(रिपोर्ट-अरुण सिंह चंदेल,वरिष्ठ ,फोर्थ इंडिया न्यूज़)
नयी दिल्ली,18 सितम्बर 2021,अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानों के राज्य होने से पुरे विश्व पटल पर राजनितिक समीकरण तेज़ी से बदलते दिखाई दे रहे है। ऑस्ट्रेलिया से चर्चित ऑकस(AUKUS) समझौते को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन की हुई फजीयत भी विश्व पटल पर राजनितिक समीकरण जो बदले है,इस दृष्टी से देखा जा रहा है। वही इस समझौते को लेकर फ़्रांस और चीन ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है, यूरोपीय संघ भी इस पर मसले पर गंभीर है । ऑकस इस समझौते के पीछे अमेरिका का लक्ष्य चीन के इस क्षेत्र में बढ़ते रुतबे को घटाना है,समीकरण बदलने का मुख्य कारण यह भी है कि ऑकस समझौते ने फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच 43 अरब डॉलर के समझौते को समाप्त करवा दिया है। फ्रांस के साथ ख़त्म हुआ यह सौदा ऑस्ट्रेलिया का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा था। विदित हो कि वर्ष 2016 में ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के लिए फ़्रांसीसी डिज़ाइन की 12 पनडुब्बियों के निर्माण का फ़्रांस को कॉन्ट्रैक्ट मिला था।
कूटनीतिज्ञ चीन भी इस सौदे में घुसना चाहता था , लेकिन अमेरिका ने ही चीन के रुतबे को ख़त्म करने के लिए कॉम्प्रिहेंसिव एंड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फ़ॉर ट्रांस-पैसिफ़िक पार्टनरशिप (CPTPP) के नाम से शुरू कर झटका दिया था । ऑकस को लेकर जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को सांसदों के कठोर सवालों का सामना करना पड़ा, तब अमेरिका ने मैदान में उतर कर स्थिति को संभाला। तिलमिलाया हुआ चीन इसे ग़ैर ज़िम्मेदार समझौता कह रहा है, उधर फ़्रांस ने जो बाइड राष्ट्रपति पर धोखे का इल्जाम लगा दिया।विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन फ्रांस ने फ्रांस रेडियो को दिए वयक्तत्व में बताया है कि, ”यह वास्तव में पीठ में एक छुरा घोंपने जैसा है, इस समझौते के अंतर्गत अमेरिका ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पन्नडुब्बी की तकनीक भी मुहैया करवाएगा ।
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