नौकरी की परीक्षा व्यवस्था कब सुधरेगी?

रवीश कुमार

नौकरी सीरीज़ का 18वां अंक आपके सामने हाज़िर है. मुझे पता है कि हर राज्य के छात्रों की बेचैनी बढ़ती जा रही है. जब आपकी चुनी हुई सरकारों ने कुछ नहीं किया जबकि उनके पास इस काम के लिए मंत्री भी हैं, आईएएस अफसर भी हैं, बहुत सारे कर्मचारी भी हैं तो मेरे साथ धीरज रखिए. मैं बहुत सीमित संसाधन में काम करता हूं. एक ही समस्या को सौ लोग भेजें यह कोई ज़रूरी नहीं है. धीरे धीरे सबका नंबर आएगा. आप नौजवानों ने महसूस किया कि आपके दिलों में आग जल रही है मगर टीवी चैनल पर चलने वाली हिन्दू मुस्लिम और नकली राष्ट्रवादी डिबेट आपको किसी और आग में जलाना चाहती थी. अगर आपने इस ख़तरे को समझा होता तो आज भारत में मूल समस्याओं पर बात हो रही होती. हालत तो यह हो गई है कि किसी समस्या पर बात कीजिए तो आईटी सेल बवाल मचाता है कि आप केरल कर्नाटक क्यों नहीं दिखाते हैं. वो यह नहीं कहता कि जहां का दिखा रहे हैं वहां ये हालात होने ही क्यों चाहिए. तो हम तराजू लेकर आलू नहीं तौल रहे हैं.

अब देखिए आप सब नौजवान कितने प्रखर बुद्धि के लोग हैं लेकिन सिस्टम ने कितना हरा दिया है आपको. आप सभी राजनीतिक दलों से ठगे गए हैं. इसके बाद भी आपके व्हाट्सऐप डीपी को देखकर लगता है कि नीदरलैंड में छुट्टी मनाकर लौटे हैं. मैं आपमें से कइयों कि हेयर स्टाइल पर फिदा हूं. यही जीवन है. हम तंग हैं मगर जी रहे हैं लेकिन जब जीवन का सवाल बड़ा होता है तो बेचैनी बड़ी हो जाती है. कई साल इंतज़ार करते करते आप थकने लगे कि कब नौकरी होगी, कब इम्तहान के नतीजे आएंगे. एक नौजवान की बात सही लगी. रेलवे ने कहा कि इम्तहान के बाद 500 में से 400 रुपये वापस कर दिए जाएंगे लेकिन इसके लिए तो हमसे कोई खाता नंबर लिया नहीं गया है. इसकी प्रक्रिया क्या है यह नहीं समझ आ रहा है. सही तरह से नियम बनाकर भर्ती न निकालने का अच्छा उदाहरण है रेलवे की परीक्षा. अच्छी बात है कि आर्ट्स, कॉमर्स वालों को पहले की तरह परीक्षा में शामिल होने देने का फैसला किया गया है लेकिन अब आईटीआई वाले नाराज़ हो रहे हैं. घेरा-घेरी की बात कर रहे हैं.


अगर सरकार अब भी अगले साल के लिए अभी ही नियम बता दे तो छात्रों को परेशानी नहीं होगी. मेडिकल परीक्षा नीट के छात्र भी परेशान हैं. उनकी उम्र सीमा घटा दी गई है. दो साल, तीन साल पहले ही सरकार ऐलान कर दे कि फलां साल से उम्र सीमा इतनी होगी, इससे परीक्षा की तैयारी में छात्रों के साल बर्बाद नहीं होते हैं. मगर हमारे छात्र बर्बादी को जी लेते हैं. वो तब तो नहीं बोल पाए जब कॉलेज में किसी क्लास में टीचर नहीं था, लाइब्रेरी में किताब नहीं थी. आर्ट्स से लेकर इंजीनियरिंग कालेज में शिक्षक नहीं हैं फिर भी हमारे युवा को बोलने नहीं आता है. चुप रहने की, सहने की और खुद को बर्बाद करने की हमारे युवाओं की परंपरा काफी लंबी है. नौकरी सीरीज़ से हमारी कोशिश यही है कि सिस्टम ठीक हो. न सिर्फ चैयरमैन की लेदर वाली कुर्सी की जगह लकड़ी का बेंच लगे बल्कि हर परीक्षा ठीक समय पर हो और चोरी न हो.

