इंसानियत की अलख जगा रहा झांसी का ये पुलिसवाला

पुलिस, जिसके बारे में हम और हमारे समाज ने एक धारणा बना ली है कि पुलिस का मतलब ऐसे शख्स जो लोगों से अभद्रता करते हैं लोगों को बेवजह परेशान करते हैं और लोगों पर अपनी मनमानी को थोपते हैं। लोगों के बीच इस सोच ने ही पुलिस और जनता के बीच इतनी दूरी बढ़ा दी है जिसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन पुलिस महकमे में बहुत से ऐसे लोग हैं जो गरीबों मजलूमों के मसीहा बने हुए हैं। लोगों की मुसीबतों में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो जाते हैं और उनके लिए हरसंभव मदद के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे ही लोगों में झांसी के कांस्टेबल जितेंद्र यादव का नाम भी शामिल है।

झांसी के लोगों का झक्कास पुलिस वाला

झांसी रेंज के डीआईजी ऑफिस में तैनात कॉन्स्टेबल जितेंद्र यादव ड्यूटी के बाद अपना खाली समय बेसहारा और गरीब लोगों की मदद करने में बिताते हैं। जितेंद्र यादव जब बीएससी की पढ़ाई कर रहे थे तभी उन्हें पुलिस विभाग में नौकरी मिल गई थी। जितेंद्र यादव ललितपुर जिले में और फिर झांसी जिले के सीपरी थाने में तैनात रहकर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कॉन्स्टेबल जितेंद्र यादव जालौन जिले के दकोर थाना क्षेत्र के निवासी हैं।

जितेंद्र यादव बताते हैं कि उनके पिता भी पुलिस में ही थे और वह हमेशा लोगों की मदद करते थे। उनकी माता जी का स्वभाव भी ऐसा ही रहा। यही वजह है कि कॉन्स्टेबल जितेंद्र यादव के लिए उनके माता-पिता ही प्रेरणास्त्रोत बने। जितेंद्र यादव कहते हैं कि जब नौकरी के दौरान समाज के लिए किए गए कामों का उनके साथी पुलिस कर्मियों को पता चला तो वे सभी उनका मजाक उड़ाते थे।

 

गरीब बच्चों को दे रहे शिक्षा

जितेंद्र कई महीनों से झांसी के प्रदर्शनी ग्राउंड में रहने वाले गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे थे। सोमवार को उन्होंने 40 बच्चों का एडमिशन करवाया। उन्हें ड्रेस, बैग और कॉपी किताब भी दिया। जितेंद्र की टीम के साथी रोजाना 40-50 बच्चों को फ्री ट्यूशन क्लासेज देते हैं।

खास बात ये है कि जितेंद्र यादव जिन बच्चों को फ्री ट्यूशन दे रहे, उनके माता-पिता भीख मांगकर अपना जीवन यापन करते हैं। जितेंद्र को सोशल वर्क के लिए प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक जावेद अहमद की ओर से प्रशस्ति पत्र भी मिल चुका है।

 

आईएएस बनना चाहते थे जितेंद्र यादव

महज 20 साल की उम्र में ही पुलिस डिपार्टमेंट में भर्ती हुए कॉन्स्टेबल जितेंद्र यादव आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे। आज उनकी नौकरी के 10 साल बीत चुके हैं। जितेंद्र यादव कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात रहने के बावजूद भी गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करने में सक्षम हैं।

बचपन में जितेंद्र यादव कभी घर का बिस्तर दान कर देता था तो कभी लोगों की मदद के लिए घर से दो-तीन दिन तक बाहर रहता था। इससे उसके माता-पि‍ता परेशान रहते थे। बता दें कि जितेंद्र शादीशुदा होने के साथ दो बच्चों के पिता भी हैं। जितेंद्र यादव अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद लावारिश और गरीबों की मदद के लिए निकल पड़ते हैं। इस काम में उनके साथी और पुलिस अधिकारी भी उनकी मदद करते हैं।

 

सपने ने बदल दिया जीवन

जितेंद्र बताते हैं कि एक बार मैं अपने घर में सो रहा था तभी मुझे लगा कि भगवान मेरे सपने में दर्शन देने के लिए आए हैं। उस दिन से मुझे भगवान के प्रति पूरी आस्था हो गई है। इसी लिए अपनी ड्यूटी के बाद गरीबों के बीच जाकर उनकी मदद करने लगा। वो मानते हैं कि हर गरीब के अंदर भगवान हैं। जबतक जिंदा रहूंगा इसी तरह बेसहारा लोगों की मदद करता रहूंगा।

 

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