प्रधानमंत्री ने बाबू जगजीवन राम को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की

नयी दिल्ली, 05 अप्रैल 2022 ,जगजीवन राम (5 अप्रैल 1908-6  जुलाई 1986) जिन्हें आदर और प्यार से से बाबूजी भी कहा जाता था, एक भारतीय कुशल राजनीतिज्ञ तथा भारत के प्रथम दलित उप-प्रधानमंत्री एवं राजनेता थे।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाबू जगजीवन राम को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है।

अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा हैः

“बाबू जगजीवन राम जी को उनकी जयंती पर नमन। स्वतंत्रता आंदोलन तथा स्वतंत्रता के बाद उनके शानदार योगदान को राष्ट्र सदैव याद रखेगा। अपने प्रशासनिक कौशल और निर्धनों के प्रति चिंता के लिये उनका व्यापक सम्मान था।

आओ बताते चले ,बाबू जगजीवन राम के जीवन के कई पहलू हैं। उनमें से ही एक है भारत में संसदीय लोकतंत्र के विकास में उनका अमूल्य योगदान। 28 साल की उम्र में ही 1936 में उन्हें बिहार विधान परिषद् का सदस्य नामांकित कर दिया गया था। जब गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 के तहत 1937 में चुनाव हुए तो बाबूजी डिप्रेस्ड क्लास लीग के उम्मीदवार के रूप में निर्विरोध एमएलए चुने गए।

मुंबई में 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की तो जगजीवन राम वहीं थे। तय योजना के अनुसार उन्हें बिहार में आंदोलन को तेज करना था, लेकिन दस दिन बाद ही उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया।6 जुलाई 1986, को बाबूजी ने अपनी अंतिम श्वास ली | बाबूजी ने सदैव निडरतापूर्वक अन्याय का सामना किया एवं साहस, ईमानदारी, ज्ञान व अपने अमूल्य अनुभव से सदैव देश की भलाई की | वे स्वतंत्र भारत के उन महान नेताओं में से एक थे जिन्होनें दलित समाज की दशा बदल दी व एक नयी दिशा प्रदान की | इन्होनें सदा एक ही चुनाव क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया व सदा अपराजित ही रहे | बाबू जगजीवन रामजी ने वर्ष 1936 से वर्ष 1986 तक अर्थात आधी शताब्दी तक राजनीति में सक्रिय रहने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया |

सासाराम से पुनर्निर्वाचित बाबूजी को वर्ष 1956-62 तक रेल मंत्रालय की ज़िम्मेदारी उठाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 1962 के आम चुनावों में सासाराम की जनता ने बाबूजी को पुनः विजय-वरदान दिया व उन्हें परिवहन एवं संचार मंत्रालय का दायित्व दिया गया।   परन्तु बाबूजी ने कामराज योजना के तहत इस्तीफ़ा दे दिया व कांग्रेस पार्टी को मज़बूत करने में लग गए । 1966-67 के आम चुनावों में विजयी बाबू जगजीवन राम को उस सरकार में एक बार फिर श्रम मंत्रालय दिया गया । किन्तु एक वर्ष उपरांत ही उन्हें कृषि एवं खाद्य मंत्रालय का दायित्व दिया गया ।

25 जून 1975 को श्रीमती इन्दिरा गाँधी द्वारा देश भर में आपातकाल की घोषणा कर दी गयी | इस आपातकाल ने संविधान के मौलिक अधिकारों को सवालों के घेरे में ला दिया , श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने 18 जनवरी 1977 को आम चुनाव की घोषणा तो कर दी थी किन्तु देश को आपातकाल का डर था, इस परिस्थिति से निपटने के लिए बाबूजी ने अपने पद का त्याग कर दिया व कांग्रेस पार्टी से भी इस्तीफ़ा दे दिया, उन्होंने उसी दिवस ‘कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी’ (सी.एफ़.डी.) नामक एक नयी पार्टी की रचना की ।

वर्ष 1977 के आम चुनावों में बाबूजी की विजय हुई व उन्हें रक्षा मंत्रालय का दायित्व दिया गया | 25 मार्च 1977 को कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी, जनता पार्टी में सम्मिलित कर ली गयी।  जनवरी 1979 में बाबूजी भारत वर्ष के उपप्रधानमंत्री के रूप में घोषित किये गए । वर्ष 1980 में जनता पार्टी का आपसी मनमुटावों के कारण बंटवारा हो गया एवं बाबूजी ने मार्च 1980 में अंततः कांग्रेस (जे) का निर्माण किया।
6 जुलाई 1986, को बाबूजी ने अपनी अंतिम श्वास ली।
@ फोर्थ इंडिया न्यूज़ टीम

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