देश के नाम राष्ट्रपति कोविंद का पहला संबोधन- न्यू इंडिया का सपना सब मिलकर करेंगे साकार

देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित कर रहे हैं. अपने संबोधन में कोविंद ने कहा कि राष्ट्रीय एकता के प्रति देश को सरदार पटेल ने समझाया. देश को गांधी जी से अहिंसा की राह पर चलते हुए जंग जीतने की प्रेरणा मिली. डॉ अंबडेकर ने देश को बताया में अनेकता में एकता कैसे सर्वोपरि है.

राष्ट्रपति कोविंद ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि गांधीजी ने जिन सिद्धांतों को अपनाने की बात कही थी, वे हमारे लिए आज भी प्रासंगिक हैं. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा’का आह्वान किया. नेहरूजी ने हमें सिखाया कि भारत की सदियों पुरानी विरासतें और परंपराएं आधुनिक समाज के निर्माण के प्रयासों में सहायक हो सकती हैं. सरदार पटेल ने हमें राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व के प्रति जागरूक किया. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने हमें संविधान के दायरे में रहकर काम करने और ‘कानून के शासन’ की अनिवार्यता के विषय में समझाया.

राष्ट्र को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा कि आज देश के लिए अपने जीवन का बलिदान कर देने वाले वीर स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का समय है. उन्होंने कहा कि आज देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना के साथ राष्ट्र निर्माण में जुटने का समय है. साझेदारी हमारे राष्ट्र-निर्माण का आधार रही है. समाज में अपनत्व और साझेदारी की भावना को पुनः जगाने की आवश्यकता है. राष्ट्र निर्माण के लिए कर्मठ लोगों के साथ सभी को जुड़ना चाहिए.

राष्ट्रपति कोविंद ने सरकारी की योजनाओं की सराहना की. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लाभ हर तबके तक पहुंचे, इसके लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए. भारत को स्वच्छ बनाना हममें से हर एक की जिम्मेदारी है और देश को ‘खुले में शौच’ से मुक्त कराना हममें से हर एक की जिम्मेदारी है. विकास के नए अवसर पैदा करना, शिक्षा और सूचना की पहुंच बढ़ाना भी हमारी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि कानून का पालन करने वाले समाज का निर्माण करना चाहिए और कार्य संस्कृति को पवित्र बनाए रखना हममें से हर एक की जिम्मेदारी है.

राष्ट्रपति ने कहा कि टैक्स देने में गर्व महसूस करने की भावना को प्रसारित करना भी हमारी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि देश की जनता ने जीएसटी को सहर्ष स्वीकारा है. न्यू इंडिया कार्यक्रम के लिए कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने का हमारा राष्ट्रीय संकल्प है. उन्होंने कहा कि हमें अपने दिव्यांग भाई-बहनों पर भी विशेष ध्यान देना है. न्यू इंडिया की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि हम जहां पर खड़े हैं वहां से आगे जाएं और एक ऐसा ‘न्यू इंडिया’ बने जहां हर व्यक्ति की पूरी क्षमता उजागर हो सके.

 

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