करने को तैयार हैं.

क्या बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने से भाजपा को फायदा होगा?

भाजपा को कैसे फायदा होगा? जब वो चुनाव हारेगी, तो कैसे उसे फायदा होगा?हम नफा-नुकसान नहीं जानते बस इतना जानते हैं कि बिहार में हमारी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी. अगर हम बहुमत के आंकड़ों से दूर रहते हैं तो भाजपा और कांग्रेस के साथ नहीं जाएंगे, क्योंकि दोनों दल मनुवाद के मामले में एक समान हैं. अगर कभी ऐसी स्थिति बनती है तो यकीनन हम लोग सामाजिक न्याय की विचारधारा वाली पार्टी के साथ जाएंगे. अगर राजद हमारी सभी मांगों को मान ले तो हम साथ जा सकते हैं. तेजस्वी युवा हैं और हमारे हम उम्र भी हैं. हम उनका साथ देंगे और बिहार को मजबूत करेंगे. हम पहली प्राथमिकता राजद को देंगे.

हमारी जनसंख्या के अनुपात में हर क्षेत्र में आरक्षण और भूमिसुधार जैसे प्रमुख मुद्दे हैं और अगर वो इसको मानेंगे तो हम जरूर उनका साथ देंगे. चुनाव से पहले किसी के साथ भी नहीं जाएंगे. अभी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं और बिहार के हर जिले में जल्दी ही इकाई बनाई जाएगी और आने वाले 15 अगस्त को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा भी करेंगे.