हमारे दफ़्तर के बाहर सात आठ लड़के आ गए. ये लोग स्टाफ सलेक्शन कमिटी सीएचएसएल 2015 की परीक्षा पास कर चुके हैं. 2015 की परीक्षा पास करते करते अगस्त 2017 आ गया. पास कर गए, मेरिट लिस्ट में नाम आ गया, विभाग भी मिला फिल्म डिविज़न मगर अभी तक ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला है. ये लड़के मंत्री को भी ट्विटर पर खूब शिकायत कर चुके हैं मगर इन्हें अब तक अप्वाइंटमेंट लेटर नहीं मिला है. हमने प्राइम टाइम में इनकी समस्या का ज़िक्र कई बार किया है. 29 लड़कों को फिल्म डिविज़न में हुआ है मगर लेटर मिलेगा तब तो ज्वाइनिंग करेंगे. कब लेटर मिलेगा इसे जानने के लिए ये दर दर भटक रहे हैं. इनमें से एक बिहार से आया, एक इलाहाबाद से आया है, एक राजस्थान का है. कई दिनों से ये दिल्ली में भटक रहे हैं. इसी इम्तहान में छात्रों को इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन विभाग मिला था. मगर उन्हें भी ज्वाइनिंग का पता नहीं. इसमें जनरल कैटेगरी की ज्वाइनिंग हो गई है. ओबीसी और अनुसूचित जाति के छात्रों की ज्वाइनिंग नहीं हुई है. सात महीने से ये इधर उधर फोन कर रहे हैं.

एसएससी की मौजूदा परीक्षा चल रही है उसमें भी कई छात्रों ने शिकायत की है कि उनके सेंटर पर नकल हो रही है. हम अपने स्तर पर साबित नहीं कर सकते मगर इतनी जगहों से छात्र रोते पड़ते शिकायत कर रहे हैं तो कैसे कह दें कि वे सही नहीं बोल रहे हैं. वैसे भी मेरा शो जनसुनवाई का शो है. मैं अफसरों के चक्कर लगाने और नो कमेंट की प्रतिक्रिया लेने की नौटंकी में टाइम बर्बाद नहीं करता. एक तरह से सरकार और अवाम को यह फीडबैक है. कुछ ग़लती होगी तो बकायदा अगले एपिसोड में सुधार करूंगा.

बिहार कर्मचारी चयन आयोग के दफ्तर पर छात्र धरना दे रहे हैं. अब बताइये, द्वितीय स्नातक स्तरीय परीक्षा 2014 की है, फरवरी 2018 खत्म होने जा रहा है, रिज़ल्ट का अता पता नहीं है. जबकि पीटी की परीक्षा हो चुकी है. मेन्स की परीक्षा हो चुकी है. दारोगा दौड़ हो चुकी है. इंटरव्यू भी हो चुका है फिर भी रैंकिंग और रिजल्ट नहीं आया है. ये लोग प्रदर्शन करने पहुंचे तो वहां एक नोटिस लगा दिया गया कि धरना प्रदर्शन हेतु सरकार द्वारा निर्धारित स्थल का उपयोग करें. आयोग कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन दंडनीय अपराध है. इसका उल्लंघन करने पर आपके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई के साथ साथ आपका अभ्यर्थित्व रद्द किया जा सकता है. कैंडिटेचर की हिन्दी हुई अभ्यर्थित्व. चार साल में रिज़ल्ट न निकालने पर आयोग पर किसी प्रकार की दंडनीय कार्रवाई का प्रावधान नहीं है मगर वहां रिजल्ट की मांग को लेकर प्रदर्शन करने पर सज़ा की हिदायत दी जा रही है और धमकी भी कि आपका कैंडिटेचर यानी अभ्यर्थित्व रद्द किया जा सकता है. कितना बुरा मज़ाक है बिहार के नौजवानों के साथ ये. हमने नौकरी सीरीज़ में इनकी मांग उठाई थी. लेकिन कुछ नहीं हुआ.

2014 की परीक्षा का रिज़ल्ट चार साल बाद यानी फरवरी 2018 तक नहीं आया, कायदे से किसकी कुर्सी जानी चाहिए आपको बताने की ज़रूरत नहीं है मगर यह अपने आप में कितना क्रूर है कि यहां धरना देंगे तो आपका कैंडिडेचर रद्द कर दिया जाएगा. क्या सिस्टम के लिए युवा इतने बेकार और बेज़रूरी हो चुके हैं. हमने प्राइम टाइम की नौकरी सीरीज़ में बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन की एक परीक्षा पर सवाल उठाया था. बिहार लोक सेवा आयोग और बिहार कर्मचारी चयन आयोग दो अलग अलग संस्थाएं हैं. बीपीएससी के 56 से लेकर 59वें बैच की परीक्षा का विज्ञापन 1 नवंबर 2014 में आया था. प्रीलिम्स और मेन्स की परीक्षा होते होते 30 जुलाई 2016 बीत गया. जुलाई 2016 के बाद जुलाई 2017 बीता. जुलाई 2017 के बाद जनवरी 2018 बीत गया. अब जाकर एक खुशखबरी आई है कि इस परीक्षा का इंटरव्यू होने जा रहा है. 22 फरवरी की रात 2014 के 56 से 59 बैच की मेन्स परीक्षा का परिणाम निकला है. 736 पदों के लिए 1933 छात्रों का इंटरव्यू के लिए चयन हुआ है.

