क्या पीएम मोदी सिर्फ हाईस्कूल तक पढ़े हैं? इस वायरल विडियो की सच्चाई जानिए

मोदी : पहली बात तो मैं कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति नहीं हूँ। लेकिन परमात्मा की कृपा है और उसके कारण शायद मुझे नई-नई चीजें जानने का बड़ा शौक रहा है।

रिपोर्टर : कितना पढ़े हैं आप?

मोदी : वैसे तो मैंने 17 साल की आयु में घर छोड़ दिया। स्कूली शिक्षा के बाद मैं निकल गया तब से लेकर आज तक भटक रहा हूँ नई चीजें पाने के लिए।

रिपोर्टर : सिर्फ स्कूल तक पढ़े है? मतलब प्राइमरी स्कूल तक?

मोदी : हाईस्कूल तक।

ऊपर जो बातचीत है वह 1990 के दशक में नरेन्द्र मोदी की इंटरव्यू की है जब वो भाजपा के महासचिव थे। कार्यक्रम ‘रु-ब-रु’ के इस इंटरव्यू में रिपोर्टर राजीव शुक्ला ने मोदी जी से पूछा, “कितना पढ़े हैं आप?” जिसपर मोदी जी ने अपना जवाब दिया। यह 30 सेकंड का विडियो क्लिप लम्बे समय से सोशल मीडिया पर वायरल है।

ऊपर जो स्क्रीनशॉट दिया गया है उसे एक ‘भ्रष्ट्राचार का काल- केजरीवाल’ नामक फेसबुक ग्रुप में साझा किया गया था, और इसे 52000 बार शेयर किया गया है। यह 30 सेकंड का वीडियो क्लिप सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर व्यापक रूप से फ़ैल रहा है। हमने एक ऐसे ही क्लिप को नीचे पोस्ट किया है, जिसे यूट्यूब पर 25000 से ज्यादा बार देखा गया है।

तो इस वीडियो की क्या सच्चाई है? क्या प्रधानमंत्री ने स्कूल से आगे की पढ़ाई नहीं की है जैसा कि दावा किया जा रहा है? ऑल्ट न्यूज़ ने जब इसका पूरा विडियो ढूंढा तो पाया कि उसी इंटरव्यू में प्रधानमंत्री आगे यह कहते हैं:

“बाद में हमारे संघ के एक अधिकारी थे उनके आग्रह पर मैने एक्सटर्नल एग्जाम देना शुरू किया। तो दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैंने बीए कर लिया एक्सटर्नल एग्जाम दे कर के, फिर भी उनका आग्रह रहा तो मैंने एमए कर लिया एक्सटर्नल एग्जाम से। मैंने कभी कॉलेज का दरवाजा देखा नहीं।”

उसी विडियो क्लिप का यह हिस्सा भी है जो विडियो के अंत में आता है। मोदी जी कहते हैं कि उन्होंने बीए और एमए एक्सटर्नल एग्जाम के माध्यम से की है। हालांकि यह हिस्सा उस वायरल विडियो क्लिप से हटा दिया गया है। हमने इंटरव्यू के इस बातचीत का विडियो नीचे पोस्ट किया है।

अबतक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता के आधिकारिक दस्तावेज तक पहुँचने में आरटीआई कार्यकर्ता असफल रहे हैं जिस वजह से यह विवाद काफी समय से चल रहा है। मोदी जी पर अपनी डिग्री को हेर-फेर करने का आरोप लगाया गया है। हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायलय में दाखिल एक हलफनामे में दिल्ली विश्यविद्यालय ने कहा कि 1978 में विश्वविद्यालय से पास हुए छात्रों के बारे में आरटीआई अधिनियम के अनुसार ‘फिड्यूशियरी’ (विश्वासाश्रित) संबंध के चलते इस जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता, इसी साल प्रधानमंत्री मोदी ने यहाँ से ग्रेजुएट (स्नातक) होने का दावा किया था। दिल्ली विश्वविद्यालय ने अदालत से कहा कि वह 1978 में बीए कोर्स में पास होने वाले छात्रों के रिकॉर्ड का खुलासा नहीं कर सकता है। प्रधानमंत्री की शैक्षिक योग्यता में पारदर्शिता की कमी के बावजूद, उस वीडियो को साझा करने का कोई तुक नहीं है जिसमें बयान को काट-छांट कर गलत तरीके से पेश किया गया है।

 

source- altnews