कम्बल देकर छीनने वाली बात पर डफरिन हॉस्पिटल के मरीजों ने स्टाफ पर लगाये गम्भीर आरोप, मचा हड़कंप

  •  जिलाधिकारी ने अस्पताल के बाहर गरीबों को बाँटे कंबल, अन्दर अस्पताल के स्टाफ ने मरीजों को कम्बल बाँट करा ली फजीहत
  •  मरीजों का कहना, अस्पताल प्रबंधन ने कम्बल देकर महज कुछ ही मिनटों में लिया वापस
  •  कंबल वाली नौटंकी पर भड़क उठी महिला मरीज, अस्पताल स्टाफ पर लगाये कई गम्भीर आरोप
  •  हंगामे के बाद अपनी किरकिरी होते देख, हॉस्पिटल स्टाफ ने फिर बाँटे मरीजों में तुरन्त कम्बल
  •  वहीं इस मुद्दे पर अपने बचाव में तरह-तरह की दलीलें देते दिखे अस्पताल के जिम्मेदार

कानपुर महानगर| (सर्वोत्तम तिवारी) हाड़ कंपाउ ठंड आने वाली है मौसम अपना रंग बदल रहा है| इसी कड़ाके की ठंड से बचाने के लिये जिला प्रशासन प्रतिवर्ष कई उपाय करता है| फिर चाहें वो चौराहों चौराहों पर अलाव लगाना हो या गरीबों व असहायों में गर्म कंबल का वितरण या फिर मौसम बदलते ही शहर भर के रैन बसेरों की चाक चौबन्ध व्यवस्था| जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी हर पहलू पर ध्यान केंद्रित रखते हैं| लेकिन इनके अधीनस्थ कर्मचारी या विभागीय जिम्मेदार ऐसे कार्यों में उंगली उठवाने वाली हरकत से बाज नहीं आते|

शहर में ठंड को देखते हुये कल जिलाधिकारी कानपुर महानगर सुरेन्द्र सिंह ने देर रात शहर की सड़कों पर गुजर बसर कर रहे गरीबों व असहायों को गर्म कम्बल का वितरण किया| और ठंड को देखते हुये जिले के सभी शिक्षण संस्थानों में छुट्टी और टाइमिंग को लेकर आदेश भी पारित किया| सुबह होते ही जिलाधिकारी ने बड़ा चौराहा स्थित शहर के डफरिन हॉस्पिटल के बाहर गरीबों को कम्बल बाँटे| लेकिन इस दौरान डफरिन हॉस्पिटल के अंदर जो हुआ वह किसी नौटंकी से कम नहीं था|


मामला था अस्पताल के बाहर डीएम ने गरीबों को कंबल बाँटे और अंदर अस्पताल स्टाफ ने हर वार्ड में मरीजों को हर बेड पर गर्म कम्बल बाँटे| फर्क सिर्फ ये रहा कि डीएम द्वारा कम्बल पाये गरीबों के चेहरे पर खुशी थी तो वहीं अस्पताल के अंदर कम्बल पाये मरीजों में गम|
मरीजों में यह गम इस लिये था कि डीएम के जाते ही अस्पताल स्टाफ ने महज कुछ मिनटों में ही बाँटे गये कम्बल जबरदस्ती छीन लिये| इस दौरान मरीजों व उनके तीमारदारों और हॉस्पिटल स्टाफ के बीच नोंक झोंक भी हुई|


मामला इस तरह बढ़ा कि यह बात मीडिया तक पहुंच गई| मीडिया पहुँचते ही जहाँ मरीजों ने तरह तरह के आरोप लगाने चालू कर दिये| वहीँ कंबल देकर छीनने वाली बात पर मौजूद हेड नर्स ने का कहना था कि जो कम्बल बाँटे गये थे वो किसी दानदाता ने अस्पताल को डोनेट किये थे| वही कम्बल मरीजों में बांटे गये थे जो सिर्फ अस्पताल में ही मरीजों के यूज के लिये हैं| लेकिन बांटते ही महज कुछ मिनटों में ही कम्बल छीनने वाली बात का वह ठोस जवाब नहीं दे पायीं|

इस दौरान मरीजों व तीमारदारों ने मीडिया के सामने कई तरह के और गम्भीर आरोप लगाने चालू कर दिये जिससे घबराये अस्पताल स्टाफ ने पत्रकारों के सामने ही पूरे वार्ड में हर मरीज को नये कम्बल फिर बांटकर उनका मुंह बंद कर दिया| लेकिन सोंचने वाली बात ये है कि अगर स्टाफ नर्स के अनुसार उसकी बात मान ली जाये कि कम्बल दानदाता ने दिये हैं वो भी मरीजों के लिये तो ऐसे सर्द मौसम में कम्बल देकर तुरंत वापस क्यों लिया गया? जबकि अस्पताल में भर्ती महिला मरीज चिल्ला चिल्लाकर कह रहीं थीं कि एक हल्के कम्बल से उनका जाड़ा नहीं जाता जिससे उनको तकलीफ होती है|

वहीं कुछ ने कहा कि हम लोगों ने कम्बल घर से मँगवाये हैं| स्थिति सोंचनीय हो जाती है कि सरकारी अस्पतालों में हो रही ऐसी मनमानी का जिम्मेदार आखिर कौन?