रिजल्ट निकला है, काश इंटरव्यू का भी डेट निकल जाता. आप सोचिए चार चार साल में एक परीक्षा पूरी नहीं हो रही है. कितने नौजवानों के अरमान बर्बाद हो गए होंगे. तीन साल तैयारी कीजिए, चार साल परीक्षा के रिज़ल्ट का इंतज़ार. जवानी के सात साल तो यूं ही हिन्दू मुस्लिम डिबेट और फर्जी राष्ट्रवाद पर डिबेट देखने में निकल गए. हमारी तरफ से इन छात्रों को शुभकामाएं. छात्र खुश हैं तो हम भी खुश हैं मगर हम जानते हैं इस खुशी का अब कोई मतलब नहीं है. इसके लिए भी छात्रों ने तिरंगा यात्रा निकाली. कितना धरना प्रदर्शन किया.

पटना के दफ्तर में कुछ छात्र हमारे सहयोगी मनीष कुमार से मिलने पहुंच गए. ये वो छात्र हैं जो अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षा कराने वाली एसएससी के मल्टी टास्क स्टाफ टीयर-वन का इम्तहान दे चुके हैं. इनका कहना है कि टीयर-वन में 1 लाख 59 हज़ार छात्र पास हुए. टीयर टू के लिए 1 लाख 43 हज़ार छात्रों ने इम्तहान दिया. इसका रिजल्ट आना था 31 मार्च 2018 को. लेकिन इसी बीच 21 फरवरी 2018 को एसएससी नॉर्थ रीजन पर एक सूचना आती है कि जो सफल हो गए हैं उनके दस्तावेज़ों का सत्यापन होगा. अब ये छात्र परेशान हैं कि दूसरी परीक्षा का रिज़ल्ट तो निकला नहीं, ये सफल छात्र कैसे घोषित हो गए. हम उनकी बात यहां रख रहे हैं. मल्टी टास्क स्टाफ चौथी श्रेणी की नौकरी है. दिसंबर 2016 में इसकी अधिसूचना आई थी, ये फरवरी 2018 है जो अब बीतने जा रहा है.

एमटीएस के छात्रों को लगता है कि प्राइम टाइम में उनकी बात रखी जाएगी तो असर होगा. प्राइम टाइम में दिखाने के बाद रेलवे परीक्षा की तीन तीन शर्तें बदलने के बाद उनकी उम्मीद बढ़ गई है. वैसे कई सांसद इसका श्रेय ले रहे हैं. श्रेय उन्हीं को मिले, इसी में हमारी ख़ुशी है. बहुत से छात्रों ने हमें लिखा है कि देना बैंक ने 18 अप्रैल 2017 को 300 प्रोबेशनरी अफसरों की वैकेंसी निकाली थी. 9 मई 2017 तक फार्म भरने की अंतिम तिथि थी. 400 रुपये इसकी फीस थी. इम्तहान की तारीख बताई गई 11 जून 2017। लेकिन इम्तहान से 3 दिन पहले नोटिस आया कि परीक्षा स्थगित हो गई. लगता है स्थगित होते ही परीक्षा सो गई है. जून 2017 में होनी वाली परीक्षा स्थगित होकर अभी तक उठी नहीं है. बहुत से छात्रों ने मैसेज किया है कि प्राइम टाइम की जनसुनवाई के ज़रिए सरकार को यह फीडबैक दिया जाए. बताइये जिसने 400 रुपये दिए, तैयारी में अपनी ज़िंदगी के कई महीने दिए उसे यह जानने का हक है कि नहीं परीक्षा कब होगी. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को फिर से याद दिला दे रहा हूं कि 700 से अधिक नौजवानों को ज्वाइनिंग लेटर कब मिलेगा जबकि वे एक साल से परीक्षा पास कर घर बैठे हैं. अगर किसी को लगता है कि दिल्ली में होने वाली घटनाओं से मेरा शो बदल जाएगा तो इस बार वो ग़लत है. कितनी भी बड़ी खबर होगी मैं नौकरी सीरीज़ से नहीं हटने वाला. इसलिए अच्छा है कि संस्थाएं देश के इन नौजवानों के साथ ये नाइंसाफी न होने दें.