आपकी प्राइवेसी है आपका मौलिक अधिकार, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

राइट टू प्राइवेसी यानी निजता का अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार माना है. नौ जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से ये फैसला लिया है.

नौ जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मसले पर 6 दिनों तक मैराथन सुनवाई की थी. जिसके बाद 2 अगस्त को पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. पीठ की अध्यक्षता चीफ जस्टिस जेएस खेहर कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट अगर निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार मानता है तो इसके बाद एक अलग बेंच गठित की जाएगी. ये बेंच आधार कार्ड और सोशल मीडिया में दर्ज निजी जानकारियों के डेटा बैंक के बारे में फैसला लेगी. मतलब साफ है कि शीर्ष अदालत के इस फैसले का व्यापक असर होगा.

केंद्र सरकार का पक्ष

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने इस मसले पर सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखा था. केंद्र का पक्ष रखते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि आज का दौर डिजिटल है, जिसमें राइट टू प्राइवेसी जैसा कुछ नहीं बचा है.

तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को ये बताया था कि आम लोगों के डेटा प्रोटेक्शन के लिए कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में दस लोगों की कमेटी का गठन कर दिया है. उन्होंने कोर्ट को बताया है कि कमेटी में UIDAI के सीईओ को भी रखा गया है.

 

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